कहीं आपको भी सैयारा' की वाणी की तरह भूलने की बीमारी तो नहीं , 20 की उम्र में 5 लक्षण मतलब शुरू हो चूका अल्जाइमर

नई दिल्ली : इन दिनों डायरेक्टर मोहित सूरी की फिल्म 'सैयारा'के खूब चर्चे हो रहे हैं। फिल्म ने एक हफ्ते में लगभग 170 करोड़ रुपये का कलेक्शन कर लिया है। फिल्म में आहान पांडे ने कृष कपूर और अनीत पड्डा ने वाणी बत्रा का किरदार निभाया है। इनकी एक्टिंग को खूब पसंद किया जा रहा है। इंस्टाग्राम पर ऐसी कई विडियो शेयर हो रहे हैं जिनमें दिख रहा है की 'सैयारा' फिल्म को लेकर इतना पागलपन है। लोग सिनेमाघरों में चिल्ला रहे हैं, रो रहे हैं, अपनी प्रेमिका को गले लगा रहे हैं। यह क्रेज खासकर युवाओं में देखने को मिल रहा है।


फिल्म में रोमांटिक तरीके से शुरू होती है और सब कुछ ठीक लगता है लेकिन कहानी मोड़ तब लेती है जब वाणी छोटी-छोटी बातें भूलने लगती है जैसे कि बातचीत के अंश, तारीखें और दिनचर्या के कामकाज और बातें। उसे डॉक्टर को दिखाया जाता है और जांच के बाद डॉक्टर बताते हैं कि वाणी को बहुत कम उम्र में अल्जाइमर की शुरुआत हो चुकी है। वाणी की उम्र फिल्म में सिर्फ 22 साल है।फिल्म ने लोगों में अल्जाइमर बीमारी को लेकर जागरूकता तो बढ़ाई है। दुनिया में करीब 3.2 करोड़ लोग अल्जाइमर नाम की बीमारी से जूझ रहे हैं। यह बीमारी धीरे-धीरे याददाश्त और सोचने की शक्ति को कमजोर कर देती है। आमतौर पर इसकी पहचान 65 साल की उम्र के बाद होती है। लेकिन अब एक नई रिसर्च कहती है कि इस बीमारी के शुरुआती संकेत 20 साल की उम्र में भी देखे जा सकते हैं। कुछ बहुत दुर्लभ मामलों में यह बीमारी 30 या 20 की उम्र में भी शुरू हो सकती है। इसकी पहचान के लिए जेनेटिक टेस्ट करना पड़ता है।


रिसर्च में मिले सबूत


रिसर्च में मिले सबूत


कोलंबिया यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर ऐलिसन ऐलो और उनकी टीम (ref.) ने बताया कि कुछ खास खून के टेस्ट (बायोमार्कर) और रिस्क फैक्टर 24 साल की उम्र में ही दिख सकते हैं। इसका मतलब ये नहीं कि इतनी जल्दी अल्जाइमर हो जाएगा, लेकिन बीमारी की शुरुआत का खतरा हो सकता है।


रिसर्च के नतीजे


रिसर्च के नतीजे


12000 युवाओं की मेडिकल रिपोर्ट्स पर किये गए अध्ययन से पता चला की 24 से 44 साल की उम्र के युवाओं में सोचने की क्षमता और याददाश्त कमजोर होने लगी थी। इनमें Tau प्रोटीन पाया गया, जो ब्रेन हेल्थ के लिए खतरा बन सकता है।


एक्सपर्ट क्या कहते हैं?


एक्सपर्ट क्या कहते हैं?


रिसर्चर मानते हैं कि अल्जाइमर रोग होने का प्रोसेस बहुत पहले से शुरू हो सकता है। जब तक लक्षण दिखते हैं, तब तक दिमाग को नुकसान हो चुका होता है। इसलिए जल्दी पहचान और सही जीवनशैली अपनाना बहुत जरूरी है। यह रिसर्च बताती है कि अल्जाइमर सिर्फ बुज़ुर्गों की बीमारी नहीं है। अगर आप युवावस्था में ही हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं, तो आप इस बीमारी से बच सकते हैं या इसे टाल सकते हैं।


अल्जाइमर रोग क्या है?


अल्जाइमर रोग क्या है?


अल्जाइमर रोग एक तरह की डिमेंशिया (स्मृति और सोच से जुड़ी बीमारी) है, जिसमें दिमाग में बेटा-एमिलॉइड (Beta-amyloid) नामक एक हानिकारक और गलत तरीके से बनी प्रोटीन जमा हो जाती है। ये प्रोटीन मिलकर प्लैक बनाते हैं, जो दिमाग को नुकसान पहुंचाते हैं। एक नई स्टडी बताती है कि ये बेटा-एमिलॉइड हमारे दिमाग में 20 साल की उम्र से ही जमा होना शुरू हो सकता है, जबकि पहले माना जाता था कि ये केवल बुज़ुर्गों में होता है। ये जेनेटिक भी हाई यानी अगर आपके परिवार में किसी को है, तो आपको भी हो सकती है।


अल्जाइमर की शुरुआती पहचान


अल्जाइमर की शुरुआती पहचान


अगर आपको युवावस्था में याददाश्त से जुड़ी समस्याएं जैसे बार-बार चीजें भूलना, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी जैसे किसी बात पर फोकस बनाए रखना मुश्किल या बातचीत समझने में कठिनाई, भाषा से जुड़ी दिक्कतें जैसे सही शब्द खोजने में मुश्किल या बात करते समय रुक जाना, फैसले लेने में कठिनाई, ज्यादा चिंता या चिड़चिड़ापन, जाने-पहचाने स्थानों में रास्ता भूल जाना आदि लक्षण महसूस होते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए।


बचाव की शुरुआत जल्दी क्यों करें?


बचाव की शुरुआत जल्दी क्यों करें?


इस स्टडी से पता चलता है कि अल्जाइमर की रोकथाम के बारे में युवावस्था से ही सोचना शुरू करना चाहिए। रिसर्च से यह भी पता चला है कि ज्यादा पढ़ाई करने वाले लोग, या जो जीवनभर नई चीजें सीखते रहते हैं, उनमें अल्जाइमर का खतरा कम होता है। रिसर्च में यह भी बताया गया है कि अल्जाइमर रोग बिना लक्षणों के भी हो सकता है।







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