‘रवि शुक्ला’
मेजर V/& आईपीएस.
पुलिस डिपार्टमेंट में अर्दली और सेना में मेजर यह बहुत जाना पहचाना नाम है। हैरत की बात यह है कि एक मेजर पुलिस डिपार्टमेंट में भी है जो इन दिनों रेंज के मालदार जिले में थानेदारों और उससे नीचे वालों को चमका धमका रहा है।
पहले हीरे की खदान में पुलिस कप्तान के साथ था और खूब सोटरंजन किया। युवा आईपीएस साहब का ट्रांसफर हो गया। अब वह कोयले की खदान में पुलिस कप्तानी कर रहे हैं तो अर्दली के बिना काम कैसे चलता लगे हाथ मेजर को भी अपने पास बुलवा लिया। अब वहां भी चल रही है मेजर की दुकानदारी, हालत तो यह है कि बेचारे टीआई उस मेजर से चमके धमके रहते हैं। स्टाइल इतनी गजब है कि मालमत्ता तो अपनी जगह है। लेकिन पुलिस कप्तान को खुश रखने की अदा भी कम नहीं है बताते है कि इंतजाम अली मेजर खुद गाते फिरता है कि मैं इतने काम की चीज हु कि आधा दर्जन से अधिक पुलिस कप्तानों का वारा न्यारा कर चुका हु। भला हो पुलिस डिपार्टमेंट में ऐसे मेजर का.
टोपी मास्टर की आवभगत.
सियासत में एक बार बड़ी कुर्सी मिल जाती है तो लीडरशिप के गुण खून में घुस ही जाते हैं। फिर वह मरनी, हरनी, शादी-ब्याह कुछ नहीं देखता भाजपा के टोपी मास्टर एक बार मेयर क्या बने कि उन्हें भी कमांडरी की आदत पड़ गई। पिछले दिनों दिवंगत पूर्व मंत्री की तेरवी में शहर के लोग टूट पड़े थे। पूर्व मुख्यमंत्री का भी आगमन हुआ पूर्व दिवंगत मंत्री की याद में आयोजन भी बढ़िया था।
हालांकि यहां नगर के लाल के खेमे का कोई नहीं दिखा लेकिन टोपी मास्टर पूरे समय मौजूद रहे। बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की तरह हर किसी की आवभगत की, सब से मिलना, जुलना ,भोजन पानी के लिए पूछताछ भी किया। भई स्वाभाविक है जिसने मेयर की कुर्सी पर रहते किसी को एक कप चाय के लिए नही पूछा अचानक उसका हाव भाव देखकर लोग हैरान हो गए और एक दूसरे से पूछने लगे कि भैया,टोपी मास्टर नहीं सारी व्यवस्था कराई है क्या.
जुगल जोड़ी.
कहते है जेल वो जगह है जहां जिस असफर की चली समझो निकल पड़ी। भई मलाई सोटने से लेकर सारा हिसाब किताब जो उनके पास रहता है। अपने खास मातहतो के कंधों पर मनमाने तरीके से काम को लाद लगे रहते है जेब गर्म करने, क्योंकि की जेल की चार दिवारियो के भीतर झांकने तो कोई जाएगा नही।
खैर सेंट्रल जेल में भी बड़े मियां तो बडे मियां छोटे मियां सुभानअल्लाह की तरह कामकाज चल रहा है। दोनो की जुगल जोड़ी क्या खूब जमी है। सारे फैसले एक रॉय होकर करते है बाकी जाए तेल लेने दोनो की तिगड़ी ऐसी है कि जेल की निविदा से लेकर माल कमाने का सारी जिम्मेदारी अपने सिर उठा रखा है। आलम तो यह है कि प्रदेश में कांग्रेस के राज में दोनो की जुगलबंदी से पूर्व सत्ताधारी सरकार चमचो के अलावा ढाई साल बाद में सत्ताधारी दल या कोई नई फर्म पैर नही जमा पा रही है। कोई बता रहा था कि जिसने जेल में कामकाज भी किया बडे मियां को चूना लगा कि निकल लिया। अब टेंशन में जुगल जोड़ी दूसरों पर ठीकरा फोड़ने में लगे है।
सिम्स का सहारा.
कुछ समय पहले सिम्स में सरकार द्वारा फेरबदल किया गया। पुरानी डीन के कामो से कर्मचारियों के साथ ही सरकार को तृप्ति नही मिल पा रही थी। लिहाजा सरकार ने लड़खड़ाते सिम्स को नए डीन का सहारा दिया। इनके आते ही सिम्स को सहारा मिला और जॉइनिंग करने के दिन ही 59 दिनों से चली आ रही सैकड़ो कर्मचारियों की हड़ताल खत्म हो गई। कर्मचारियों के जॉइनिंग के साथ ही सिम्स की व्यवस्था पटरी पर आ सकी। सिम्स के सहारे सहारा देने के साथ ही सहारा छीनना भी अच्छी तरह से जानते हैं।
कुछ दिनों पहले सिम्स में एक जूनियर डॉक्टर को सीनियर डॉक्टर ने थप्पड़ मार दिया। जिससे नाराज सारे जूनियर डॉक्टरों ने अनिश्चित कालीन हड़ताल करते हुए काम बंद कर दिया। तब सहारे ने ऐसी चाबुक घुमाई कि बिना चलाये ही अनिश्चित कालीन हड़ताल चंद घण्टो में ही खत्म हो गयी। बताते हैं कि सिम्स प्रबन्धन ने स्पष्ट चेता दिया कि हड़ताल चाहे कितने ही दिन चल जाये पर उतने दिन हड़ताली जूनियर डॉक्टरों की इंटर्नशिप में नही जुड़ेगी। साथ ही इन्टर्नशिप खत्म करने में भी दिक्कते आ सकती हैं। अपनी डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के लिये सिम्स से इंटर्नशीप का सहारा लेने वाले जूनियर डॉक्टर इस घुड़की से इस कदर घबराए कि उन्होंने हड़ताल चंद घण्टो में ही खत्म कर डाली।