‘रवि शुक्ला’
केंद्र के तोता-मैना.
पहले कांग्रेस समर्थित शासन काल में सीबीआई को सरकार का तोता बोला जाता था। अब भाजपा समर्थित शासन काल में नई खोज हुई है। भाजपा तोता संग एक मैना पकड़ लाई है और इस मैना का नाम है ईडी, केंद्र में भाजपा की सरकार के इस तोता-मैना की कहानी पूरे देश में हिट हो गई है। जो काम तोता नहीं कर सकता था वह काम मैना बिना हो-हल्ला के बेचारी कर आती है।
कांग्रेस,बसपा, सपा फलाना छत्रप,ढिमाका का तीस मार खा, सारे विपक्षी नेताओं को सम्मन भेज-भेज कर ठिकाने लगा रही है। कुछ की बोलती बंद है तो ज्यादातर बोल कर भी नहीं बोल पा रहे हैं। जो नहीं मान रहे वह जेल जा रहे हैं। शाह और शहंशाह की जोड़ी तोता-मैना की कहानी को हिट कर रहे हैं, वह भी पूरे टैक्स फ्री मनोरंजन के साथ मगर सावधान यह लोकतंत्र है। इसमें किसी की आवाज का गला ज्यादा दिनों तक घोटा नहीं जा सकता ,ध्यान रखना चाहिए कि तोता मैना सिर्फ हरी डंगाल पर बैठते हैं। अगर इन्होंने डंगाल बदल ली तो शाह और शहंशाह को मुसीबत में आने समय नहीं लगेगा।
विधायकों की पूछ परख.
कर्नाटक और मध्य प्रदेश में कांग्रेस के विधायकों की बगावत से सरकार का गिरना छत्तीसगढ़ में सामान्य समझा जा रहा था। क्योंकि वहां बहुमत बॉर्डर लाइन पर था और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का बमफाड़ बहुमत है। लेकिन महाराष्ट्र में विधायकों की बगावत के बाद छत्तीसगढ़ में कका को अब शायद विधायकों की अहमियत समझ में आने लगी है।
सत्ता और संगठन में पहले दूरीआए जाने वाले हंसमुख पाण्डेय को पिछले दौरे में कका ने अपने साथ रखा, साथ ही नहीं रखना बल्कि कार में बिठाकर हर कार्यक्रमों में लेकर गए घुमाया और कुर्सी के बाजू में भी जगह दी, यही ट्रीटमेंट ठकुराइन विधायिका को भी मिला। यानी दोनों विधायक दाए- बाए, बैठे ठाले सत्ता के लिए विधायकों को कोई गैंग संकट पैदा ना कर दे इसलिए यह सब जरूरी भी है। वैसे भी अब चुनाव नजदीक है मीठे वचनों का और संबंध बनाने का इससे बढ़िया और समय नहीं हो सकता।
रेंज में गाय और चारा.
बंगले का बाबू या पुलिस डिपार्टमेंट में साहबों का अर्दली थानेदार लेवल पर भारी पड़ता है। बिलासपुर पुलिस विभाग में बड़े साहब एक गाय पाले है। वह दूध कितना देती है यह तो साहब जाने लेकिन उस को चारा खिलाते-खिलाते पूरे जिले के थानेदार, रेंज के भी हो सकते हैं हलाकान है। यहां पुलिस विभाग में काफी लंबे समय से एक हवलदार बिलासपुर आने वाले हर बड़े साहब की गाय को पाल रहा है।
गाय पालते-पालते वह चारा घोटाले में एक्सपर्ट हो चुका है साहब गाय एक रखें हो चाहे चार, चारा दवाई या गाय से रिलेटेड अन्य सामान दस गायों के बराबर ही आता है आए दिन उसके फोन से थानेदार बचना चाहते हैं। गाय पालक हवलदार का टारगेट भी फिक्स है हफ्ते के बीच किसी भी किसी न किसी थानेदार को फोन घुमाना है,अरे भई ऐसा है मौका है तो पूरा फायदा लिया जाए जब बात बड़े साहब की है तो, न कोई थानेदार उनसे पूछने जाएगा कि कब क्या लगना है या लग गया और न साहब हवलदार से पूछेंगे की गाय की डाइट चार्ट बताओ.
हमर जिला पुलिस.
देहात के एक थानेदार के बूता बड़े साहब ले एक, दू आउ तीन ला बने लागिस, परो दिन ले बेहाल थाना आउ बिल्डिंग, मैदान के रंग रोगन करा पानी- पाइप लाइन के व्यवस्था बने बना डालिस, जइसे पूरे घर ला सजा डाल्हू आने मन के घूमे बर पेड़-पौधा लगा झगझग लाइट ले गार्डन बना दिस,मेडम आए त ओला बड़े खुशी जइसे सौ म सौ नम्बर.
कार्यक्रम के खबर सुन गांव के नेता जी मन भी आ गे कहिस बढ़िया हो गे कामकाज,गांव के सियान बर भी बोल पड़े नवा लइका ला देख आईस अउ पूरा नक्षत्र ल बदल डालिस थाना के,कोनो ल का मालूम कि बेचारा थानेदार कइसे कइसे कर के थाना के नक्शा ल बदले हे, सब बने-बने निपट गे त जिला पुलिस में कानाफूसी शुरू, अरे अब कोनो बने काम भी नई करे तो कइसे बनहि, सरकार के बूता अऊ पुलिस विभाग जरा संभल-संभल के थानेदार साहब, अब ले दूसर थाना ल संवार अउ आगे भी तोर से बेहतरी के उम्मीद हे, गाढ़ा गाढ़ा बधाई.