रायपुर. राजधानी में चल रही अवैध प्लॉटिंग को रोकने कलेक्टर ने जमीन की रजिस्ट्री के लिए नया सिस्टम लागू किया है. इस नए सिस्टम से लोग परेशान हैं, वहीं इसका फायदा भू-माफिया उठा रहे. प्रशासन ने दावा किया था कि रजिस्ट्री के नए सिस्टम से लोगों का काम पांच मिनट में हो जाएगा, लेकिन एक-एक रजिस्ट्री के लिए एक घंटे से ज्यादा का समय लग रहा है. नए सिस्टम में प्रॉपर्टी के दस्तावेज अपलोड करने के लिए पोर्टल में एक आईडी बनानी पड़ती है. यह आईडी तभी जनरेट होती है जब मोबाइल पर ओटीपी आता है, लेकिन कई वजहों से ओटीपी आने में 1 से 2 घंटे का समय लग रहा. इस वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यही वजह है कि रायपुर शहर में अभी इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया जा रहा है. केवल 2 उप पंजीयक के कंप्यूटर पर ही इसे इंस्टॉल किया गया है.
भू-माफिया उठा रहे फायदा
पिछली सरकार ने छोटे प्लॉटों की रजिस्ट्री ओपन कर दी थी. इससे प्रदेशभर में बड़े पैमाने पर अवैध प्लॉटिंग का खेल चल रहा था. इसमें बड़े-बड़े भू-माफियाओं ने किसानों को लालच देकर किसानी जमीन को छोटे-छोटे टुकड़े करके बेचा. इससे जिले में 400 से ज्यादा अवैध कॉलोनी बन गई. इसकी शिकायत कलेक्टर से होने पर उन्होंने 32 लोगों पर एफआईआर और 1100 खसरों को ब्लॉक किया था. अब रजिस्ट्री के नए सॉफ्टवेयर में यह खसरे खुले दिखाई दे रहे हैं, जिसका फायदा भी कुछ भू- माफिया उठा चुके हैं. बता दें कि बीते 15 दिनों से नए एनजीडीआरएस सिस्टम से तिल्दा, आरंग और रायपुर के एसआर-4, एसआर-5 एसआर-3 में रजिस्ट्री हो रही है. इस नए पोर्टल में खसरों को दर्ज करने में लापरवाही का फायदा भू-माफियाओं को हो रहा है.