‘रवि शुक्ला’
प्रदेश में डर और प्रकोप.
छत्तीसगढ़ में अभी भी इतने समय बाद ईडी और माहो का प्रकोप खत्म नहीं हुआ है। माहो किसानों के धान की फसल बर्बाद कर रहा है और ईडी कांग्रेस की सियासी जमीन निगलने को तैयार है। कांग्रेस कहती है डरो मत यहां हालत यह है कि आईएएस अफसर से लेकर प्रशासन का हर इंतजाम अली इस कदर डरा हुआ है कि सिलते नहीं बन रहा है। समय बदल गया है आगे और बुरा और बुरा और बुरा होने वाला है।
‘OMG’ की सलाह नम्बर 1– जेल जाने से मत डरो दिल को बहलाना सीख लो कि भगवान कृष्ण भी जेल में पैदा हुए थे।
नम्बर दो– किसी ने ठीक ही कहा है कि डर के आगे जीत है।
बीजेपी कंपनी में बदलाव.
भाजपा ने छत्तीसगढ़ में सारे चेहरे घर के बल्फ की तरह बदल दिए। किसी का न धन काम आया न धरम
यहां तक तो ठीक था। लेकिन दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी चलाने वाले नेशनल खिलाड़ियों को बीजेपी की पिच समझ नहीं आई जब वह यहां कोई गेंद डालते हैं तो कभी स्विंग होती है तो अचानक कभी सपाट हो जाती है।
जिला अध्यक्ष बदलने के लिए थक हार गए एक ढंग की मुंडी नहीं मिली मिल पा रही है। एक दो नाम टटोले तो सद्दे कट गए, यहां बगुला भगत न ऊपर पसंद है न नीचे के कार्यकर्ताओं को पसंद, कई लोग आस लगाए बैठे हैं कि भारतीय जनता पार्टी में बदलाव के दौर में उनके भी हाथ कुछ लग जाए। लेकिन ‘OMG’ बताता है कि बीजेपी जिले में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चलती है। पहले कार्यकर्ता फिर उपाध्यक्ष, महामंत्री फिर अध्यक्ष उसके बाद नेतागिरी यानी ठीक-ठाक पोस्ट दिए जाने की परंपरा चल रही है। मानो जैसे प्राइवेट कंपनी में प्रमोट करने का नियम लागू होता है।
बीजेपी की ई- रानी.
बीते दिनों बीजेपी ने जिले में हुंकार रैली कराई थी। इसमें धन और धरम को मानने वाले सभी लोग पहुंचे थे। पुराने-पुराने खाटी भाजपाई तक यहां मटरगश्ती करते दिखे। पहले जो साथ नहीं थे, हाशिए पर थे, सब अपना अपना चेहरा दिखाने हुंकार रैली में दंड पेल रहे थे।
संगठन चलाने वाले नेताओं को खुद समझ नहीं आया कि माजरा क्या है। सत्ता से दूर होने की वजह से जहां मठा तक नसीब नहीं है वहां इतना ग्लैमर कैसे आ गया तब पुराने भाजपाइयों ने चुपके से ‘OMG’ से कहा कि साफ देख नहीं रहे हो भाजपा में केंद्र की नमो सरकार की ई- रानी जो आई है।
हमर जिला पुलिस.
बात परे दिन के हे, संगठन की आखि-कान आउ नाक मा सरकार आए के बाद ले अब तक चुभत नगर के माननीय सम्मान म आए कमी के चलथ लाइन के दूसर पारी के साहब के बेवहार को लेकर भड़क गे रहिस,एक सामाजिक रैली के अगुवाई म आए माननीय अपन चार चकिया ला थाना मा लगा दिस, ये देख साहब के पारा चढ़ गे, कोई बतात रहिस की साहब हा उखड़ गे अउ कहत हे कि ये थाना हे या गाड़ी खड़ा के जगह.
वइसे साहब जब ले नक्सली गवई ले आए हे ओखर गोठियाय के तरीका काफी मन ला भात नई हे जबकि पास के गवई के ही लईका हे अउ त अउ किताबी ज्ञान ले लबरेज कुछु पूछ दव फट ले बात देथे। अउ अइसे ज्ञानी साहब होना भी चाही, पुलिसिंग ले नाता हे बाकी कोई लेना देना नई,कुछु हो गे ता दिख गे नई ता जाए चूल्हा मा वाले हिसाब किताब हे, अब माननीय त माननीय हे ओहु कम नई, पढ़े लिखे हे जी कभी भी आए के पहली बता देथे पूछ भी लेथे के सरकारी जमीन म अपन गाड़ी लगा सकथ हव न ,नई भी पूछही त,भई सरकार के अंग हे ओखर आव भगत त करना ही पड़ही न भले मन मिले न मिले। खैर जाए दे,थाना मा गाड़ी खड़ा करने के बात जइसे ही माननीय ल सुनाई पडिस ओहु आ गए अपन रंग मा साहब ला भी खरा-खरा बोल डालिस अउ चलथ बनिस,सियान मन ठीक कहिथे संगठन त ठीक हे राजनीति म ऊपर नीचे झेल लेबे पंडित जी, लेकिन अब सबो मन मंदिर के घंटी समझ बजाए के कोशिश करही त माननीय वाले रंग दिखाए भी जरूरी हे। भगवान सब के भला करे.