मुंह फट

‘रवि शुक्ला’

पुलिस दाग धब्बे पार्ट-1

बिलासपुर को नए पुलिस कप्तान मिलने का असर फील्ड में दिखने लगा है। जुआ -सट्टे का जो दाग धब्बा बिलासा की माटी पर लगा था वह अब धुलते दिखाई दे रहा है। इसके लिए डिपार्टमेंट में बड़ी मशक्कत भी करना पड़ रहा है।

सारे घर का सामान बदल डालूंगा की तर्ज पर एक-एक थानेदार और हर एक पुलिस मैन की स्कैनिंग हो रही है। किसी का ट्रांसफर तो कइयों की ड्यूटी चेंज कर पुलिस की छवि सुधारने का प्रयास हो रहा है। जो वास्तव में प्रशंसा के योग्य है वैसे आमतौर पर कोई पुलिस की तारीफ तो करता नहीं (हम भी नहीं) पर इतनी मेहनत के लिए एक दो स्टार तो देना बनता है।

डोले और बोले..

राज्य में कांग्रेस की सियासत के लिए ये अगस्त का महिना बहुत ही ख़तरनाक है। शनि के अढ़ैया की दशा इस माह करीब करीब पूरी हो जाएगी। जाते जाते इसका फल बाबा को मिलेगा या दाऊ को यह तो समय ही बताएगा।

लेकिन कोई बता रहा था कि दिल्ली में बहुत नारेबाजी हुई है। आलाकमान को याद दिलाया गया है कि छत्तीसगढ़ डोल रहा है बाबा -बाबा बोल रहा है। कोई बोले या डोले मगर बेवजह में दाऊ समर्थकों की सांसे जरूर फूलने लग जाती हैं। ज्यादातर लोगों को पता है कि अब होना जाना कुछ नही है सिर्फ विपक्षियों को मजा लेने के लिए मुद्दा मिलेगा यही सोला आना है।

पुलिस दाग धब्बे पार्ट-2

पुलिस डिपार्टमेंट हो चाहे प्रशासन इसमें इंसान काम नहीं करता, काम करता है तो सिस्टम,पिछले कुछ सालों से जिला पुलिस बल में सिस्टम नाम की चीज ध्वस्त हो गई थी। थानेदार डायरेक्ट मुंह उठाकर कप्तान तक पहुंच जाते थे। हर डील थाने लेबल पर हो जाती थी, राजपत्रित अधिकारी एडिशनल एसपी, सीएसपी और डीएसपी स्तर के अधिकारी तो बेचारे चना मुर्रा समझे जाते थे।

(👆नो कमेंट्स)

कोई पूछ लिया तो ठीक नहीं पूछा तो जय छत्तीसगढ़, कहते हैं घुरूवा के दिन भी फिरते हैं अब तो आलम यह है कि बेचारों के भाग्य खुल गए जब से नए कप्तान ने सिस्टम बनाया सत्यम यह है कि अब कोई भी थानेदार डायरेक्ट कप्तान को खैरियत नहीं देगा वह अपने डिवीजन के सीएसपी-डीएसपी को हर सुबह अपडेट करेगा। जिसके बाद ही रिपोर्ट जाएगी कप्तान तक यानी काम अब होगा चैनल टू चैनल और विभाग में कसावट लाने का यही सही तकाजा भी है और कुछ हो न हो पुलिस को दाग -धब्बे धोने में इससे आसानी होगी।

सिंचाई विभाग हुआ पस्त, नेता मस्त..

न्यायधानी बनने के बाद जिले मे जमीन के भाव आसमान पर पहुच गए हैं और ऊँचाई पर बैठे लोग मिट्टी के खेल में खेला कर रहे हैं। मिट्टी यानी जमीन, इनमे कुछ नाम तो ऐसे हैं जो अब सियासतदान हो चुके हैं, फिर भी आसमान से नीचे उतर कर मिट्टी में सन कर खेल रहें हैं। जिले में एक नेता ऐसे भी हैं जो राज्य निर्माण के साथ ही कालोनाईजर का काम कर रहें हैं, हालांकि नेता तो वो बाद में बने हैं,मूलतः वो बिल्डर ही हैं।

शहर की कई नामी कालोनिया विकसित करने वाले नेता ने प्रदेश में नई बनी राजनैतिक पार्टी के गुलाबी गमछे की छाव में जिले की विधानसभा से चुनाव भी लड़ा था पर शिकस्त मिलने के बाद सक्रिय राजनीति से उनका मोह भंग हो गया और बिल्डरशिप का अपना पुराना काम ही उनको रास आया। इसलिए अपने काम धाम में ध्यान नेता देने लगे पर बिना सत्ता के संरक्षण के जमीन के काम मे मुश्किलात आती हैं, इस बात को बखूबी समझते हुए उन्होंने राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया है। सत्तासीन पार्टी का फायदा भी उन्हें साफ नजर आने लगा है। नेता कम बिल्डर ने खमतराई की नहर की जमीन में कब्जा कर कई मकान बना कर बेच दिए हैं, अब सिंचाई विभाग रूलिंग पार्टी के नेता से अपनी जमीन छुड़ाने के लिए एड़िया घिस रहा हैं।

नोटिस पे नोटिस तामील हो रहें हैं पर नेता ने दो टूक जवाब नहर विभाग को सौप दिया है कि अब नहर की जमीन रोड के लिए प्रस्तावित हो गई हैं और उनके द्वारा नहर विभाग की जमीन नही दबाई गई हैं। दूसरे शब्दों में मतलब साफ है कि मैने नहर की नही रोड की जमीन दबाई हैं और अब संबंधित विभाग ही इसमे कार्यवाही कर सकता है सिंचाई विभाग नही। खमतराई अब नगर निगम में आता हैं, लिहाजा सिंचाई विभाग के अफसरों ने नगर निगम से मदद मांगी पर नेता के प्रभाव से निगम ने राजस्व विभाग के पाले में गेंद डाल दिया। अब कांग्रेस प्रवेश कर प्रभावशाली हुए नेता से थक हार कर सिंचाई विभाग अपनी जमीन वापिस पाने अब राजस्व विभाग के चक्कर लगा रहा हैं।सही भी हैं जिस पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़ा उसे छोड़ कर सत्तासीन पार्टी में आने के बदले इतना फायदा मिलना तो बनता हैं।

सत्कार के लिए संविदा..

बिलासपुर में एयरपोर्ट खुल गया है भले ही छोटा मोटा ही सही बड़े-बड़े लोग आएंगे वीआईपी- नेताओं की एंट्री होगी देश और प्रदेश की राजधानी से आला अफसर आएंगे, ऐसे में उनकी आवभगत के लिए पुलिस की तरफ से एक खाली पीली बंदा चाहिए ना वैसे भी पुलिस डिपार्टमेंट के पास स्टाफ की कमी का रोना है। इधर शहर बड़े नेताओं समेत अपने अपने संपर्क के लोगो से जो सरकार की तरफ संविदा की फाइल बढ़ा सकें उनसे जय जुगाड़ लगने की चर्चा है।

लिहाजा एक रास्ता निकाला गया कि कोई व्यवहार कुशल डीएसपी को रिटायरमेंट के बाद संविदा भर्ती दिला दी जाए वैसे भी सिविल लाइन में करीब 2 साल जो सेवाएं दे ले वह वीआईपी और अफसरों की आवभगत का आदी हो जाता है। उसकी क्वालिटी का लाभ पुलिस प्रशासन को तो लेना ही चाहिए।

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