‘रवि शुक्ला’
आप की कड़कड़आहट.
सियासत का इतिहास से बड़ा लेना देना है। यह बात आम आदमी पार्टी की डॉक्टरनी के समझने के लिए है क्योंकि पढ़े-लिखे इंसान को जनता पसंद करें या ना करें कई बार कम पढ़े लिखो की भी सियासत में बल्ले बल्ले होती है। जैसे चौथी पास राजा, हां तो बात हो रही थी डॉक्टरनी की जो बिलासपुर से चुनाव लड़ कर जीतने के ख्वाब में है।
हां तो सुनो एक बार बिलासपुर का चुनाव हुआ उसमें कम सुनने वाले एक डॉक्टर खड़े हुए वैसे तो थे स्त्री रोग विशेषज्ञ लेकिन सियासत में पैर जमाने का ख्वाब था। उनसे पूछा गया आखिर आपको वोट कौन देगा तो उन्होंने कहा मैंने अपने पूरे जीवन में 59 हजार आपरेशन महिलाओं के किए है,इनमें से आधे को तो मैं जानता पहचानता हूं अगर इतने वोट भी मिले तो मैं डिसाइडिंग फैक्टर रहूंगा चुनाव के नतीजे आए तो 60 वोट भी नहीं मिले, कहानी समाप्त.
(इस कहानी का आम आदमी पार्टी की कड़कड़आहट से कोई लेना देना नहीं है)
सियासत का उल्टा ट्रेंड.
देश में छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़ में बिलासपुर बिहारी भाषा में कहें तो गज्बे हैं। हालत यह है कि भाजपा की सत्ता के लिए चांद सितारे तोड़ कर लाने वाले नड्डा, गोली और पिपरमेंट को भी नहीं समझ में आ रहा कि यहां की माटी में ऐसा क्या है।
अब पूछो कैसे, पूरे देश में मोदी की छत्रछाया में भाजपा सत्ता में फल-फूल रही है और कांग्रेस मोह माया में डूब रही है। सही है ना, लेकिन छत्तीसगढ़ में भाजपा डूब रही है और कांग्रेस आसमां पर छाई हुई है। यानी एकदम से उल्टा ट्रेंड और अब मजेदार बात सुनो पूरे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के ताबड़तोड़ विधायक हैं। लेकिन बिलासपुर जिले में भाजपा विधायकों का संख्या बल ज्यादा है। यानी यहां भी उल्टा ट्रेंड अब भाजपा के दिग्गजों को नहीं समझ आ रहा कि छत्तीसगढ़ में ऐसा क्या है और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के दिग्गजों को समझ नहीं आ रहा कि बिलासपुर में ऐसा क्या है। चार साल तक कोई समझा नहीं अब चुनाव आया तो गुत्थी सुलझाने कका बिलासपुर की राह पकड़ेऔर नड्डा, गोली, पिपरमेंट छत्तीसगढ़ नाप रहे है।
छप्पन इंच के लिए फूल रहे सावजी.
सियासत में तेलियो का महत्व बेदम बढ़ गया है। अरे भाई तेली मतलब उप जाति कहने को तो साव,साहू और गुजरात के मोदी की इसी कैटेगरी में आते हैं। खुद मोदी जी जब छत्तीसगढ़ आए थे तो उन्होंने कहा था मैं साहू समाज से आता हूं उनके जाने के बाद साहू समाज के चंगू मंगू भी छप्पन इंच के हो गए।
अचानक से अपने सावजी की तकदीर बुलंद हो गई असल में छत्तीसगढ़ में साहू समाज की संख्या ओबीसी में अच्छी खासी है और एक तरह से व्यापारिक कौम मानी जाती है तब से आज तक भाजपा ने इनको साध कर ओबीसी वोट का बैलेंस बना कर रखा है। शायद इसी कड़ी में सांसद साव को पार्टी सुप्रीमो की कमान सौंपी गई है। सावजी है भी बड़े भले आदमी आज कल देहाती टोन में वकील साहब तोर मोर गोठियाने लगे लगे हैं ताकि कका के मुकाबले छत्तीसगढ़ के वासियों में दिख सकें।
हमर पुलिस.
पहली – कका राज मा इस्पात नगरी, बड़कू आऊ छुटकू के एक दूसर मा पटरी मेल नई खात हे, झगड़ा नई करत सके मगर मनई मन एक दूसर के लिए भारी गुस्याए आऊ वजह माल पानी, इत्तफाक ले दुनू पंडित जी हे ऊपर ले खाकी लगाए, अफसर बाबू हे भई, बड़का पहली देहात के साथ शहरी माल पानी के स्वाद चख लिए हे तो ओखर जिला के नशा कम होय के नाम नई लेथ हे.
शहर मा अईसे दीपक जलाए हे कि हर मामला मुकदमा मा दखल आऊ सारा माल जेब मा,अब छुटकू पंडित लटपट मा बस्तर काट के आए हे ज्यादा दिन हुए नई आऊ कहे जाए तो हो भी गे हे लेकिन अभी तक कुछू जुगाड बने नई हे जी, बेचारा मन मार कोसत कोसत अफसरी करथ हे, बड़का के संगी भी इस्पात नगरी मा पुलिस मा अफसर हे ता जाहिर हे ताकत डबल हर तरफ नजर, छुटकू के हाल ता एइसे हो गए हे कि कोई ता अभिनव पहल कर दे के उम्मीद ना जीयत हे आऊ नाम के साथ फोटू भी चस्पा करा दे नई ता खुदे गायब, बढ़िया जिला मा आए हे, हो गे बंटा धार.
(ये हम नई जिला आऊ विभाग मा सुनी सुनाई पर आधारित हे)
दूसर- एसी, बीसी आऊ डीसी,थाना ला उड़ के कहा चल दिस,ये कोती ले मंत्री – संत्री, अफसर मन के शहर के जिला गे थानेदार हा जाए के पहली थाना मा लगिस अपन कमरा ले एसी ला निकाल एति ओती का कर डालिए हो गे बवाल, काना फूसी जोरदार.
थाना कर्मी आऊ आसपास बस एसी एसी, अतका गर्मी बाढ़ गे कि का कहे जाए, कोई ये नई सोचिस की एसी आए कहा ले होही, अरे भई जेखर रहीस ऊ हा ले गे साथ या कोने संगी ला भेंट कर दिए, समझ नई आथे एसी के अतका प्रोप्रोगंडा काबर, फिजूल मा माले हराम दिले बेरहम के चर्चा कर पसीना बहात हे, काम बूता भी कोई चीज हे कि नई.