रेलवे अफसरों – सांसदों के बीच नोकझोंक और बैठक खत्म,महिला सांसद ने जताई नाराजगी.

बिलासपुर. एक बार फिर रेलवे और सांसदों के बीच रेलवे की सुविधाओं को लेकर बैठक तीखी नोकझोंक से शुरू और खत्म हुई। वैसे तो बैठक में 12 में से सिर्फ तीन सांसदों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई वही बाकियों ने अपने प्रतिनिधियों को भेजना मुनासिब समझा। इधर कोरबा का मुद्दा छाया रहा और रेल अफसरों पर सौतेले व्यवहार का आरोप लगा, हर बार की तरह इस बार भी ट्रेन स्टॉपेज,ट्रेन व स्टेशनों में सुविधाएं,ब्रिज और सब से ज्यादा ट्रेनों की लेटलतीफी और कैंसिलेशन को लेकर हंगामे के साथ बैठक खत्म भी हो गई।

मंगलवार को बिलासपुर रेल मंडल कार्यालय में सांसदों और रेल अधिकारियों की बैठक हुई. बैठक में सांसद और राज्यसभा सदस्यों को शामिल होना था, लेकिन 3 सांसद ही शामिल हुए और बाकी के सांसदों ने अपने प्रतिनिधियो को भेजा। बैठक में रेल सुविधाओ और ट्रेनों के कैंसिलेशन का मुद्दा छाया रहा. सांसद और सांसदों के प्रतिनिधियों ने ट्रेन स्टॉपेज, और स्टेशनों में सुविधा नही मिलने को लेकर रेल अधिकारियों को जमकर खरीखोटी सुनाई. कोरबा सांसद ज्योतना महंत के सांसद प्रतिनिधि ने कोरबा के साथ हो रहे सौतेले व्यवहार को लेकर सवालिका निशान लगाए और ज़ोन के आय के 80 फीसदी कोरबा से प्राप्त होने के बावजूद ट्रेनों का स्टॉपेज नही होना, छोटे स्टेशनों को सुविधा विहीन होने के साथ ही कई मुद्दों पर रेल अधिकारियों को घेरा.

रेलवे के साथ सांसदों की बैठक हंगामेदार रही. विपक्षी सांसद प्रतिनिधियों ने बैठक में रेलवे के रवैए को लेकर जमकर नाराजगी जताई. बैठक में 12 सांसदों व सदस्यों में केवल तीन सांसद ही बैठक में शामिल रहे. बैठक में ट्रेनों के स्टॉपेज, लेटलतीफी, रेल ब्रिज, स्टेशन, प्लेटफार्म सहित यात्री समस्याओं और सुविधाओं को लेकर प्रतिनिधियों ने जमकर हंगामा किया.

सांसदों के प्रस्तावों को बोर्ड न भेजने का आरोप.

बैठक में केवल तीन सांसद जांजगीर- चांपा, रायगढ़ और शहडोल के सांसद ही शामिल हुए, इसके अलावा अन्य सांसदों के प्रतिनिधि बैठक में सांसदों की मांगों और सुझावों के साथ पहुंचे थे. इस दौरान बैठक के शुरू होने के साथ ही कई सांसद प्रतिनिधियों ने रेलवे के रवैए के खिलाफ जमकर नाराजगी जताई. सांसदों ने आरोप लगाया कि उनके प्रस्ताव और सुझावों पर बिना चर्चा के ही रेलवे अधिकारियों ने टिप्पणी कर खानापूर्ति कर दी। इसे लेकर सांसद ज्योतना महंत के प्रतिनिधि हरीश परसाई ने सवाल खड़े किया. कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत के प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हुए हरीश परसाई ने बताया कि, जनप्रतिनिधियों के प्रस्तावों को बिना रेलवे बोर्ड को भेजे रेल अधिकारी उस पर टिप्पणी कर रहे हैं. यात्रियों की मांगों और आवश्यकताओं को नजरंदाज किया जा रहा है। इसके साथ ही अन्य सांसदों और प्रतिनिधियों ने भी बैठक में मुख्य रूप से ट्रेनों के स्टॉपेज, ट्रेनों की लेटलतिफी, स्टेशन, प्लेटफार्म, रेल ब्रिज का विस्तार जैसे यात्री सुविधाओं और आवश्यकताओं को लेकर अपनी बात रखी, हालांकि, रेलवे के अधिकारी इन मांगों पर कोई ठोस जवाब नहीं दे सके.

रेलवे अफसरों की अपनी तारीफ.

बैठक में हंगामे की बजाए रेल अफसर सांसदों के संतुष्ट होने का बयान दे रहे हैं,कि रेलवे अधिकारियों के द्वारा अधोसंरचना विकास और माल लदान के कारण ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हो रहा है. अधोसंरचना विकास के साथ आने वाले दिनों में इस समस्या का समाधान भी हो जाएगा. बहरहाल, रेलवे और सांसदों की बैठक हंगामे औचारिकता और रेलवे के रटे रटाए जवाब के साथ खत्म हो गई, यात्री समस्याओं और उसके निराकरण को लेकर कोई निष्कर्ष नहीं निकला.

रेलवे के कामकाज पर सांसद महंत का निराशा भरा लेटर.

इधर कोरबा सांसद ज्योत्सना महंत के प्रतिनिधि परसाई ने सांसद ज्योत्सना महंत के पत्र को रेल अधिकारियों को दिखाया। जिसमें कोरबा सांसद ने लिखा था कि बिलासपुर जोन के आय का 80% हिस्सा कोरबा से जाता है। लेकिन ट्रेन स्टॉपेज सुविधाएं और कई ट्रेनों के स्टॉपेज की मांग को दरकिनार कर दिया जा रहा हैं. सांसद प्रतिनिधि परसाई ने बताया कि कोरबा में डेढ़ किलोमीटर की रेल लाइन में 5 फाटक है. कोरबा इतवारी ट्रेन को कोरबा से रवाना कर वापसी बिलासपुर में ही रोक दिया जाता है.ऐसी कई ट्रेनें है जो कोरबा से नही चलती जिनका विस्तार कर कोरबा से चलाया जा सकता है।

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