नई दिल्ली। पतंजलि आयुर्वेद ने भ्रामक विज्ञापन से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बिना शर्त माफी मांगी है. कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि वो दोबारा ऐसी गलती दोबारा नहीं करेंगे. मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव के साथ-साथ आचार्य बालकृष्ण को 2 अप्रैल को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने के लिए कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश के बावजूद दवाओं का भ्रामक विज्ञापन जारी रखने पर पतंजलि आयुर्वेद को नोटिस जारी करते हुए 2 अप्रैल को बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा था.
इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पतंजलि आयुर्वेद से कहा था कि वह अपनी दवाओं से गंभीर बीमारियों का स्थायी इलाज होने और एलोपैथी को खराब बताने वाले विज्ञापन रोक दे.
आईएमए ने अपनी याचिका में पतंजलि आयुर्वेद पर कोविड रोधी टीकाकरण अभियान और आधुनिक दवाओं के खिलाफ मुहिम चलाने का आरोप लगाया गया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पतंजलि आयुर्वेद की ओर से तर्क दिया कि इस आदेश के बाद प्रकाशित कुछ विज्ञापनों में गलती से वैसे दावे लिख दिए गए, जिन्हें कोर्ट ने मना किया था.
सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी कड़ी आपत्ति
इससे पहले जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि आयुर्वेद और इसके एमडी आचार्य बालकृष्ण को पहले जारी किए गए नोटिसों का जवाब दाखिल न करने पर कड़ी आपत्ति जताई थी. पूछा गया था कि अदालत को दिए गए वचन का प्रथम दृष्टया उल्लंघन करने के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए.