‘OMG’: नफरत के दौर में कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज ने पेश की कौमी एकता की मिसाल.

रायपुर. कान्यकुब्ज़ ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष अरुण शुक्ला और सचिव सुरेश मिश्रा के द्वारा समाज के भवन में चल रहे ब्राह्मणों के स्कूल में मदरसे के शिक्षकों को नियुक्त किए जाने की पहल के बाद समाज के कुछ लोगों ने उफान खड़ा कर दिया है। समाज का एक धड़ा इसका विरोध कर रहा है तो वही दबी जुबां से दूसरा धर्मनिरपेक्ष देश पर जोर दे रहा है। इस भारी कश्मकश के बीच राजधानी के चर्चित आरटीआई एक्टिविस्ट और कान्यकुब्ज़ ब्राह्मण समाज के (आजीवन सदस्य,सभा एवं शिक्षा) कुणाल शुक्ला ने बड़े ही संभ्रांत तरीके से अपनी बात सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर रखी है।

(कुणाल शुक्ला)

पहले श्री शुक्ल ने कहा,इस बात की तारीफ़ होना चाहिए.

छत्तीसगढ़ में कान्यकुब्ज़ ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष अरुण शुक्ला और सचिव सुरेश मिश्रा ने राजधानी रायपुर के आशीर्वाद भवन में संचालित ब्राह्मणों के स्कूल में मदरसे के शिक्षकों को नियुक्त करने की हिम्मत दिखाई.

क्या ऐसी हिम्मत तथा हिमाक़त और कोई समाज नफ़रत के इस दौर में रखता है? जैसी हिम्मत कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज के अरुण शुक्ला और सुरेश मिश्रा के नेतृत्व ने दिखाई है?कदापि नहीं..

मुस्लिम समाज द्वारा संचालित स्कूल में सिर्फ़ मुस्लिम शिक्षक नियुक्त होते हैं,किसी अन्य जाति धर्म के शिक्षक नहीं।

ईसाई समाज द्वारा संचालित स्कूल में सिर्फ़ ईसाई शिक्षक नियुक्त होते हैं,किसी अन्य जाति धर्म के शिक्षक नहीं।

कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष अरुण शुक्ला और सचिव सुरेश मिश्रा ने आशीर्वाद भवन रायपुर में ब्राह्मणों द्वारा संचालित स्कूल में मदरसे के शिक्षकों को नियुक्त कर आज इस नफ़रत के इस दौर में मोहब्बत की मिसाल प्रस्तुत की है जिसकी हमारे धर्मनिरपेक्ष देश में तारीफ़ होना चाहिए।

मुझे उम्मीद है अरुण शुक्ला और सुरेश मिश्रा की टीम अगर कान्यकुब्ज़ सभा और शिक्षा का अगामी चुनाव जीतते हैं तो वे ब्राह्मणों द्वारा संचालित स्कूल में ईसाई मिशनरी के शिक्षकों को नियुक्त करके गंगा जमुना तहज़ीब को नया आयाम देंगे।

जय हिंद, जय भारत.

जानिए, धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा.

धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है राज्य का किसी भी धर्म के प्रति पक्षपात न करना, बल्कि सभी धर्मों को समान रूप से सम्मान देना और सभी को अपनी धार्मिक मान्यताओं को मानने और पालन करने की स्वतंत्रता प्रदान करना.

धर्म से अलग:
“धर्मनिरपेक्ष” शब्द का अर्थ है धर्म से “अलग” होना या कोई धार्मिक आधार नहीं होना.
सभी धर्मों का सम्मान:
धर्मनिरपेक्ष राज्य का मतलब है कि वह देश और उसके लोगों के लिए किसी एक धर्म को प्राथमिकता नहीं देता है.

याद रखिए दुनिया का सबसे बड़ा धर्म और जाति मानवता है, पंडित कुणाल शुक्ला.

इधर शुक्रवार को कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष और सचिव की इस पहल के बाद उठे बवाल पर कुणाल शुक्ला एक बार फिर सामने आए उन्होंने साफ तौर पर अपने निस्वार्थ विचार रखते हुए कहा कि,

कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष पंडित अरुण शुक्ला तथा सचिव पंडित सुरेश मिश्रा द्वारा छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में संचालित ब्राह्मणों के आशीर्वाद इंग्लिश मीडियम स्कूल में मदरसे की शिक्षकों की नियुक्ति को अनेक ब्राह्मण साथी ग़लत मान रहे हैं,पर मैं इसे कदापि ग़लत नहीं मानता हूँ।

प्रिय कान्यकुब्ज ब्राह्मण साथियों आप ही बताइए क्या अस्पताल में मरीज़ को खून चढ़ाते समय खून देने वाले का जाति धर्म देखा जाता है?नहीं… बिल्कुल नहीं।तो फिर आप ब्राह्मणों के स्कूल में मदरसे की शिक्षकों की नियुक्ति को ग़लत कैसे ठहरा सकते हैं?क्या मदरसे के शिक्षक का खून… खून नहीं होता?क्या उसके खून का रंग ब्राह्मण के खून से अलग होता है?

एक धर्मनिरपेक्ष देश में ब्राह्मणों द्वारा संचालित स्कूल में मदरसे के शिक्षकों को नियुक्त कर पंडित अरुण शुक्ला और पंडित सुरेश मिश्रा ने सामाजिक सौहार्द की एक नई मिसाल कायम की है जिसके लिए यह दोनों धन्यवाद और साधुवाद के पात्र हैं।

आगामी 29 मार्च को होने जा रहे कान्यकुब्ज ब्राह्मण समाज के चुनावों में पंडित अरुण शुक्ला और पंडित सुरेश मिश्रा की टीम को विजय बनाइए जिसके बाद हो सकता है ब्राह्मणों के आशीर्वाद इंग्लिश मीडियम स्कूल में अज़ान के साथ साथ हमें हालेलुया का मधुर संगीत भी सुनाई दे और हम समाज और देश को यह संदेश दे सकें की हम कान्यकुब्ज ब्राह्मण नफ़रत के इस दौर में मोहब्बत की दुकान सजाये बैठे हैं।

ईश्वर अल्लाह तेरे नाम,
सबको सन्मति दे भगवान।
सबको सन्मति दे भगवान,
सारा जग तेरी सन्तान॥

जय हिंद,जय छत्तीसगढ़.

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