"रवि शुक्ला".
चवन्नी में लगा कमीशन का जंग.
पार्ट.1
आखिरकार प्रदेश में धर्म की चवन्नी दागदार हो ही गई। स्वभाव से सरल, शांत और पार्टी के लिए ईमानदार की छवि का ईमान इतने सस्ते में बिक गया किसी ने सोचा नही था। कमीशन की बात सामने आई तो चवन्नी में लगे जंग की परते बाहर आने लगी। पंद्रह साल की सरकार में क्या, कैसे और किस डिपार्मेंट के बूते हुआ उसका चिराग विरोधियों के हाथों में आ गया है। बस तलाश है मौके की चिराग को घिसा और जिन्न बाहर.
खैर धर्म की चवन्नी के कमीशनखोरी की क्लास दिल्ली में लगी। पूछताप हुई,कोई बता रहा था कि सेंट्रल टीम ने पूछा कमीशन की बात बाहर कैसे आ रही है, राज्य में क्या चल रहा है और संगठन में होते हुए इतने कम कमीशन का, फिर 17 परसेंट का खतरा सामने आया तब ऊपर वाले को हाय जिया लगा कि यह ठीक है। कुल मिलाकर सरकार की किरकिरी हुई है और मैनेजमेंट चल रहा है।
पार्ट.2
कमीशन और सरकार की बदनामी,इससे यह तो साफ है कि ' अपने ही गिराते है नशे मन पर बिजलियां ' वाला सिस्टम चल पड़ा है औरो को क्या कोसना खुद पार्टी के लोग की एक दूसरे के लिए गड्ढा खोदने में लगे है। नए पुराने को नही पचा पा रहे और पार्टी में पुराने हो चुके दुबराज की आंखों में नए कंकड़ की तरह चुभ रहे हैं। धर्म की चवन्नी पहला टारगेट है। अभी बचे साल भीतर में सियासी बम प्लांट हो रहा है धीरे धीरे विस्फोट की आवाजें सुनाई देती रहेगी.
दुख भरे दिन बीते रे भईया.
राज्य पुलिस विभाग की टीम से मिशन चाइना गेट के 21 खटराल अफसर जब तक सांस वापसी की आस में एक एक दिन गिन रहे थे,जो अब पूरा हो गया बस्तर के अलग अलग जिलों में सुशासन का पाठ पढ़ाते पढ़ाते अपनी उम्र कि भी गिनती गिनने के बाद अब मिशन चाइना गेट बस्तर से वापसी हो गई है। सब को पता था कि बस्तर में इनकमिंग तो है लेकिन आउटगोइंग की सारी लाइने ध्वस्त, नेटवर्क खराब और ये तो सदियों से परंपरा चली आ रही है कि पहले आ तो जाओ बस्तर से वापसी का कोई रास्ता नहीं है। हुआ, हुआ,हुआ कि तर्ज पर आज हो जाएगा, नहीं कल तो पक्का, कही बस आर्डर साइन होना बाकी है कि राह तकते तकते नौकरी के दिन कटे वो तो अच्छा है विष्णु सरकार के वार से अब बस्तर काफी नक्सल मुक्त हो गया है वरना कन्धों पर हथियारों का बोझ,न बाबा न और ले देकर सवा महीना गुजारने के बाद हो गई वापसी.
नए नवेले अफसर के हाव भाव.
जिला प्रशासन में एक नए साहूकार अफसर आए हैं। बड़े अच्छे और शांत स्वभाव के लगते हैं। इतने नेक दिल की उनकी चौखट पर कोई आए कोई जाए फर्क ही नहीं पड़ता। जिला प्रशासन के बड़े साहब के बाद राजस्व और लॉ एंड ऑर्डर की दूसरी कमांड रखने वाले इन जनाब का कलम पकड़ने का एक अलग अंदाज है। ऑफिस के चैम्बर में मुस्कुराहट ऐसी कि सामने वाला उनको अपना दिल दे बैठे,लेकिन असल में उस मुस्कुराहट के कुछ और ही मायने है। सिर झुका कर फाइलों में उलझे साहूकार अफसर का सीधा मैसेज रहता है काम चल रहा है एंटरटेन नहीं कर सकता। जैसे आगंतुक को छूत की बीमारी हो, अब न जाने जिला प्रशासन की उस पुरानी बिल्डिंग में ऐसा कब तक चलने वाला है ये तो बड़े साहब ही तय करे तो बेहतर होगा।
शेम शेम: तुसी बड़े अजीब से हो.
पेट पर लात मारने की कहावत तो पुरानी हो गई है लेकिन पेट पर मुक्का मारने वाले बिहार की माटी के एक पुलिस अफसर राज्य में तैनात है। कहने को तो आईपीएस है मगर उनके रंग ढंग कुछ दिनों से ठीक नहीं ये हम नहीं कह रहे विभाग की चर्चा है। अभी तो नौकरी की शुरुआत है और तेवर पूछो मत समझ से परे, सुशासन राज के अमन के नक्शे पर फिट नहीं बैठ रहे।
प्रमोट हुए तो बस्तर की रिलीविंग नही मिली उसका अलग दम खम, अजीबोगरीब सी हरकत कम कद काठी से सुसज्जती इन महाशय ने बीते दिन एक सिपाही के पेट में जोर से मुक्का मार दिया। बेचारा सिपाही कंधों पर आईपीएस का तमगा देख पेट पकड़ दर्द से कहरता रहा। कोई बता रहा था कि जनाब को छत्तीसगढ़ियो से जरा एलर्जी है ऐसे तो नहीं थे पहले फिर अचानक कौन सा कीड़ा काट दिया। खैर ऐसे अफसरों के लिए फ्री की एक सलाह है। ये छत्तीसगढ़ है यहां की माटी में कई आए और बहुत से चले गए,इसकी तासीर ऐसी है कि जिसे अपना लिया प्यार और आशीर्वाद दिया वो यही का हो कर रह गया, नहीं तो मिट्टी में मिल जाना है कि कहावत तो सुनी ही होगी इसलिए अमन चैन बरकरार रख हाव भाव जरा बदल लीजिए.



