मुंह फट

‘रवि शुक्ला’

बाहर से सख्त अंदर से नरम.

जिले में करीब आठ माह पहले एक पुलिस वाले साहब आए है। देहात के थानों की कमान और लोगो को झांसा देकर मोटी रकम उड़ा ले जाने के मामलों के नोडल अधिकारी के बारे में बड़ी चर्चा है कि वह बड़े घमंडी है किसी से सीधे मुँह बात नही करते अरे भई पुलिस अफसर है इतना भी रुतबा न दिखाए तो कैसे चलेगा।

खैर साहब दिखने में जितने सख्त है भीतर से उतने नरम दिल,औरो की तरह तामझाम-जश्ने पार्टी से दूर रहते है और रंगीन गिलास पकड़ने से तो तौबा तौबा,लेकिन ग्रीन टी के बड़े शौकीन हैं। जिससे दिल मिल गया बकायदा चाय की चुस्कियों के साथ बात करते है। चाय भी ऐसी बिना शक्कर की, कहते है मै तो शक्कर लेता नही आपको चाहिए तो शक्कर से भरी पूरी प्लेट सामने है। इशारा साफ है, ज़्यादा मीठा स्वास्थ के लिए ठीक नही और ज्यादा मीठा बोलना भी नही,कभी मिल के देखिए इन साहब से इनके मीठे और कड़वे पन का पता चल जाएगा।

चुनाव, कहि पे निशाना.

शहर का तारबहार वार्ड आजादी के बाद से कांग्रेस आजतक नहीं हारी है। लिहाजा अब कांग्रेसी हारेंगे या ऊपरी तौर पर दिखता भी नहीं है, कम से कम एक बार और कांग्रेस की नैया गफ्फार भाई के भरोसे पार लग जाएगी और यह बातें सभी कांग्रेसियों को पता भी है।

शायद यही वजह है कि शहर में कांग्रेस की निगम सत्ता और संगठन दोनों ही हंसी ठिठोली कर रहे हैं। चुनाव में रस्म अदायगी कर थूक में लाडू बांधे जा रहे हैं। मेयर की टीम को मीडिया मैनेजमेंट और कार्यकर्ताओं को संतुष्ट रखने का जिम्मा दिया गया है। मगर कहीं कोई फूटी कौड़ी नहीं गलाई जा रही है। वही संगठन भी जान सब रहा है, लेकिन देख सिर्फ एक आंख से रहा है। वैसे भी संगठन को देखने सुनने के लिए टाइम ही कहां है सारे दिन चश्मा जो चढ़े रहता है।

सिंहदेव बनाम शावक.

प्रदेश में कांग्रेस की सत्ता को तीन साल हो गए और तीन सालाना जश्न भूपेश टीम मना रही है। ऐसे में टीएस बाबा का अढैया फार्मूला फेल होता दिख रहा है। असल में सिंह देव समर्थकों के पास अवसर था। लेकिन प्रयास ढंग से नहीं हुआ।

इन सिंह+देव ,समर्थकों में एक शावक भी बढ़ गया है। आधा तो इसकी उछल कूद से सिंह देव समर्थकों की बाड़ी खैता हो रही है, वही हंसमुख पाण्डेय के मुंह लगे शावक ने सिम्स में मारपीट कर बवाल किया। फिर एक समाज के झगड़े में पड़ टुटेजा लोगों से भिड़ गए, आए दिन रोजाना नए कारनामे, रात के आठ के बाद पता नहीं क्या चढ़ जाता है की यह शावक शेर बन जाता है। मगर सिर्फ सोशल मीडिया पर फिर प्रदेश सरकार व संगठन पर सार्वजनिक रूप से दे उल्टी दे उल्टी, जरा कुछ सोचो ऐसे में सिंह देव समर्थकों की क्या छवि बनेगी और कैसे उनसे लोग जुड़ेंगे, इन्हीं हरकतों से स्वर्णियम समय से सिंह देव और उनके समर्थक चूक गए।

भू माफियाओं का अजब गेम.

जमीन का खेला तो बीजेपी की सरकार में भी तो बड़े पैमाने पर होता था। कांग्रेस की सरकार में बस इतना फर्क पड़ा है कि इस खेल का विकेंद्रीकरण हो गया है। सू संगठित तरीके से बिल्डर और जमीन के बड़े कारोबारी पैसा देकर मुहिम चलवा रहे हैं कि अवैध प्लाटिंग पर कार्रवाई हो, इनके लेआउट पास ना हो, छोटे प्लाट लेने वालों की रजिस्ट्री ना हो।

क्योंकि ऐसा होगा तभी ये लोग महंगे दाम देकर जमीन लेने बिल्डरों तक पहुंचेंगे और बड़े लोगों का भला होगा। भू माफियाओं के इस मुहिम में राजस्व और प्रशासन के अफसर भी शामिल हो गए हैं। राजस्व मंत्री तक को कन्वेंस करा लिया गया है। लेकिन सीएम का फरमान न आने से इनकी दाल गलना बाकी है, लगता है कि कांग्रेसियों को याद है कि बीजेपी ने भी ऐसे और छोटे प्लाटों की रजिस्ट्री करवाई थी तो हैट्रिक बनाने वाली बीजेपी की सरकार सद्दे से उड़ गई। अब कांग्रेसियों को याद रखना चाहिए कि छोटे प्लाट वाले गरीब लोग जमीन के धंधे के चलते नाराज न हो जाएं वरना सत्ता हाथ से खिसक जाएगी।

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