‘रवि शुक्ला’
बेचारे पंडित जी.
पुलिस मैदान में झंडा फहराने आए पंडित जी का प्रशासन के आला अफसरों ने प्रोटोकॉल के तहत जैसा सम्मान होना चाहिए था वैसा नहीं किया। कोई बता रहा था कि रात में कलेक्टर-एसएसपी मिलने तक नहीं गए, कोई पूछ-ताछ भी नही वैसे भी इसमें बेचारे अफसरों की क्या गलती है।
संसदीय सचिव पद ही ऐसा है, मंत्री है भी और नहीं भी, ऐसा लगता है जैसे मंत्रिमंडल में कोई थोपा गया हो, अब इसे सरकारी भाषा में अटैचमेंट भी कह सकते हैं। लिहाजा ऐसे अटैच मंत्री न कुछ बना सकते और न ही कुछ बिगाड़ सकते, अफसरों की नस्ल ही ऐसी कि सूंघ कर पता लगा लेते हैं कि किस नेता में कितना दम है। सबको पता है कि संसदीय सचिव दमदार नहीं होते अब दमदार नहीं है तो अफसर पूछ कैसे हिलाए बेचारे पंडित जी बुरा मान जाए तो माने, बहाने भी कम नहीं होते इनके पास कलेक्टर कहते हैं धर्मपत्नी बीमार थी तो जाहिर सी बात है कलेक्टर नहीं गए तो एसएसपी को जाने की क्या जरूरत थी वही हाल सेकंड लाइन के अफसरों का भी रहा।
काट की हांडी.
कांग्रेसी कुकुर कटान के लिए शहर से लेकर वाया पंजाब,भटिंडा होते हुए दिल्ली तक मशहूर है। कार्यक्रम समारोह कैसा भी हो बिना आपस में लड़े इनकी रोटी नहीं पचती इन सबके बावजूद जनता बेचारी झोला भर भर के कांग्रेस को वोट दे रही है। इसी वजह से तारबहार में गफ्फार भाई की नेमत से कांग्रेस चुनाव जीत गई।
कुछ दिनों पहले मौका था पार्षद भाईजान के शपथ ग्रहण का, इसमें सिंहदेव समर्थक पाण्डेय जी के कंधे रौंदकर बघेल समर्थकों की नजर में चढ़ने का काम फिर से हुआ। इस बार एक आंख से संगठन देखने वाले ने इस स्टाइल को आजमाया, इससे पहले जिन लोगों ने इस स्टाइल को अपनाया था आज वह मंत्री-संत्री का दर्जा प्राप्त है। लिहाजा सत्ताधारी पंडित जी को संगठन के पंडित जी दगा दे गए। कलेक्टर के सामने खूब तू-तू मैं-मैं एक पंडित ने दूसरे पंडित की घनघोर बेज्जती कर डाली, मगर सोचना चाहिए काट की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती पर क्या करें सियासत है किसी को ट्राई करने से रोक नहीं सकते।
एक साथ रवानगी, कहि और?
ढाई साल सरकार को बीतने पर सख्ती दिखाते हुए प्रदेश भर में जुए,सट्टे पर लगाम कस दिया गया। आखिर ढाई-ढाई साल की भी खींचतान मची हुई थी,लिहाजा छवि चमकाओ अभियान भी चलाना जरूरी था। इसलिए पुलिस मुख्यालय से निर्देश जारी हुए और राज्य के सभी जिलों के पुलिस कप्तानों ने अघोषित रूप से चल रहे जुआ सट्टा के कारोबार को समेट लिया।
धीरे धीरे ढाई-ढाई साल का भूत तो उतर गया पर जुआ-सट्टा को लेकर सख्ती जारी रही। लम्बे समय से फ्री हैंड नही मिलने से कई एसपी कसमसा गए,और बगैर अनुमति का इंतजार किये राज्य के कुछ जिलों में जुआ सट्टा शुरू करवा दिया। डोंगरगढ़ में जुआ चलने की खबरे तैरी, फिर इत्तफाक ऐसा बना कि राजनांदगाव के एसपी के साथ वहां पदस्थ तीन एडिशनल एसपी व तीन डीएसपी रैंक के अफसरों के एक साथ तबादले हो गए। चटखारे लेने वाले दोनो को जोड़ कहानियों को जोड़ कर ही मजा ले रहे हैं। इसके बाद बिलासपुर रेंज के एक जिले में जंगल में टेंट में जनरेटर लगा कर जुआ चलने का वीडियो वायरल हो गया। बताया जा रहा हैं कि वायरल वीडियो रायगढ़ का हैं। रेंज मुख्यालय बिलासपुर से सटे जिले में भी पुलिस की सरपरस्ती में लंबा जुआ चलने की खबरे तैर रही हैं। अब देखना ये हैं कि यहां के पुलिस विभाग में इत्तफाकन कोई तबादले न हो जाये वरना लोग इसे राजनांदगाव की तरह ही जुए की सजा बतौर हुए तबादला समझ कर चटखारे लेने लगेंगे।
एक और अफसर.
पता नहीं छत्तीसगढ़ सरकार क्या चाहती है एक के बाद एक अच्छे अफसरों की विदाई कर रही है। पहले प्रदेश के डीजीपी को बदला अब नगर निगम के कमिश्नर एक आईएएस रूठ गए है। इस अफसर के बारे में लोगों का कहना है कि पूरे कोविड महामारी में तड़पते लोगों के लिए दिल खोलकर लगे रहे। रात के दो बजे तक फोन उठाते और लोगों के साथ मातहतों के मैसेज का रिप्लाई भी करते.
होना चाहिए,अफसरों को ऐसा ही होना चाहिए, वैसे किसी के अच्छे किए को भूलना भी नहीं चाहिए।आज तीसरी लहर में वह खुद को पीड़ित हो गए और धर्मपत्नी प्रेग्नेंट है। ऐसे में अचानक उन्होंने एक माह की छुट्टी ली तो पूरा सिस्टम चौक गया। कहते है आईएएस अफसर सरकार में हुकुमकारों से खफा हो गए हैं। एक बात तो तय है अच्छे अफसर किसी की नहीं सुनते और जो चाटुकार होते हैं कोई काम के नहीं, इतनी सी बात सरकार को समझ आ जाए तो क्या कहने.
बड़े साहब संग सुपर सीएमएचओ.
यू तो लम्बे समय से बिलासपुर के सीएमएचओ आफिस में एक सुपर सीएमएचओ जमे हुए हैं। जो हैं तो ग्रेड तीन की पोस्ट में पर जलवे उनके किसी क्लास वन अफसर से कम नही है। जिस कागज पर उंगली रख दे,उस पर नियम कानून उनके हिसाब से प्रिंट हो जाता है। आलम यह हैं कि जिन कम्पनियों को ब्लैक लिस्टेड होना चाहिए उन कम्पनियों को सीधे सीधे सरकारी सप्लाई की छूट दे दी गयी हैं।
सकरी के पेंडारी नसबंदी कांड में जिस फर्म को अमानक दवाई सप्लाई करने पर ब्लैक लिस्टेड किया गया था,सुपर सीएमएचओ ने उन्हें ही दवाई सप्लाई का टेंडर दे डाला और इसके लिये बकायदा भंडार क्रय नियमो की अनदेखी भी की गई। नियमानुसार सीजीएमएससी से खरीदी की जानी चाहिए थी,पर छोटा-छोटा आर्डर बता पार्ट-पार्ट में लोकल फर्मो से सप्लाई ली जा रही हैं। कोई कह रहा था कि इन फर्मो में सुपर सीएमएचओ की अघोषित भागीदारी हैं। सुपर सीएमएचओ ने इसके लिये बकायदा विभाग के एक बड़े अफसर को भी साध लिया है। रोज दिन ढलते ही गहराती रात में महफिल सजती है और कुछ मदहोश कर देने वाली टकराने की आवाज आती है ये सब बड़े साहब संग होता है। अब बड़े साहब के लिए जमीर बेच कर इतनी सेवा कर रहे हैं तो मेवा तो बनता ही हैं। साहब भी रोज शाम की सेवा से खुश हो सुपर सीएमएचओ की कारगुजारियों को अनदेखा कर रहे हैं।