बिलासपुर. शहर में कांग्रेस और बीजेपी के बीच काटे की टक्कर दिखाई दे रही है।एक तरफ सरल और संस्कारी शिक्षा विद शैलेश पांडेय का भाग्य प्रबल बताया जा रहा है।उनकी सियासी कहानी का जिक्र करते हुए लोग कहते है कि कांग्रेस की टिकिट की दौड़ में कोटा विधानसभा सीट से किनारे किए गए श्री पांडेय को घर बैठे आलाकमान ने बिलासपुर विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी घोषित कर मंत्री अमर अग्रवाल के खिलाफ चुनावी दंगल में उतार दिया।
इसे भाग्य का खेल ही माना जा रहा है वही दूसरी तरफ भाजपा से मंत्री अमर अग्रवाल की 1 बार की विधायकी पारी और 15 सालों तक मंत्री रहते हुए उनके सामने किसी ने मुंह नही खोला लेकिन बीजेपी में टिकिट बटवारें के समय तीन-तीन दावेदार मंत्री के खिलाफ उठ खड़े हुए शैलेश पांडेय को टिकिट मिलते ही कांग्रेस भवन में उनके साथ हुए दुर्व्यवहार से उनकी जबरदस्त री लाचिंग हो गई और इससे उनकी विनम्र और संस्कारी छवि खुलकर सामने आई इसे भी लोग भाग्य का असर मान रहे हैं।
वही चुनाव में बीजेपी के खिलाफ एंटी कंबेंसी और छोटे अग्रवाल को चुनाव मैदान उतारना भारी पड़ रहा है पहले मंत्री अमर अग्रवाल के लिए 20 सालों तक दरी उठाने वाले बीजेपी के कार्यकर्ताओ को आभास हो गया है कि आगे के 20 साल तक छोटे अग्रवाल के लिए दरी समेटना पड़ सकता है।कार्यकर्ताओ को लगता है कि अगर बीजेपी सत्ता में आई तो हमेशा की तरह एल्डरमेन के पद से ज्यादा कुछ नही मिलने वाला वो भी कुछ चंगुमंगूओ को ही इसका सीधा उदाहरण देखने को मिल रहा है कि बीजेपी कार्यकर्ता अपने घर पर पार्टी का झंडा टांग कर दरवाजा बंद कर बैठ गए हैं।
इसका लाभ शैलेश पांडेय को मिलना भी नसीब का खेल माना जा रहा है।बीजेपी को 15 साल सत्ता मिलने के बाद चुनाव मैनेजमेंट को ‘खुदा हुस्न देता है तो नजाकत आ ही जाती है’ मान रहे है।इस तर्ज पर मतदान के आखरी 3 दिन बूथ मैनेजमेंट करने के आसार हैं।खासकर स्थानिय मंत्री को इस काम मे महारत हासिल है।इधर दूसरी ओर लोग समझ रहे है कि 15 साल सत्ता से बाहर होने के कारण कांग्रेसियो के पास मैनेजमेंट के नाम पर चवन्नी भी नही है ऐसे में लोग सोच रहे है कि इस बार कांग्रेस को मौका दिया जाए ताकि मंत्री अमर अग्रवाल अगले चुनाव में मतदाताओं का महत्व समझे और चुनावी मैनेजमेंट में दोनो पार्टी तबियत से खर्च कर सके।इसे भी कांग्रेस का प्रभल भाग्य माना जा रहा है।