‘रवि शुक्ला’
लल्ला और स्किन प्रॉब्लम.
देश की सियासत का माहौल हिंदू मय करने भाजपाई नया नया फंडा उगा रहे हैं, कौन जानता था कि ऐसी फंडे बाजी में नगर के लल्ला फस जाएंगे और नाराज होकर हिंदू गरबा से बड़े बेआबरू होकर लौट जाएंगे। कहने सुनने में किस्सा बड़ा दिलचस्प है भाजपा और हिंदू संगठन से जुड़ी युवा टीम के मन में नवरात्रि पर्व पर एक आइडिया जागा।
चार चंगू- मंगू मिलाकर उन्होंने व्यापार विहार त्रिवेणी में हिंदू गरबा का आयोजन किया। जिसमें केवल हिंदुओं को ही प्रवेश देने के मकसद से दरवाजे के बाहर से लाई नई नवेली छोरियों को बिठा दिया गया। कोई पास नहीं कोई कार्ड नहीं, जो आएगा पहले उसे गंगाजल पिलाती फिर टीका लगाती और हाथ में जय श्री राम का ठप्पा भी लगाती। अतिथि बतौर जाहिर सी बात है बीजेपी के नगर लल्ला को बुलाया गया था। नगर के लल्ला समय से पहुंचे भी, भई नवरात्रि पर्व पर हिंदू गरबा था तो उनको आना ही था, आ गए और बिन बुलाई मुसीबत में फंस गए, पहले छोरियों ने गंगाजल पिलाया तो चलो जैसे तैसे पी लिए तिलक की बारी आई तो बोलो स्क्रीन प्रॉब्लम है, ठीक भी है यह कोई विजय तिलक थोड़ी था। जैसे तैसे नेग बतौर वो भी हो गया,अब बारी आई हाथ में जय श्री राम के ठप्पे की तो फिर स्किन प्रॉब्लम सामने आई,लल्ला बोले यह नहीं मिटला तो, दरवाजे पर खड़े खड़े हिंदू नौटंकी पर झल्ला गए।
भई मजाक है क्या, 5 साल तक शहर की सरकार चलाने वाले नगर के लल्ला के साथ टुटपुँजिया लोग ये सलूक करें फिर होना क्या था चूल्हे में जाए गरबा और नगर लल्ला उल्टे पांव वापस लौट गए.
कप्तान की क्लासेस.
सरकार ने आईजी- एसपी की राजधानी में क्लास ली, क्लास में कब क्या सवाल खड़े हो जाए हो कौन जानता है लिहाजा जिले के पुलिस कप्तान ने पहले ही थानेदारों की क्लास ले ली थी। मर्ग और पेंडेंसी का हिसाब-किताब मांगा, पता चला कि वीआईपी थाना मे कुछ पेंडिंग है तो साहब ने ताकीद कर अच्छा काम करने की ताकीद दी,
(👆 नो कमेंट्स)
सेकेंड में पचपेड़ी थाना यहां वाले ने शराब पकड़ी लेकिन शाम तक कप्तान को रिपोर्टिंग नहीं की, मामला संदिग्ध निकला तो लो सुनो फटकार, थर्ड का इनाम हिर्री को मिला यहां तो गांजा नष्टीकरण से पहले जप्ती में से 45 किलो गांजा ही कम हो गया। पुलिस कप्तान ने आंखें ततेरी चौथा कोटा तो पांचवां मस्तूरी का नम्बर आया,यह दोनों थाने में भी पेंडेसी के मामले में नवाब निकले आखिरकार पुलिस कप्तान ने चेता दिया काम करो मेरा को फेवरेट थानेदार नही है।
सिम्स को मिला सहारा.
संभाग का सबसे बड़ा मेडिकल कालेज सह अस्पताल सिम्स पिछले कुछ समय से राजनीति का अखाड़ा बना हुआ है। कुछ समय पहले कांग्रेसी नेता से विवाद के बाद चर्चा में आया सिम्स डॉक्टरों की आपसी रस्साकस्सी व खींचतान की राजनीति के कारण कई महीनों से चर्चित रहा है। यहां डॉक्टरों के द्वारा इलाज करने से ज्यादा एक दूसरे को निपटाने और निपटने का खेल ज्यादा खेला जा रहा हैं।
राजनीति तो इस कदर हावी है कि यहां के राजनीति कार डॉक्टर स्वास्थ्य मंत्री की बात को दरकिनार कर दे रहे हैं। सिम्स में 316 कर्मचारियों ने नियमितीकरण को लेकर 59 दिनों तक हड़ताल कि जिससे सिम्स की व्यवस्था चरमराई हुई थी। अधिकतर हड़ताली कर्मी नियमित होने के लिये पात्र भी थे,पर पुरानी लेड़ी डीन ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नही उठाया। विधायक भी हड़ताल खत्म करवाने धरना स्थल पहुँचे, यहां तक कि सूबे के मंत्री ने भी लेडी डीन को सभी पात्रों को नियमित करने के आदेश दिया था पर उसे भी दरकिनार कर दिया गया। लिहाजा सिम्स में सर्जरी हुई और सिम्स को सहारा मिला और चंद घण्टो में ही हड़ताल खत्म हो गई।
अब सवाल यह उठता हैं कि जब सहारा मिलते ही हड़ताल खत्म हो सकती है तो इससे पहले यहाँ के स्टाफ आखिर तृप्ति क्यो नही मिली? खामख्वाह मरीजो को दो माह तकलीफ झेलना पड़ा। इसी तरह सिर्फ 8 महीने पहले ही सिम्स में बस्तर से सिम्स वापस हुए बिलासपुरिया पुत्र एक डॉक्टर का तबादला फिर बस्तर कर दिया गया। 2019 में भी उनका यहाँ से तबादला हुआ था,अब डॉक्टरों की रस्साकस्सी में एक डॉक्टर की शिकायत के चलते उनको निपटा दिया गया। बहरहाल जो भी हो सिम्स की चरमराई व्यवस्था को एक डॉक्टर का सहारा तो मिल गया हैं पर आगे देखना यह हैं कि डॉक्टरों की रस्साकशी में खुद उनको अपने कदम संभालने के लिए किसी सहारे की जरूरत न पड़ जाए।
भगवान भला करे.
ईमानदार और कड़क अफसर का सुख शहर को अब देखने को मिल रहा है। पहले जो पुलिस नही करती थी अब पटरी पर आकर करने लगी है,जैसे जुआ -सट्टा और अवैध कारोबार पर कार्रवाई हर दिन, कहि न कही, कुछ न कुछ देखने को मिल रहा है।
मगर सब से बड़ी राहत यह है कि चौक-चौराहों पर हैलमेट के नाम पर उगाही एक तरह से बंद है। बाइक सवारों और मध्यम वर्गीय लोगो को इससे राहत है पहले जगह – जगह घेरा बनाकर छोटी मछलियां पकड़ी जाती थी ज्यादा लोगों को इधर-उधर भागना पड़ता था पता नहीं किस साफ है कारनामा है कि कुछ चौक चौराहों पर तैनाती तो होती है लेकिन ऐसे विवाद में अब कम होती है बस स्टैंड से इक्का-दुक्का जब होगा भले कोई तोड़ी मोड़ी कर लेता भगवान भला करे ऐसे अच्छे दिन लाने वाले साहब का.
बड़े साहब की मीटिंग और नम्बर.
प्रदेश की पुलिसिंग को लेकर राज्य के मुखिया ने पूरे महकमें का हाल चाल तो ले ही लिया है ऐसे में विभाग के बड़े साहब भला कैसे चूक सकते हैं। साहब ने वीसी कर रेंज के आईजी और एसपी से रूबरू हुए,कोरोना काल के काफी दिनों बाद यह पहला मौका था जब बड़े साहब और विभाग के अफसर आमने सामने थे।
साहब ने राज्य में चल रही पुलिसिंग का प्रेजेंट और फ्यूचर को लेकर डिस्कस किया और और कलेक्टर के साथ मिलकर पुलिस अधीक्षको को आने वाली समस्या के समाधान के लिए प्लानिंग करने के टिप्स भी दिए हैं। यूं कहें की बड़े साहब का टारगेट कवर्धा और पत्थलगांव कांड था। जहां पुलिसिंग को लेकर बहुत छीछालेदर मचा हुआ है वही बस्तर के कोंडागाँव और सुकमा में चल रहे धर्मांतरण की भनक भी बड़े साहब को हैं जिसे रोकने दोनों जिलों के एसपी को कहा है पिछले दिनों एक समुदाय के त्यौहार को बड़े शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए ऊर्जा नगरी के पुलिस कप्तान को अच्छे नंबर मिले हैं बढ़ते घटते नम्बर की बात करें तो जाहिर है खिंचाई भी हुई होगी तो वही न्यायधानी की पुलिसिंग में आई कसावट का हाल पूरा राज्य जान रहा है कुल मिलाकर इस मीटिंग में कुछ के नंबर बढ़े तो कुछ के नंबर घटे हैं इन पर साहब नजरें बनाए हुए।