बिलासपुर. जिले में सीखने सिखाने के चक्कर में पुलिसिंग फूल मटिया मेट हो रही है। आलम यह है कि जिन्हें सीखना चाहिए उन्हें थानेदार के माथे पर बैठा दिया गया। जिसके चलते थाना स्टाफ हताश और निराशा है।
बिलासपुर जिले में शायद ही ऐसा पहली बार हुआ होगा की सिखाड़ी डीएसपी को थाना प्रभारी का चार्ज देकर टीआई को साइड लाइन कर दिया गया है। ये हम नहीं कह रहे बल्कि जिले की प्रहार पुलिसिंग में चर्चा जोरों पर है। जिसे देखो वह अपना मतलब साधने में लगा हुआ है कुछ थाना स्टाफ ने ट्रेनी डीएसपी का पल्लू पकड़ लिया है तो कुछ अब भी टीआई का दामन थामे हुए हैं। आलम तो यह है कि किसकी सुने किसकी नही.
शहर के वीआईपी इलाके और अरपा पार के थाने की पुलिसिंग खुद विभाग के लोगों को रास नहीं आ रही है। थानेदार की सुने या ट्रेनी डीएसपी की बड़े असमंजस की स्थिति है। पुलिस कप्तान ने थानेदारों के माथे पर प्रसिक्षु डीएसपी को क्या बिठा दिया मानो सारा कामकाज अब इनके ही कंधो पर आ गया हो,बिलासपुर जिले में शायद ही ऐसा पहली बार हुआ है जब सीखने की उम्र में ट्रेनी डीएसपी उल्टा पुलिस विभाग में अपनी उम्र का एक पड़ाव पार कर चुके थानेदारों को सिखाने या कहे कि एक कदम आगे बढ़ कर काम करने की जुगत में लगे हैं। बड़ी ही इंसलटिंग फिल कर रहे थानेदार लोक लाज, विभाग के आला अधिकारियों और परित्राणाय साधुनाम के डर से अंधा, काना और भैरा बने बैठे हैं।
करे तो क्या करे वाले हालात हैं, कप्तान का फरमान ही सर्व मान है इधर थाना स्टाफ की हालत भी काफी पतली है। गर्मी की शुरूवात में ही किसकी सुने किसकी नहीं वाला माहौल पैदा हो गया है।
कुछ ने बदला पाला तो कुछ.
वह कहावत है ना की जिधर बम उधर हम, फट गया बम भाग गए हम,जरा ठहाके लगाकर हंसने वाली लाइन है, लेकिन जिले की पुलिसिंग में ऐसा हो रहा है। थानेदार के माथे पर बैठे ट्रेनी सिखाड़ी डीएसपी को अपने आगे का भविष्य मान वीआईपी इलाके और अरपा पार का थाना स्टाफ अलग अलग हिस्सों में बंट गया है। थाने के इंतजाम अली कहे जाने वाले पुलिस कर्मी टीआई को अनदेखा कर रहे थे जबकि चार दिन की चांदनी फिर वही…वाला किस्सा कहानी चल रही है। ट्रेनी डीएसपी का साया बने कुछ थाना स्टाफ ने मौका देख पाला भी बदल लिया है तो कुछ अब भी थानेदार का दामन थामे हुए हैं। चर्चा तो यह भी है कि ट्रेनी डीएसपी के हाव भाव से थाना स्टाफ भी संतुष्ट नहीं हैं।
टशन इतना की.
माना की ट्रेनी डीएसपी भी पुलिस विभाग में अफसर शाही का एक पार्ट है लेकिन नजारा कुछ ऐसा है कि इनका टशन, थानेदार की कुर्सी और खुद का टेबल पर नेम प्लेट विभाग के ही लोगों की आंखों में चुभ रहा है। थानेदार है कि चेंबर में जाना पसंद नहीं कर रहे हैं कुर्सी में बैठना तो दूर की बात है, हद तो तब हो गई कि सीखने की उम्र में सिखाड़ी डीएसपी अपनी आखें ततेर कर थानेदार को केस डायरी थमा बेवजह उनकी ऊपर तक चाई चुगली करने से भी पीछे नहीं.