बिलासपुर के स्थानीय समयानुसार दिनांक 14/15 जनवरी 2024 को रात्रि के 02 बजकर 44 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे! अत: मकरसंक्रांति का पर्व कल दिनांक 15 जनवरी 2024 दिन सोमवार को मनाया जायेगा!
♦️संक्रान्ति काल का पंचांग –
मास-पौष, पक्ष-शुक्ल, तिथि- चतुर्थी, दिन-रविवार, नक्षत्र-शतभिषा, योग-वरियान, करण-विष्टि, लग्न – तुला !
🔴 संक्रान्ति विशेषता 🔴
🔸स्थिति – बैठी,
🔸फल – मध्यम,
🔸वाहन – अश्व,
🔸उपवाहन – शेर,
🔸फल – स्थिरता,
🔸वस्त्र – काला,
🔸शस्त्र – भाला,
🔸पात्र – पत्ता,
🔸भक्ष्य – चटपटा,
🔸लेपन – हल्दी,
🔸जाति – विप्र,
🔸पुष्प – दूब,
🔸वस्त्र – नीला,
🔸अवस्था – वृद्धा,
🔸जगल्लग्न – तुला,
🔸दिशा – पूर्व दिशा,
🔸मुँख – ईशान,
🔸दृष्टि – नैऋत्यकोण में,
🔸संक्रान्ति गमन – पूर्व दिशा में,
🔸संक्रान्ति का नाम – घोरा,
🔴 संक्रांति का पुण्यकाल 🔴
संक्रान्ति का जो सबसे महत्वपूर्ण पक्ष होता है वह होता है उस संक्रांति का पुण्यकाल! जिसका निर्धारण व कालज्ञान होना अति आवश्यक हैं! क्योंकि यही वह समय होता है जिसमें स्नान-दान, जाप आदि कर्म का कई गुना अधिक प्रभाव व फल प्राप्त होता है! शास्त्र का मत है कि –
*”अह:सङ्क्रमणे पुण्यमह: सर्वं प्रकीर्तितम्!”*
*”रात्रो सङ्क्रमणे पुण्यों दिनार्धं स्नानदानयो:!!”*
*”तस्मात् मुनीन्द्रै: सङ्क्रान्तेरर्वाक् षोडशनाडिका:!”*
*”पश्चात् षोडश संप्रोक्ता सथूला: पुण्यतमास्तथा!!”‘
सूर्य के अयन संक्रांति अर्थात कर्क और मकर संक्रांति को छोड़कर बाकी की सभी संक्रांति काल के 16 घड़ी पहले व 16 घड़ी बाद का समय पुण्यकाल माना जाता है परन्तु जब अयन संक्रांति हो तो मकर की संक्रान्ति के 20 घड़ी पहले से (8 घंटा) लेकर 40 घड़ी तक(16 घंटा) आगे की पुण्यकाल होता है ! अत: मकर की सौम्यायन संक्रांति काल रात्रि 02 बजकर 44 मिनट से 20 घड़ी आगे का समय अर्थात 02:44 से 8 घंटा पहले से लेकर 16 घंटा आगे का समय संक्रान्ति का पुण्यकाल माना जायेगा! चुँकि यह रात्रिकालीन संक्रांति है अत: दूसरे दिन सुबह संक्रांति मनाई जायेगी और सोमवार को प्रात: 07:15 से सायं के 17:46 बजे तक संक्रांति का पुण्यकाल रहेगा! जिसमें स्नान-दान, जप आदि करना सर्वथा श्रेष्ठ फलदायी रहेगा!
🔴 संक्रांति का महापुण्यकाल 🔴
इस संक्रांति का महापुण्यकाल प्रात: 07:15 से 09:00 बजे तक रहेगा!
🔴 संक्रांति का प्रभाव 🔴
चुँकि यह संक्रान्ति रविवार को सूर्यास्त के बाद रात्रिकाल में 02:44 बजे शतभिषा नक्षत्र और विष्टि करण में लग हो रही है! अत: शास्त्रानुसार –
*”पूर्वह्वाकाले नृपतिं द्विजेन्द्रान्मध्ये दिने चाथ विशोपराह्ञे!”*
*”शुद्रान् रवावस्तमिते प्रदोषे पिशाचकान् रात्रिचरान्निशीथे!!”*
*”बुधगुरू-चन्द्र-सिताहे रविसङ्क्रान्तावनामयं नृणाम्!”*
*”क्षितिपतिनिकरक्षेमं सस्यविवृध्दिर्विधर्मिणां पीड़ा!!”*
अर्थात :-
♦️ इस संक्रान्ति का नाम “घोरा” होगा तथा यह शुद्र वर्ण के लिये यह संक्रांति इस मास सुखप्रद रहेगी!
♦️यह संक्रांति चोरों के लिए भी अच्छी रहेगी!
♦️यह संक्रांति जीवन में स्थिरता लायेगी!
♦️इस संक्रांति के प्रभाव से वस्तु के लागत और मुल्य सामान्य रहेंगे!
♦️सामान्य जनता में ठंढ से जनित बिमारियों से थोड़ी पीड़ा होगी! कफ जनित रोग बढ़ेंगे!
♦️एक माह तक मौसम के प्रतिकूलता आंधी, तुफान, बवंडर आदि की घटनायें बढेगी तथा ठीठूरन और ठंढी में बढोत्तरी होगी!
♦️इस संक्रांति के प्रभाव से सुखा का प्रभाव होगा! मैदानी इलाकों में वर्षा की कमी होगी तथा पहाड़ी इलाकों में वर्फ कम पड़ेगी!
🔴 भारत व विश्व परिदृश्य में संक्रांति का प्रभाव 🔴
इस संक्रांति के प्रभाव स्वरूप देश में कुछ ऐसा घटित होगा जिसकी कोई संभावना ही नही है! कुछ राजनीतिक भी घटना घटेगी जो ठीक नही कही जायेगी! विश्व परिदृश्य में देखें तो इस संक्रांति के प्रभाव से विश्व के देशों के बीच आपसी संघर्ष बढेंगे! अमेरिका अपना विस्तार करेगा या किसी अन्य देश में सैनिक अड्डा बनायेगा! एशिया तथा यूरोप के कुछ देशों में आपसी मतभेद बढेंगे तथा सीमा विवाद भी बढेगा!
🔴 राशियों पर प्रभाव 🔴
🔸धनिष्ठा, शतभिषा और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में जन्म वाले जातकों के लिए यह संक्रांति ठीक नही है उनको अधिक परिश्रम, भागदौड़ करना पड़ेगा फिर भी परिणाम दु:खद ही रहेगा!
🔸उत्तराभाद्रपद, रेवती, अश्विनी,भरणी, कृतिका और रोहिणी नक्षत्र में जन्में जातकों के लिए यह संक्रांति सुखद और शुभ फल प्रदान करेगी!
🔸मृगशिरा, आद्रा और पुनर्वसु नक्षत्र में जन्में जातकों के लिए यह संक्रांति शुभ नही है!अत: इस नक्षत्र में जन्में जातकों को किसी ना किसी प्रकार से कष्ट प्राप्त होगा!
🔸पुष्य, आश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तराफाल्गुनी और हस्त नक्षत्र में जन्म लिये जातकों के लिए यह संक्रांति शुभ और लाभकारी रहेगी!
🔸 चित्रा, स्वति और विशाखा नक्षत्र के जातकों के लिए इस संक्रांति का प्रभाव प्रतिकूल रहेगा तथा परिणाम दुखद और कष्टप्रद रहेगा!
🔸अनुराधा, ज्येष्ठ, मूल, पूर्वाषाढा, उत्तराषाढ़ा और श्रवण नक्षत्र में जन्में जातकों के लिए यह मकर संक्रांति अत्याधिक शुभ और सुखद रहेगी!