‘रवि शुक्ला‘
उम्मीद की किरण.
कांग्रेस संगठन ऊपर से लेकर नीचे तक सत्तर जोड़ बहत्तर चिपकी है लिहाजा बिलासपुर भी कैसे अछूता रह सकता है, यहां भी संगठन के नाम पर सिर्फ 4- 5 चंगू मंगू है लेकिन धोखे से ही सही कभी- कभी कांग्रेस पार्टी अच्छा काम भी कर जाती है।
एक और पांडेय जी को उठाकर शहर की कमान दे दी गई इससे पार्टी का कुछ हो या ना हो, लेकिन पुराने कांग्रेसियों को मौका मिलने से दूसरे पुराने कांग्रेसियों का दुख दर्द उजागर हो गया। ऐसे कभी ना आने वाले कांग्रेसी शपथ ग्रहण के मौके पर कांग्रेस की दहलीज पर पहुंचे, उनके आंसू भर नहीं निकले लेकिन दुखों की बयार बह निकली कोई बता रहा था कि सत्ता-संगठन में उन्हें कोई पूछने वाला नहीं था और लालखदान फाटक पार एक चम्मच का चेहरा देख पहले से ही पुराने कांग्रेसी खार खाए है,चलो भला हो पांडेय जी का अब उनके आने से उम्मीद की किरण जागी है।
घर से तहसीलदारी.
पिछले हफ्ते कलेक्टर ने तहसीलदारों का कार्यविभाजन किया जिसमें रसूखदार तहसीलदारों को किनारे कर दिया गया और नए तहसीलदारो को मौका कलेक्टर ने दिया।अब ये तो वक्त ही बताएगा कि नए तहसीलदार जनता और कलेक्टर की उम्मीदों पर कितना खरा उतरते हैं,पर जिले में पदस्थ एक तहसीलदार के ऊपर जनता,कलेक्टर के साथ ही घर परिवार व पड़ोसियों रिश्तेदारों के नजर में भी खरे उतरने की जवाबदारी हैं।
हम बात कर रहे हैं बिलासपुर जिले के एक ऐसे तहसीलदार की जिन्हें कलेक्टर ने अपने गृह ग्राम की तहसीली जवाबदारी सौपी हैं और वह तहसील हैं मस्तूरी,जहां कलेक्टर ने उन्हें तहसीलदार का चार्ज दिया है। तहसीलदार का घर मस्तूरी तहसील के अंतर्गत आने वाले मल्हार में है, अपने क्षेत्र में पदस्थ होने पर अड़ोसी पड़ोसी मित्रो रिश्तेदारों जान पहचान वालो की उम्मीदें तो साहब से बंध ही गई होगी, साथ ही उनके ऊपर भी एक नैतिक जिम्मेदारी आ गई है कि वो यहां पदस्थ रहते अपने क्षेत्र के विकास के लिये क्या कुछ कर पाए। बाकी जनता व कलेक्टर को इनसे अच्छा करने की उम्मीद तो है ही। बहरहाल अब समय ही बताएगा कि वे लोगो के साथ ही साथ अपनी उम्मीदों में भी कितना खरे उतरते हैं।
हंसमुख को क्लीन चिट.
कांग्रेस की बैठक में विधायकों के बयान पर कोई कार्यवाही नहीं करने का ऐलान कर दिया गया। इससे सीएम खेमे की दुखती रग और दब गई है। पीसीसी ने साफ कहा है की विधायक के बयान से जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता और जनता को कोई फर्क नहीं पड़ता तो कांग्रेस संगठन का भी कोई लेना देना नहीं.
इससे जो हो या ना हो लेकिन बिलासपुर शहर में विधायक हंसमुख पाण्डेय को जरूर क्लीन चिट मिल गई है,सिंहदेव समर्थक पंकज के मामले में पुलिस कार्यवाही के बाद उन्होंने ऊपर से दबाव के कारण प्रताड़ना का आरोप लगाया था। जिससे संगठन में सीएम समर्थक चंगू मंगू उबल गए थे। बताते हैं कि विधायक खेमे को संगठन के इस मलहम से पुराने दाग धब्बे भर गए हैं और उनकी साख बन गई है।
शाबाश रेल अफसर.
जो कभी धोखे से पत्रकार रहा हूं वह पत्रकारों का दर्द भली-भांति समझता है और उनके कामों की परवाह भी करता है इस इस बात को साबित कर दिया है आरपीएफ जोन मंडल के युवा बड़े अफसर ने, मानना पड़ेगा उनकी सोच बड़े गजब की है। नया अभियान और काम की ऊर्जा से लबरेज इस अफसर की छवि लगातार बनते जा रही है।
रेलवे के हर छोटे – बड़े सामाजिक मसलों से लेकर बड़े अपराध पर उनकी पैनी नजर रहती है, वे मानते हैं कि तंग हाल पत्रकार सुरक्षा के मद्देनजर कितना बेहतर इनपुट देते हैं उतना तो परमानेंट नौकरी वाले बड़ी तनखा पाकर भी नहीं दे सकते। बेहद शालीन सहज इस अफसर के मन में पत्रकारों के लिए बड़ा सम्मान है इससे देखना हो तो एक बार उनसे जरूर मिलना चाहिए हो,बातों बातों में ड्राई फ्रूट्स और टेबल पर रखे अन्य खाने की चीजों के साथ बातचीत का दौर हो सकता है कि इनसे मिलने के पुलिस के प्रति गलत धारणाओं वाला मन बदल जाए।
और पढ़ो कलमा.
अफसर की कितनी भी मुंहलगी कर लो पुलिस महकमे के काम करना और काम को दिखाना भी पड़ता है साइबर टीम के अधिकारी को नए पुलिस कप्तान ने अब काम कर कुछ सीखने को कहा है। जो जिम्मेदार है उन्हें तो काम आता था पहले तो कोई और कलमा पढ़ लेता था अब उनकी भी रवानगी हो गई है।
गीता में लिखा है, हेआर्य कर्म ही श्रेष्ठ है,जो जैसा कर्म करेगा वैसा उसको फल मिलता है।
जांच की आंच में बैठे साइबर के अधिकारी नीचे वालो को हड़का रहे हैं कि माल लाओ नही तो कप्तान से चुगली कर दूंगा। अरे भई अब ऐसे में तो कोई काम क्या खाक करेगा जब नीचे वाली टीम ही साथ न दे रही हो तो और साथ दे भी तो कैसे,साइबर जैसी जगह में तोड़ी- तकाडी तो हो नहीं सकती सारा काम ऑनलाइन मतलब एक नंबर में होता है,अब भगवान ही मालिक है साइबर टीम का.