‘रवि शुक्ला’
पीएचक्यू में जीव का जंजाल.
बीजेपी की विष्णु सरकार ने पुलिस विभाग में सुशासन लाने अत्यंत गंभीर, मिलनसार और पुलिसिंग को लेकर किसी साउथ फिल्म के हीरो की तरह जाने माने खिलाड़ी एक एडीजी रैंक के अफसर को अहम जिम्मेदारी दी है। साहब जब से पुलिस मुख्यालय में रोजाना दिखने लगे है तब से उनके ऑफिस और पीएचक्यू में हलचल भी बढ़ गई है, मिलने वालों का तांता लगा रहता है। अपने बिजी शेड्यूल के बीच साहब भी बड़े खुशमिजाजी से सब से भेंट मुलाकात करते हैं। लेकिन उनके आने के बाद पुलिस मुख्यालय में एक बरुआ नाम का जीव घूमने लगा है। माना कि वह साहब का बड़ा खास है मगर शिव के राम से मिलने आने वालों को बरुआ जीव के डिटेक्टर से दो चार होकर गुजरना पड़ता है। वो कहते हैं न कि चाय से ज्यादा केटली गर्म,ठीक वैसा ही।
अब साहब तो भीतर रहते हैं उनको क्या मालूम कि हर चंद मिनट अन्दर बाहर होता बरुआ जीव उनके चाहने वालों के जी का जंजाल बन गया है। आलम ये है कि बरुआ जीव के परमिशन के बिना कोई साहब से मिल नहीं सकता अगर गलती से अपने नाम की पर्ची नहीं दिए हैं तो गए काम से,समझ लीजिए कि बरुआ जीव सब को मिलवाने मुंडी तो हिला देता है लेकिन ऐसा होता नहीं और साहब से मिलने के इंतजार में गई भैंस पानी में फिर साहब किसी मीटिंग में निकल जा रहे हैं। मुद्दे की बात यह है कि बरुआ नाम का जीव की एक्टिविटी से एडीजी साहब के नाम का पलीता निकल रहा है। आगुंतकों में बरुआ नाम के जीव को लेकर एक अजीब सी नाराजगी समा गई है। साहब हैं बड़े अच्छे इंसान मगर उनका खौफ ऐसा है कि तिलक धारी एक स्टाफ और अन्य अर्दली भी भेंट करवाने में कांपते हैं और मिलवा देंगे बोल कर घंटों बिठाए रखते हैं चाहे वो साहब का कोई परिचित हो या नीचे रैंक को कोई पुलिस अफसर उन्हें भी बरुआ नाम के जीव के जंजाल से होकर गुजरना पड़ रहा है।
बदले बदले से अंदाज.
राज्य सरकार ने अभी हाल ही में किए गए फेरबदल में जनसंपर्क का अहम विभाग डॉ रवि मित्तल आईएएस के हाथों में सौंप दिया है। इस अफसर के सीपीआर का चार्ज लेते ही छत्तीसगढ़ संवाद की फिजा बदल सी गई है। वो आईएएस अफसर के दो फैसले से समझा जा सकता है।
पहला, लगता है डॉक्टर साहब दिशा और दशा को भली भांति जानते हैं तभी तो उन्होंने ने चार्ज लेते ही संवाद में सालों से चली आ रही सिटिंग की परपंरा को चेंज कर दिया है। अब आयुक्त जनसंपर्क मुख्य कार्यपालन अधिकारी छत्तीसगढ़ संवाद डॉ रवि मित्तल का बोर्ड FF 7 और उसके ठीक बाजू में पर्सनल स्टाफ CEO/CPR FF 8 नजर आने लगा है वहीं अजय कुमार अग्रवाल FF 5
रा. प्र.से संचालक जनसंपर्क अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी छत्तीसगढ़ संवाद में बैठ रहे हैं। अब ऐसा है कि दोनों अफसरों के कमरों की घंटी की आवाज स्टाफ और संवाद आने वालों के कानों में पड़ते ही एक बार तो समझ नहीं आता कि किसका बुलावा है। अरे भई साहब नए है धीरे धीरे कर सब सेट हो जाएगा। उन्होंने तो एक पुराने स्टाफ को भी कोने में बिठा दिया है। ऐसा लगता है कि डॉक्टर साहब घर के बल्ब की तरह सब कुछ बदल डालूंगा के मूड में है और उसका असर भी दिखने लगा है जिससे उनके मातहत भी नए सिरे से चार्ज हो रहे हैं।
दूसरा नो गिफ्ट, आईएएस मित्तल ने दीपावली के ठीक पहले चार्ज लिया है। जाहिर सी बात है कि अब उनसे कोई भी मिलने आएगा तो खाली अच्छा तो नहीं लगता अरे भई प्रोटोकॉल नाम की भी कोई चीज होती है। साहब से कटसी निभाने भीड़ आई और आ रही है। सब के हाथों में बड़े बड़े गिफ्ट, आगंतुक के नाम की पर्ची गई कुछ देर बाद बेल बजी और बुलावा आया फिर अन्दर इंट्री, सब से पहले साहब ने पूछा इसमें क्या सामने वाले का जवाब जो भी आईएएस मित्तल ने तत्काल स्टाफ को बुला गिफ्ट का सामान संवाद बिल्डिंग के अलग अलग टेबलों में बंटवाने का हुकुम दिया फिर आगे मेल मुलाकात और वही अंदाज, डॉक्टर मित्तल से उम्मीदें बहुत है और उनके इस नो गिफ्ट ओनली काम की बात वाले अंदाज से बहुत कुछ समझ आ रहा है। वैसे मित्तल साहब काफी गंभीर और काम के प्रति संजीदा नजर आए सब को समय दिया और दे भी रहे हैं टॉपिक की बात और परिचय यही चल रहा है और होना भी यही चाहिए लेकिन कुछ लोग उनके सिर पर चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं तो उनका नाराज होना भी लाजमी है अरे अखबार वाले हो या कोई भी जरा तमीज से तो पेश आओ फिर पत्रकारिता की क्षेत्र से जुड़े लोगों की अदब लिहाज की तो कोई बात ही नहीं.
मोहन भईया से उखड़े पंडित जी.
कहते हैं कि राजनीति में सब कुछ संभव है। कब क्या हो जाए इसका कोई ठिकाना नहीं, अब सुनिए आगे की कहानी,रायपुर नगर दक्षिण विधानसभा उपचुनाव में टिकिट पाने आस में इस क्षेत्र के पूर्व विधायक और वर्तमान सांसद बृजमोहन अग्रवाल के एक दम खास पंडित जी आजकल उखड़े उखड़े से नजर आ रहे हैं। कोई बता रहा था कि टिकट के लिए हाइकमान को पहले पंडित जी का नाम दिया गया था। सब कुछ फाइनल हो गया था हो चुका था पंडित जी भी अंदर ही अंदर अपनी तैयारी में लग गए थे लेकिन एन वक्त पर सोनी जी का नाम आगे बढ़ा दिया गया। इससे नाराज पंडित जी चुनाव प्रचार के लिए घर से भी नहीं निकल रहे हैं ना ही ऑफिस में मन लग रहे हैं मिल भी गए तो बे मन से, मन में एक ही मलाल है कि मोहन भईया ने धोखा दे दिया।
कई जगह तो पंडित जी नाराज़गी भी साफ दिखाई दे रही है। उनका नाम चेंज होने से अग्रवाल खेमें के कुछ लोग भी नाराज है। अब मोहन भईया ने क्या सोच कर सोनी जी को चुनावी मैदान में उतारा है यह तो परिमाण ही तय करेगा। लेकिन ब्राह्मण वाद का नारा चुनावी दंगल में देखने को मिल रहा है।