मिलिए 95 साल की अम्मा से, जिन्होंने अपनी हिम्मत और डॉक्टरों की सलाह से कोरोना की जंग जीत ली,घर वालों का मिला सपोर्ट..

बिलासपुर. कोरोना की इस खतरनाक लहर में अपनी उम्र का आधे से ज्यादा पड़ाव पार कर चुकी एक वृद्धा ने आखिरकार कोरोना के संक्रमण से अपनी जंग जीत ही ली, लगातार डॉक्टरों की देखरेख और उनकी सलाह के अनुरूप होम आइसोलेशन पर रहकर उक्त वृद्धा ने समाज में हिम्मत के साथ पॉजिटिविटी का मैसेज दिया है।

एक तरफ जहा पूरे देश में लाखों लोगों ने अपनी जान कोरोना से गवा दी,वही कई ऐसे लोग भी है जिन्होने कोरोना ने न सिर्फ जंग जीती बल्कि एक पॉजिटिव संदेश समाज में दिया है। ऐसे ही कुछ लोगो में से एक 95 वर्षीय गुलाब बाई श्रीवास्तव है जिन्होने कोरोना को हराकर एक नई उम्मीद उन लोगो के लिए जगाई है जो कोरोना की वजह से कही न कही डर के साए में जी रहे है या फिर हौसला खो चुके है।

यह केस था चैलेंजिंग- टीम होम आइसोलेशन..

आयुश मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर सुष्मिता की देख रही में ही गुलाब बाई ने कोरोना को मात दी, उन्होंने बताया कि गुलाब बाई का केस हमारे लिए एक चैलेंज की तरह था। आमतौर पर हम इतने बुजुर्ग मरीजों को होम आइसोलेशन में रहने की सलाह नहीं देते है। लेकिन गुलाब बाई की बात करे तो उनकी कंडीशन शुरू से उतनी सीरियस नही थी इसलिए उन्हें हमने होम आइसोलेशन में रहने की सलाह दी। होम आइसोलेशन में रहते हुए हम उनकी लगातार मॉनिटरिंग कर रहे थे। उनका ऑक्सीजन लेवल की जानकारी लगातार परिवार वालो के जरिए हम ले रहे थे, साथ ही साथ उन्हे वीडियो कॉल करके भी लगातार उनके परिवार वालो से संपर्क में थे। जिसका नतीजा है की वो अब पूरी तरह से अब स्वस्थ्य है।

वही प्रशासन की ओर से होल आइसोलेशन डिपार्टमेंट के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी नूपुर राशि ने बताया कि हमारे डॉक्टरों की टीम की मेहनत का ही नतीजा है जो गुलाब बाई जैसी 95 साल की बुजुर्ग भी आज अपने परिवार के साथ स्वस्थ्य जीवन बिता रही है।

वही गुलाब बाई के बेटे अविनाश ने बताया कि डॉक्टर सुष्मिता और उनकी टीम के लगातार हार्डवर्क और लगनशीलता ही है जिसकी वजह से आज गुलाब बाई जैसे मरीज अपने परिवार के साथ बैठ कर एक खुशहाल जीवन जी रहे है।

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