‘रवि शुक्ला’
पुलिस में खलबली.
कांग्रेस सरकार अपने तीन साल पूरा करने की ओर अग्रसर है तो जाहिर तौर पर प्रशानिक रूप कसावट लाना भी लाजमी है। जिले में पिछले कुछ दिनों से एक पुलिस अफसर के तबादले की चर्चा जोरों पर है उनके बैचमेट के अलावा राज्य और जिले भर पर में शहरी वाले साहब खो हो रहे है सब की जुबान पर.
जिसकी मुख्य वजह अब जिला में अबला से सबला बनी चुकी पुलिस अधिकारियों की टीम के मत्थे होना बताया जा रहा है। महिला पुलिस अधिकारी भी वो जो शहर में पहले बखूबी पुलिसिंग कर चुकी है और एसएसपी के साथ उनकी जोड़ी आज भी याद की जाती है। इधर खूब तबादले की हवा उड़ी बात बी टीम तक भी पहुच गई। आखिकार सरकार ने हाल ही में लिस्ट जारी की और अब कुछ साफ हो गया वैसे शहरी वाले साहब का लगभग कामकाज पूरा हो गया है आगे कभी भी रवानगी हो सकती है।
पॉर्ट 2- जैसे भेस वैसा देश, यह लाइन सुनने में जरा उलट-पलट जरूर है शहर के बीच इलाके की एक महिला पुलिस अफसर भी कुछ इसी तरह है। जब से आई है पूरे घर का बदल डालूंगी की तर्ज पर ऑफिस का हुलिया ही बदल दिया। अपने बैठकी से लेकर रिकॉर्ड रूम का कोना कोना व्यवस्थित कर पूरा ऑफिस खुद की तरह खूबसूरती से सवार दिया है।
एक तो महिला ऊपर से अफसर होने कारण पूरा ऑफिस अब बदला-बदला सा नजर आने आने लगा है। जीवन मे पढ़ाई और ग्रह नक्षत्र पर विश्वास रखने वाली साहिबा का मानना है कि जहां भी रहो खुद के साथ अपने आसपास के रखरखाव पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए।
पॉर्ट 3- ठंड का मौसम और हर तरह क्रिकेट का खुमार ऐसे में अचानक कोई जमा विकेट भसक जाए तो विभाग वालों के साथ लोग तो कहेंगे ही। खैर नवा एसएसपी के आने के बाद जिले की जड़ में जमी एक कली का ऑफिस अटैचमेंट से कइयों के पेट फूल रहे है।
वैसे तो कामकाज में माहिर है लेकिन जड़ से निकाल अपने आसपास की बगिया में लगाए जाना समझ से परे है। कोई बता रहा था कि जांच की आंच भी उठ चुकी है इसलिए महोदया ने फील्ड से हटा दिया है इधर कोरोना की मार झेल रहे पुलिस विभाग कई थानेदार भी इसकी जद में आ गए। अब कामकाज का भी भार है जब कोई नजर नही आया तो कुछ दिनों के लिए बैलेंस करने के वीआईपी इलाके के थाने का चार्ज दे दिया। पता तो उनको भी है कि आखिरकार जाना तो एक दिन यहाँ से है ही सो कुछ दिन उधार की थानेदारी का एक स्टाइल दिखाया और फिर से लौट गए आदेश के परिपालन में.
पॉर्ट 4- अफसरों की चापलूसी करना अब ट्रेड बन गया है जरूरी भी है और नही किए तो गाड़ी कैसे चलेगी,पुलिस विभाग में भी एक हरिराम है जिसका काम तो पुलिस लाइन की गाड़ियों की देखभाल करना है। एएसआई प्रमोट हुए तो इनकी खूबियों को सुन पहले वाले प्रदेश के बडे साहब ने नक्सल प्रभावित बस्तर में सेवाए देने रवाना कर दिया था।
लेकिन कुछ अधिकारियों का मुंह लगे (एक तो अभी डेपुटेशन से लौटे है) एएसआई किसी तरह अपनी वापसी करवाने में सफल भी हो लिए काबिलियत तो इनमें बहुत है तभी तो मूल कामकाज छोड़ एक दूसरे की कानाफूसी करने में लगे रहते है। चाहे वो किसी भी पद का अधिकारी हो,आदत से लाचार है शुरू से जो सीखा आज भी वही कर रहे हैं। अफसरों के इंतजाम अली भी होना जरूरी है और कभी किसी अफसर को शीशे में उतारने गंगा किनारे तक जाना पड़े तो उससे भी कोई हर्ज नही है। कामकाजी इतने है कि प्रदेश में कब,कौन, क्या कर रहा है सबकी खबर रखते है हरिराम, वैसे फ्री में एक सलाह है वक्त रहते आदत सुधार लो पता नही किस दिन गाड़ी का इंजन भुस हो जाए।
पॉर्ट 5- आरपीएफ पोस्ट में एक राजकुमार है टशन इतना कि संभाले नही संभलता, पोस्ट के मेन गेट में बिना मास्क के ड्यूटी बजाते है, आने वाला कोई भी हो सब को दुश्मन भरी निगाहों से ऐसा देखते है जैसे हर कोई अपराधी ही हो,कामकाज तो कुछ खास नही मगर बॉडीलैंग्वेज धुर्रा उड़ा दे।
अरे भई जिस आरपीएफ के बड़े युवा अफसर और पोस्ट इंचार्ज मिलनसार और काफी सरल स्वभाव के हो और वहां ऐसे राजकुमार के बोलचाल से किसी को दो चार होना पड़े तो कैसा लगेगा। अब तो सोशल मीडिया का जमाना है कब कोई लपक देगा शायद पता भी न चले फिर तो आज के जमाने मे राजशाही कम ही बची है और अच्छे- अच्छों की बादशाहत चली गई।
मेयर और बाउंसर.
यह बात तो सब को पता है कि दाऊ की पूजा पाठ को लेकर अनुराग कहा कहा है। कोई बात रहा था कि पिछले दिनों कका का सरगांव आगमन हुआ, लिहाजा शहर की ए टीम उनके आवभगत के लिए पहुंची।
मौका मिला तो शहर के प्रथम नागरिक मुखिया के स्वागत के लिए आगे बढ़े अरे ये क्या धाम के बाउंसरो ने रोक दिया। फिर क्या शुरू हो गई जद्दोजहद पुलिस अफसरों ने ले देकर मामला शांत करवाया और मुलाकात हुई कुछ न कहा गई भैस पानी मे,इधर कका ने अफसरों को लंच पर इनवाइट किया तो आउट टाइम को देखते हुए अफसरों ने भी कह दिया सर नो थैंक्स.