मुंह फट

“रवि शुक्ला”

हंसमुख का अनुभव.

वो कहते हैं न कि,बात निकली है तो दूर तलक जाएगी, लेकिन ये हम बिल्कुल भी नहीं कहते, सुनी सुनाई बातों से बाजार गर्म है, खैर मुद्दे की बात यह है कि नगर के हंसमुख लाल का अनुभव अच्छा है या बुरा.

वैसे देखा जाए तो संगठन और ऊपर से नकारे जाने के बाद भी लोगों के बीच लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है, जहा मिले,जिसने देखा
हंसमुख की सादगी ने सब का दिल जीत लिया और भर भर आशीर्वाद, राज्य में कांग्रेस की भूपेश सरकार ने चार साल पूरे कर लिए अब बारी है विधानसभा चुनाव की, ऐसे में लोग इस सोच में पड़ गए हैं कि आखिर नेता का अनुभव कैसा है कोई कहता है चाय से ज्यादा केतली गर्म तो कुछ और बहुत कुछ.(बात हंसमुख के अनुभव की हो रही है किसी व्यक्ति विशेष की नही)

सरकार की बॉडी में वो भी राज्य के दूसरे बड़े जिले के हंसमुख लाल के अनुभव को ऐसा कौन सा नशा चढ़ गया की उतरने का नाम ही नही लेता। बोलते तो यहां तक है कि काम काज कुछ नहीं गिलास तोड़े चार आना वाला हिसाब किताब चल रहा है। हंसमुख लाल के अनुभव के बीते चार साल दास्तां कहीं राजनीतिक जीवन में शनि की अढैया बनकर न बैठ जाए। इसलिए फ्री की एक सलाह है कि अब भी वक्त है अपने अनुभव को सवारिए या बदल दीजिए, बाकी भगवान भला करें।

मोहतरमा की नजाकत.

खुदा हुस्न देता है तो नजाकत आ ही जाती है वो भी ऐसी की तोड़ी बोड़ी में सिर चढ़ कर बोले,राज्य के एक छोटे जिले में फारेस्ट डिपार्टमेंट की लेडी अफसर और नौकरी के अंतिम पड़ाव में पहुंच चुके बुजुर्ग कका के बीच दो – दो हाथ की कहानी अब सरेआम हो चुकी है।

कोई बता रहा था कि जिले में विभाग की ऊंची कुर्सी पर बैठी मैडम को एक एसडीओ बुजुर्ग के कंधे पर बंदूक रख टारगेट कर रहा है और कका तो बस मोहरा है। अबला अफसर भी चुप नही निपटा ही दूंगी के मूड़ से सबला बनते देर नही लगी और अफसरी दिखा बुजुर्ग को नोटिस जारी,
कहने का मतलब यह है कि बॉलीवुड की तर्ज पर यहाँ भी ‘फ़ानूस बन के जिसकी हिफाज़त एक कद्दावर भाईजान का नाम करे, वो शमा क्या बुझे जिसे रोशन खुदा’ करे की पिक्चर की तरह चल रहा है। अबला से सबला बनी मोहतरमा वैसे तो काफी सरल और मिलनसार है। मैटर कोर का हो या बफर जोन का टेकल करना अच्छे से जानती, अदाकारी ऐसी कि जहा भी रही उनके चर्चे कम नही और इंतजाम अली से कोई मुरव्वत नही वो भी बड़ी नजाकत से.

दीवारों पर पंजा.

प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को अब ज्यादा समय नहीं बचा है। ऐसे में मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेसी नेताओं में टिकिट पाने की लालसा कुकुरमुत्ते की तरह जग गई है। जिन्होंने पार्टी लाइन के लिए कुछ नही किया अब तो वही क्षेत्र की हर दीवारों पर चस्पा नजर आ रहे हैं।

यही हाल भीतरघातियो का है, जहा तक नजर दौड़ाओ बस पंजा छाप के बूते दीवारों पर अपना चेहरा चमका रहे हैं, इधर बीजेपी व अन्य पार्टी के नेताओं को जगह नहीं मिलने का दर्द झेलना पड़ रहा है बेचारे निराश है। मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र में ऐसे कई छपास कांग्रेस नेताओं के नाम है, फिलहाल ओपन करना ठीक नहीं बस हम तो यही कहेंगे लगे रहो मुन्ना भाई.

हमर जिला पुलिस.

पहली – शहर के एक थाना मा मोटका थानेदार के बूता बर,पुलिस के न दोस्ती अच्छा आऊ दुश्मनी के कोने बात ही नई, सच मा सटीक बइठते, अतका मिठलबरा की कोने के जमीन जयजात ला खा देही आऊ डकार भी न ले। जिला के पुलिस विभाग मा पुराना दुबराज हे, सिपाही ले कंधा मा एक सितारा के दूरी अईसे थोड़ी दूर हों जाथे जी.

बड़ा समाज प्रेमी गोठीयाथे आऊ जईसे मौका पाए सेठ, बड़े बिल्डर, दारू बेचाइया समझ दूनंबरी मन ले सांठगांठ कर मामला एती -ओती दुखियारा जाए चूल्हा मा , माल अंदर, थानेदार आऊ ओखर ऊपर के साहब मन कुछू नई लगे ओखर घेरा मा, पीठ पीछे सबो ला गरियाथे, जिला मा कहते कि एक,,, सबो बर भारी, ए पंडित ता अपन वजन और कपट करे मा सबो ला पीछे छोड़ दिए हे,अभी तक फिजूल बात नई आऊ काम ले काम करे वाले थानेदार के शरण मिले रहीस विभाग के इज्जत मा दाग लगे नई दिस अब ओखर भी जाए के बेरा आ गे हे, अब बदलाव जरूरी हे एखर बाद कोई सिरफिरा आगे ता, आऊ कप्तान तक बात जाहि ता सीधा निजात ही मिलही,देख ले जी महाराज.

दूसर– जिला के सिविल लाइन थाना एक मीठा जहर के तरह हो गे हे। कोनो ला सूट करथे ता महंगी मिठाई के तरह आऊ जोन ला रिएक्शन करथे ओखर लिए मानो आफत हे। एई नाम ले ता लंबी पारी पंडित जी हा खेल डालिस आऊ सब मीठा मीठा रहीस.

अब ओखरो जाए के पारी आ गे. वीआईपी थाना ला बढ़िया खीचिस मगर का करे बेचारा दिन रात बेगारी के घंटी सुन अचानक सटक जाए, कोनो के बात हो बिगड़ना मुनासिब हे, अच्छा भला थाना के फिर पूरा परिवेश गुसियाए आऊ चीड़ चीड़ वाला बन जाए बेरा होत तनिक नार्मल अब एक अंतराल के बाद काला सिविल लाइन के मीठा स्वाद से भरे परसी थाली मिलही एमा सब के नजर गड़े हे, वइसे ज्ञानी मन चर्चा करत रहे कि बड़े साहब अपन भरोसेमंद या जिला मा पहली बूता कर चूके थानेदार जोन हा फिर ले जिला मा वापस आए हे उन मन मा कोनो ला सिविल लाइन के बूता सौंपही.

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