मुंह फट

रवि शुक्ला’

उप चुनाव टेकओवर.

खैरागढ़ का उपचुनाव एक चुनाव ही नहीं है बल्कि कांग्रेस के लिए मिडटर्म एग्जाम है। एक तरह से यह लिटमस्ट टेस्ट की तरह है कि आगे कांग्रेस किस कंडीशन में होगी,वैसे अब तक तो सब कुछ वन मैन आर्मी की तरह ही चल रहा है,पर कब तक चलेगा कह नहीं सकते.

वैसे भी कका- बबा में एक्सचेंज की हवा इस चुनाव के रिजल्ट के बाद फिर से उड़ने लगी जाने क्या होगा,इधर भाजपाई हिंदू-हिंदू कर के छानी-बाड़ी में घुस रहें है।
कांग्रेस के पास इसका तोड़ पूरे देश भर में नहीं मिला है,फिर भी राहत की बात यह है कि आम तौर पर सरकार कोई बाई इलेक्शन नही हारती,बहुत कम देखने को मिलता है जैसे कोटा उपचुनाव.

कांग्रेस v/s कांग्रेस.

कांग्रेस की सरकार चाहे संसद में हो रहे या नगर निगम में अनुशासन नाम की चीज नहीं होती, जहां कांग्रेस की सरकार होती है वहां विपक्ष की जरूरत नहीं पड़ती क्या चार दिन सब ठीक चलता है, फिर कांग्रेसी विपक्ष का रोल अदा करने में लग जाते हैं।

भाजपाई इस गुणधर्म का अच्छे से समझते हैं शायद यही वजह है कि लखीराम ऑडिटोरियम में नगर निगम की जंगी सभा में कांग्रेसियों को लड़ता देख भाजपाई खिसक लिए ऊपर से बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना टाइप एक माननीय भी सभा में पहुंचे थे। वैसे सरकार की योजनाओं का बखान कर जोरदार सभा को टेकओवर भी किया और संस्कार से लबरेज माननीय ने प्यार-मोहब्बत से विपक्ष की चुटकी भी ली, जहा एक ओर निगम सरकार ने अपने ही अफसरों की खिंचाई की तो वही माननीय ने अफसरों को पुचकारा, खैर हो ना जाना कुछ नहीं गिलास फोड़े चार आना, अभी भी 2 साल वक्त है कांग्रेसियों के सुधरने के लिए वरना पंजाब की तरह सिधर जाओगे और हवा भी नहीं लगेगी।

हमर जिला पुलिस-पार्ट 1.

कका-बबा के राज्य मा जिले के एक थानेदार हे जेन हा दाई-महतारी के लिए अब्बड़ चर्चा में आत हे, शनिचर के दशा ले परो दिन निकले के बाद भी सुधरे के नाम नही ले हे, थाना जात ही थानेदार हा बिना दाई-महतारी के बातेंच नई करें, कई ता डरा के थाने नई जात हे,लइका हो या सियान छुकछुक गाड़ी देखे बर अउ ता अउ शहर ले रेलवे कोती जाए बर डरात हे थाना के बात ता दूर हे.

आने बतात रहिस के जात-जात कहि रास्ता मा थानेदार ले भेंट हो जाहि त ओखर कोई भरोसा नही दाई-महतारी शुरू कर देहि ता,जाए दे रे,रात में घलो निकलथे गुमटी-पान ठेला ला बंद कराए बने भी हे,साहबों मन कहिथे आने के दबदबा ठीके चलत हे, लेकिन एक बात ला सोचे के बात हे कका-बबा के राज मा का भरोसा,तय हा अइसने करबे ता,थोड़ा मिठलबरा कस गोठियाए कर न जी,कोने कका-बबा तक पहुंच गे ता ले के दे पड़ जाहि.

पार्ट 2.

परे दिन ले बड़े मेडम हा जिला के कामकाज देखथ हे,कसावट मा कोने कमी नही हे जहां देखथे गलती तपाक ले चाहे कोने भी हो ओखर क्लीन बोल्ड,सिधवी मगर अपन रूप मा आए त मातहत मन के बखेड़ा उखाड़ दे, मेडम कुछु थानेदार के बूता ले गुसियाए चलथ हे,मजे के बात हे कि थानेदार शहर के ए पार वाले हे जेखर डिवीजन के अफसरी भी मेडम के जिम्मा हे,ओला कोई मतलब नही आउ थानेदार मन अपन मर्जी ले चलथ हे.

जानथे न कि मेडम तो आए नही बस फोन मा सब माल-पानी के पूछ परख कर लेथे, का हे कि मेडम के ऑफिस के पास वाले थानेदार के जुआ-सट्टा के संगी कार्रवाई के भनक बडे मेडम तक पहुच गे ता जाहिर हे नाराजगी, बाकी एक्का-दुक्का चुगली-चाई मेडम तक रोजे पहुच जाथहे ओखर बाद भी मेडम के दरियादिली देख सब ला नजरअंदाज कर कामकाज चलाथ हे, बोले बर त सब ठीके चलथ हे,एखर बाद भी थानेदार मन नही सुधरे त आए दिन मेडम लिस्ट न निकाल दे ऐसे में नही कहत हव विभाग मा बातचीत होत रहिस.

शिक्षक की अफसरी.

स्कूल शिक्षा विभाग में एक शिक्षक पदस्थ है। वैसे तो वे है शिक्षक पर विभाग में अफसरी उनकी ही चलती है। राज्य के एक पूर्व आईएएस का उनको आशीर्वाद प्राप्त था जिसके कारण विभाग में उनका ओहदा बना था। जो अब आईएएस के रिटायर होने के बाद अब भी कायम है। चाहें विधायक हो या सांसद उनके पास यदि कोई भी शिक्षा विभाग का काम लेकर पहुँचता है तो नेता उसे उक्त शिक्षक सह अफसर के घर का रास्ता बता देते है जिससे कि शिक्षक के जलवे का अंदाजा लगाया जा सकता है। हाल ही में शिक्षको की पोस्टिंग में धांधली होने का स्कैण्डल सामने आया।

जिसमे जिस शिक्षक साहू की पोस्टिंग के नाम पर लेन देन का ऑडियो सामने आया। उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया फिर उसके बयान के बाद एक अन्य शिक्षक को भी गिरफ्तार किया गया,पर उससे आगे अभी पुलिस के हाथ नही पहुँच सके हैं। शिक्षा विभाग में दबी जुबान से चर्चा है कि अफसरी करने वाले शिक्षक का ही वरदहस्त दोनो गिरफ्तार शिक्षको को प्राप्त था और शिक्षक साहू की भर्ती के कुछ माह बाद ही स्कूल से बीईओ आफिस में अटैचमेंट भी उक्त घाघ शिक्षक के रसूख के चलते ही मिला था। जहां रखकर अफसर बना शिक्षक अपने लिए वसूली करवाता था। दोनो की गिरफ्तारी के बाद उक्त जलवेदार शिक्षक ने क़ई रसूखदारों से पुलिस को मामला मैनेज करवाने के लिए फोन करवाया पर जब बात नही बन सकी तो एक शिक्षक को बीमार बता हास्पिटल में एडमिट करवा दिया। पर अब तक पुलिस के हाथ अफसरी करने वाले शिक्षक तक नही पहुँच सकें हैं। विभाग में दबी जुबान से चर्चा है कि जलवे के कारण पुलिस के भी हाथ कार्रवाई के लिए बंध चुके हैं।

You May Also Like

error: Content is protected !!