‘ मुंह फट ‘

” रवि शुक्ला “

शहर में बीजेपी के कई ठीहे.

हर चीज की एक मियाद तय होती है कम से कम भारतीय जनता पार्टी में तो होती ही है। इस पार्टी में मियाद पूरी होने के बाद उसका नवीनीकरण किया जाता है नए-नए विधायक, मंत्री और नए-नए निगम मंडलों के अध्यक्ष.

सब मिलकर नए चेहरे के नाम पर नवीनीकरण चल रहा है बेचारे पुराने चेहरे मंत्री बनने की आस में साल भर से बैठे हैं लेकिन नवीनीकरण के चलते उनकी बारी अब मुश्किल दिख रही है। क्या पता आगे विधायक भी बन पाए या ना बन पाए क्योंकि भाजपा नए नेताओं की फौज खड़ी कर रही है। अब अपने शहर में ही देख लो पहले एक ठीहा हुआ करता था राजेंद्र नगर, लेकिन अब कम से कम पांच नए ठीहे खुल गए हैं जिन कार्यकर्ताओं को जहां मर्जी जाओ और अपना काम करवाओ।

कांग्रेसी ढाक के तीन पात.

कांग्रेस पार्टी से सांसद का चुनाव लड़ने वाले नेता की बड़ी दुर्गति होती है। अभी वाला चुनाव भिलाई विधायक देवेंद्र यादव ने पूरे दमखम से लड़ा चुनाव के वक्त गाल बजाते कांग्रेसी साथ भी दिखे, खूब हुआ- हुआ भी किया.

लेकिन रिजल्ट ढाक के तीन पात, आने के बाद अब जब जेल से छूट कर देवेंद्र यादव शहर आए तो आगे पीछे के सारे कांग्रेसी साफ हो गए, एक बेचारा आलू सच्चा दिखा जो पहले भी साथ था और अब भी साथ, बेचारे हंसमुख पंडित जी सब का साथ देते हैं फिर भी कांग्रेस में खुद का विकास नहीं हो पाता।

कुमार बाबू अब्बड सियाना.

जिला के पुलिस विभाग मा कुमार बाबू हे, अब्बड़ सियाना बूता भी ठीक ठाक करथे, कंधा मा अशोक लगाए चार आंखी वाले कद मा नाटा,जब आए रहीस ता कुछु आऊ बर लेकिन हो गे कुछु आऊ,एक तरा से कहे जाए ता कोने परिवार के छोटका अनुज बरोबर.

अब छोटका अनुज बड़े हो गे हे, जइसे कोने जादू के छड़ी हाथ मा आ गे होही ऊपर ले आईपीएल क्रिकेट ता सोना मा सुहागा ले कम नहीं,कोनो बतात रहीस की छोटका अपन गिरोह के साथ बड़का बड़का सटोरिया मन के मोबाइल नंबर ला वो का कहिथे इंग्लिश मा (ट्रेकिंग) मा लगा दिए हे आऊ फिर दे सोटाई, दे सोटाई आए दे माल जाए सटोरिया,थाना आऊ बड़े बाबू साहब के रोक टोक, कतका बार बड़े बघवा साहब छोटका ला अपन अनुज बराबर समझा चुके, गुर्रा दिए कि ज्यादा ऐति ओति झन करे कर लेकिन कईथे न घर के छोटा बड़ा उपाई, सुनथे ही नई उल्टा दे प्रहार आऊ अपन लिए कस के आहार, जाए दे सब मोह माया है बल्ले बल्ले बड़े सटोरिया मन के हे.

GPT पत्रकार: स्किल का स्यापा या जग हंसाई?

नए ज़माने के साथ नए पत्रकार आ गए हैं,GPT पत्रकार! ये वो लोग हैं जो एक बटन दबाते ही रिपोर्टर बन जाते हैं। खबर नहीं लिखनी, बस चैटजीपीटी से टाइप और खुद को खोजी पत्रकार घोषित कर देना। इनकी कलम नहीं चलती, बल्कि कीबोर्ड पर उंगलियां दौड़ती हैं और स्क्रीन पर चमकते अक्षरों को देखकर खुद को पुलित्जर अवार्ड का हक़दार समझ बैठते हैं।

मगर दिक्कत ये है कि वरिष्ठ पत्रकार और ब्यूरोक्रेट्स इन्हें ताड़ गए हैं। उन्हें पता चल गया है कि स्किल के बिना पत्रकारिता करना वैसा ही है जैसे बिना ब्रेक की साइकिल चलाना और गिरना तय। इन GPT पत्रकारों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इन्हें ग्राउंड रिपोर्टिंग से उतना ही परहेज है जितना आलसी आदमी को सुबह जल्दी उठने से, न कोई रिसर्च, न फैक्ट चेकिंग, बस कॉपी-पेस्ट जर्नलिज़्म! इनकी पत्रकारिता ठीक वैसी ही होती है जैसे व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के ज्ञानी अंकल की ज्ञानवाणी।
वरिष्ठ पत्रकार और अफसर जब इनकी “लेखनी” पढ़ते हैं, तो सिर पकड़ लेते हैं। ये GPT पत्रकार खबर को इस तरह पेश करते हैं मानो किसी ने मसालेदार स्क्रिप्ट लिख दी हो। हेडलाइन ऐसी कि लगे देश में भूकंप आ गया और अंदर खबर पढ़ो तो पता चले कि किसी गली में बिल्ली ने छलांग लगा दी थी।

असल पत्रकार जहां सच्चाई की तलाश में धूल फांक रहे होते हैं, वहीं ये GPT पत्रकार अपने स्क्रीनशॉट्स के सहारे खुद को बड़ा पत्रकार घोषित कर चुके होते हैं। पर भाई, पत्रकारिता सिर्फ अक्षरों का खेल नहीं, स्किल और मेहनत भी चाहिए। वरना ये जग हंसाई तो होगी ही और इमेज भी खुद ही खराब करनी पड़ेगी।

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