(विकास तिवारी)
दंतेवाड़ा. बस्तर के घोर नक्सल प्रभावित जंगलो से कंधे पर गन लटकाए गश्त पर डीआरजी के जवानों ने कुछ ऐसा कर दिया जिसकी जमकर तारीफ हो रही है। दंतेवाड़ा जिले से आई इन तस्वीरों में हमारे पास भी दिल है का अहसास दिलाते हुए जवान आदिवासियों के साथ महुआ फल बिनते और कांवड़ में लादकर कर घर तक पहुचाने का काम करते नजर आ रहे हैं। मानो ऐसा लग रहा की वो कह रहे हो कि आरोप तो लगते रहेंगे, मगर असल जिंदगी में समाज के प्रति यह भी हमारा एक कर्तव्य है।
बस्तर के जंगलों में गश्त करने वाले जवानों पर कई बार आरोप लगते रहते हैं कि उनके द्वारा जंगलों में घूमने वाले आदिवासियों को बेवजह प्रताड़ित किया जाता है।पर शनिवार को सोशल मीडिया में एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है जिसकी सभी जमकर तारीफ भी कर रहे हैं।
दरअसल यह वीडियो-फ़ोटो दंतेवाड़ा जिले के डीआरजी के जवानों का है, जिसमे वे घने जंगलों में महुआ का फल बिनते नजर आ रहे हैं। जवानों के साथ एक ग्रामीण महिला और बच्ची भी है जो महुआ बिन रही है।
निडर रहे आमजन यही हमारा उद्देश्य. आईजी
इस वीडियो-फ़ोटो के संबंध में बस्तर आईजी सुंदरराज पी से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि दंतेवाड़ा जिले में जवान जब गश्त से वापस लौट रहे थे, तब उन्हे घने जंगलों में एक महिला अपनी बच्ची के साथ महुआ बिनती नजर आई। ऐसे में जवानों ने उस महिला की मदद करने के उद्देश्य से उसके साथ ना केवल सारे महूए के फल उठाने में मदद की गई बल्कि एकत्रित किए गए सारे फलों को कांवड़ में लादकर जवानों द्वारा ही महिला के घर तक पहुंचाया गया। बस्तर आईजी ने कहा जब जवान महिला की मदद कर रहे थे तो महिला जवानों से बिना डरे उनके साथ महुआ बिन रही थी, और यही जवानों का उद्देश्य भी था जिसमे वे सफल हुए हैं। बस्तर आईजी का कहना है कि बस्तर में माओवादियों से लोहा लेते सुरक्षाबलों की प्राथमिकता ग्रामीणों में सुरक्षा और भरोसा जगाना भी होता है। और यही वजह है कि जवान जब भी जंगलों में गस्त में निकलते हैं तो उनके द्वारा अंदरूनी इलाकों में ग्रामीणों को सभी प्रकार से मदद करने की कोशिश की जाती है। इससे पहले भी काफी अंदरूनी इलाकों से बीमार ग्रामीणों को मिलों कंधे पर लादकर जवानों द्वारा अस्पताल पहुंचाया गया है।
दरअसल पुलिस का मानना है कि अंदरूनी क्षेत्रों के ग्रामीण और पुलिस के बीच संबंध जितना व्यवहारिक होगा माओवादियों की जड़ उतनी ही कमजोर होगी। गस्त के दौरान जवानों पर लगने वाले आरोपों पर आईजी का कहना है कि इसके पीछे भी माओवादियों का ही प्रोपोगेंडा होता है जिससे जवानों को बदनाम किया जाए। पर अब बस्तर के आदिवासी उनकी मानसिकता को समझ गए हैं और मुख्यधारा से जुड़ने का प्रयास कर रहे हैं।