कतर ने जेल में बंद भारतीय नौसेना के उन आठ पूर्व कर्मियों को रिहा कर दिया, जासूसी के एक मामले में पिछले साल अक्टूबर में मौत की सजा 

कतर ने जेल में बंद भारतीय नौसेना के उन आठ पूर्व कर्मियों को रिहा कर दिया है, जिन्हें कथित रूप से जासूसी के एक मामले में पिछले साल अक्टूबर में मौत की सजा सुनाई गई थी. इनमें से सात भारत लौट आए हैं. बता दें कि भारत के अनुरोध पर मौत की सजा को उम्रकैद में बदला गया था.विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है. उन आठ में सात भारत लौट आए हैं. हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी को सक्षम करने के लिए कतर राज्य के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं.’भारत लौटे पूर्व नौसैनिक अधिकारियों में एक ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हस्तक्षेप के बिना उनकी रिहाई संभव नहीं थी. उन्होंने दिल्ली हवाई अड्डे पर उतरने के बाद ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए. सभी पूर्व अधिकारियों ने पीएम मोदी और कतर के अमीर काे भी धन्यवाद दिया.

जानिए पूरा मामला

कतर की अदालत ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मचारियों को पिछले साल 27 अक्टूबर को मौत की सजा सुनाई थी. इस फैसले को भारत ने चौंकाने वाला बताया था. हालांकि भारत सरकार ने साफ कर दिया था कि वह इस मामले में सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहा है. हैरानी वाली बात ये थी कि कतर के साथ भारत के रिश्ते अच्छे माने जाते हैं. इसके बाद भी कतर ने आठ भारतीयों को मौत की सजा सुनाई थी. अब सवाल उठता है कि आखिर ये आठ भारतीय कौन हैं और कतर में क्या कर रहे थे और कब से जेल में बंद थे?

दरअसल, कतर की अदालत ने जिन आठ भारतीयों को मौत की सजा सुनाई थी, वे सभी भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी रह चुके हैं. ये अधिकारी पिछले साल अगस्त से ही कतर की जेल में बंद थे. न तो भारत और न ही कतर के अधिकारियों ने उनके खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक किया. भारतीय नौसेना के आठ पूर्व सैनिकों के खिलाफ 25 मार्च को आरोप दर्ज किए गए थे और उन पर कतर के कानून के तहत मुकदमा चल रहा था. उनकी जमानत याचिकाएं कई बार खारिज की जा चुकी थी और कतर में कोर्ट ऑफ फर्स्ट इंस्टेंस ने पिछली साल उनके खिलाफ फैसला सुनाया था.

ऐसे मिली भारत को सफलता

इसके बाद भारत ने अपने नौसेनिकों को छुड़ाने के लिए कवायद शुरू की, जिसमें सबसे पहले कतर की प्रथम दृष्टया अदालत द्वारा दी गई मौत की सजा के बारे में इसे “गहरा झटका” करार दिया और इसके लिए दुख व्यक्त किया था. इसके बाद भारत ने अपने नौसेना के सम्मानित अधिकारियों सहित आठ लोगों की मदद के लिए सभी कानूनी विकल्पों पर विचार करने का वादा किया था. इसके लिए भारत ने सबसे पहले नौसेनिकों की मौत की सजा के खिलाफ कतर की कोर्ट का रुख किया था. इसके बाद 28 दिसंबर को, कतर की कोर्ट ने भारतीय नौसेनिकों की मौत की सजा को कम कर दिया और उन्हें अलग-अलग समयावधि के जेल की सजा सुनाई.

कतर में भारतीय नौसेना के दिग्गजों के परिजन भारत में उनकी सजा की खबर सुनकर चिंतित थे. परिजन उनकी रिहाई और उनकी सुरक्षित देश वापसी की गुहार लगाई थी, जिसके बाद विदेश मंत्रालय ने उन्हें ये आश्वासन दिया था कि सभी राजनयिक चैनलों को जुटाएंगे और उन्हें देश में वापस लाने के लिए कानूनी सहायता की व्यवस्था की जाएगी.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस साल की शुरुआत, जनवरी में अपील के बाद कतर की अदालत ने आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को उनकी मौत की सजा को कम कर दिया और अलग-अलग जेल की सजा के खिलाफ अपील करने के लिए 60 दिन का समय दिया था. अदालत ने शुरू में मौखिक आदेश के रूप में फैसला सुनाया और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने नियमित मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि आठ लोगों की सहायता करने वाली कानूनी टीम को फैसले की एक प्रति मिल गई थी, लेकिन यह एक “गोपनीय दस्तावेज” था. इसके बाद कोर्ट ने भारत के आठ जांबाजों को रिहा करने का आदेश दिया.

इन आठ जांबाजों की हुई रिहाई

कैप्टन नवतेज गिल

कैप्टन सौरभ वशिष्ठ

कमांडर पूर्णेंदु तिवारी

कमांडर अमित नागपाल

कमांडर एसके गुप्ता

कमांडर बीके वर्मा

कमांडर सुगुनाकर पकाला

नाविक रागेश

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