मासूम से दरिंदगी के दोषी को उम्रकैद, चॉकलेट का लालच देकर किया था दुष्कर्म

खैरागढ़ चॉकलेट का लालच दिखाकर पांच साल की मासूम के साथ दरिंदगी करने वाले आरोपी संजय गोस्वामी को न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। विशेष पॉक्सो अदालत का यह फैसला सिर्फ एक मामले की सजा नहीं, बल्कि उन सभी के लिए एक चेतावनी है, जो नन्हीं-मासूम जिंदगियों के साथ खिलवाड़ करने की हिमाकत करते हैं।


हैवानियत का ये मामला खैरागढ़ जिले के गंडई थाना क्षेत्र का है, जहां संजय गोस्वामी उर्फ मंगलू, एक दुकानदार ही नहीं एक शैतान भी निकला। साल 2023 की बात है। मंगलू ने आसपास के बच्चों में अपनी ‘अंकल’ वाली छवि बना रखी थी। एक दिन उसकी नजर पड़ोस की पांच साल की एक मासूम बच्ची पर पड़ी।



उसने बच्ची को पहले चॉकलेट देकर उसका विश्वास जीता। फिर एक दिन उसने उसे एक नए झांसे में फंसाया, मासूम बच्ची खुशी-खुशी उसके साथ चल पड़ी। दरिंदा उसे एक सुनसान ईंट भट्ठा में ले गया, जहां उस दरिंदे ने मासूम बच्ची के साथ वह किया, जिसकी कल्पना मात्र से रूह कांप जाती है।



दरिंदे संजय गोस्वामी ने अपना वहशी काम करने के बाद बच्ची को धमकी भी कि अगर किसी को बताया तो तुझे मार डालूंगा। डरती-सहमती हुई वह बच्ची घर लौटी, लेकिन उसकी आंखों में छुपा डर और चेहरे पर उदासी छुपी नहीं रह सकी। उसने हिम्मत करके अपने मां-बाप को सारी बात बता दी। परिवार ने तुरंत गंडई थाना पहुंचकर उस दरिंदे के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।


पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए दरिंदे संजय गोस्वामी को गिरफ्तार किया। मामला विशेष पॉक्सो अदालत में पहुंचा। विशेष अपर सत्र न्यायाधीश मोहिनी कंवर की अदालत में सुनवाई हुई। अदालत के सामने आरोपी के खिलाफ जो सबूत पेश किए गए, वे इतने मजबूत थे कि उसे दोषी करार देना ही पड़ा।


अदालत ने अपने फैसले में कहा कि यह सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि एक मासूम के बचपन और मानसिक शांति पर हमला है। इस तरह के जघन्य अपराध के लिए समाज में कोई सहानुभूति नहीं हो सकती। ऐसे में आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए। अदालत ने आरोपी संजय गोस्वामी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376(एबी), 376(2)(आई) और 506 के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट की धारा 4 और 6 के तहत दोषी ठहराया और उम्रभर के लिए जेल भेजने का आदेश दिया। यह फैसला सिर्फ एक मामले की सजा नहीं, बल्कि उन सभी के लिए एक चेतावनी है, जो नन्हीं-मासूम जिंदगियों के साथ खिलवाड़ करने की हिमाकत करते हैं। यह फैसला बताता है कि कानून की पकड़ से कोई बच नहीं सकता।.





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