🔴मकर संक्रांति (सौम्यायन)विशेषांक🔴
दिनांक 14 जनवरी 2022 को मकर संक्रांति है! अर्थात भगवान सूर्यदेव धनु राशि से निकल कर रात्रि 07 बजकर 59 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे!
संक्रान्ति का पंचांग –
मास-पौष, पक्ष-शुक्ल, तिथि- द्वादशी, दिन-शुक्रवार, नक्षत्र-रोहिणी, योग-ब्रह्म, करण-बालव, लग्न – सिंह!
🔴 संक्रान्ति विशेषता 🔴
🔸स्थिति – बैठी,
🔸फल – मध्यम,
🔸वाहन – बाघ,
🔸उपवाहन – अश्व,
🔸फल – भय,
🔸वस्त्र – पीला,
🔸शस्त्र – गदा,
🔸पात्र – चांदी,
🔸भक्ष्य – दूध,
🔸लेपन – केसर,
🔸जाति – भूत,
🔸पुष्प – चमेली,
🔸वस्त्र – पर्ण,
🔸अवस्था – कुमारी,
🔸जगल्लग्न – सिंह,
🔸दिशा – पूर्व दिशा,
🔸मुँख – दक्षिण,
🔸दृष्टि – नैऋत्यकोण में,
🔸संक्रान्ति गमन – पूर्व दिशा में,
🔸संक्रान्ति का नाम – मिश्रा,
🔴 संक्रांति का पुण्यकाल 🔴
संक्रान्ति का जो सबसे महत्वपूर्ण पक्ष होता है वह होता है उस संक्रांति का पुण्यकाल! जिसका निर्धारण व कालज्ञान होना अति आवश्यक हैं! क्योंकि यही वह समय होता है जिसमें स्नान-दान, जाप आदि कर्म का कई गुना अधिक प्रभाव व फल प्राप्त होता है! शास्त्र का मत है कि –
*”अह:सङ्क्रमणे पुण्यमह: सर्वं प्रकीर्तितम्!”*
*”रात्रो सङ्क्रमणे पुण्यों दिनार्धं स्नानदानयो:!!”*
*”तस्मात् मुनीन्द्रै: सङ्क्रान्तेरर्वाक् षोडशनाडिका:!”*
*”पश्चात् षोडश संप्रोक्ता सथूला: पुण्यतमास्तथा!!”‘
सूर्य के अयन संक्रांति अर्थात कर्क और मकर संक्रांति को छोड़कर बाकी की सभी संक्रांति काल के 16 घड़ी पहले व 16 घड़ी बाद का समय पुण्यकाल माना जाता है परन्तु जब अयन संक्रांति हो तो मकर की संक्रान्ति के 20 घड़ी पहले से (8 घंटा) लेकर 40 घड़ी (16 घंटा) आगे की पुण्यकाल होता है ! अत: मकर की सौम्यायन संक्रांति काल रात्रि 07 बजकर 59 मिनट से 20 घड़ी आगे का समय अर्थात 19:59 से 8 घंटा पहले से लेकर 16 घंटा आगे का समय संक्रान्ति का पुण्यकाल माना जायेगा! चुँकि यह रात्रिकालीन संक्रांति है अत: दूसरे दिन सुबह संक्रांति मनाई जायेगी और शनिवार को दोपहर 12 बजे तक संक्रांति का पुण्यकाल रहेगा! जिसमें स्नान-दान, जप आदि करना सर्वथा श्रेष्ठ फलदायी रहेगा!
🔴 संक्रांति का प्रभाव 🔴
चुँकि यह संक्रान्ति शुक्रवार को सूर्यास्त के बाद रात्रिकाल में 19:59 बजे रोहिणी नक्षत्र और बालव करण में लग हो रही है! अत: शास्त्रानुसार –
*”पूर्वह्वाकाले नृपतिं द्विजेन्द्रान्मध्ये दिने चाथ विशोपराह्ञे!”*
*”शुद्रान् रवावस्तमिते प्रदोषे पिशाचकान् रात्रिचरान्निशीथे!!”*
*”बुधगुरू-चन्द्र-सिताहे रविसङ्क्रान्तावनामयं नृणाम्!”*
*”क्षितिपतिनिकरक्षेमं सस्यविवृध्दिर्विधर्मिणां पीड़ा!!”*
अर्थात यह संक्रान्ति राक्षसों व पापवृत्ति और पाप कर्म करने वाले लोगों के लिए दु:खदायी रहेगी! परन्तु मानव समाज में आरोग्य-स्वास्थ्य और राजाओं में परस्पर प्रेम तथा अन्न आदि की समृद्धि होगी, वर्षा सामान्य रहेगी, एवं पाप कर्म करने वालों की हानि होगी! यह “मिश्रा” नामक संक्रांति का फल मध्यम रहेगा, महंगाई में ना तो बेतहाशा बढेगी ना ही बेतहाशा घटेगी वस्तुओं का मुल्य थोड़े बहुत मंदी-तेजी के साथ लगभग स्थिर रहेगा, पशुओं के लिए शुभ रहेगी तथा उन्हें स्वस्थ व सुखी रखेगी! इस संक्रान्ति के साथ जब जब सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे तो मकर राशि को पहले से ही भोग रहे बुध व शनि के साथ सूर्य की युति होगी जिसमें शनि स्वयं की राशि में बलवान होकर बैठे है और सूर्य के नैसर्गिक शत्रु भी हैं तथा बुध सम हैं! परन्तु सूर्यदेव शत्रुगृही होने के कारण विकल अवस्था में होंगे जिससे अशुभ फल प्रदान करेंगे! परिणाम स्वरूप युद्ध व आतंकवादी घटनाओं के चलते खून खराबे की अधिक घटनाऐं घटित होंगी! उत्तर – पश्चिम कोण के सीमा पर कुछ नया विवाद होने की संभावना है! राज नेताओं में परस्पर द्वेष बढेगा तथा परस्पर वैमनस्य के चलते किसी राज्य की सरकार बदलने व गिरने के स्थिति में आ जायेगी! पश्चिम के किसी देश में सीमा विवाद नये रुप में सामने आ सकता है, जिसके कारण अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव बढेगा! आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा आदि देश आपस में संगठित होकर नये संगठन का निर्माण कर सकते है तथा किसी नये कार्य की शुरुआत कर सकते है! अंतरिक्ष में कुछ अनहोनी आश्चर्यजनक घटना होने की संभावना दिख रहा है! माघ मास के अन्त में देश के किसी भाग में दंगा हो सकता है! मौसम खराब रहेगा, वर्षा का भी प्रकोप रहेगा और तेज हवा का भी प्रकोप रहेगा, पाला पड़ने से फसलों को नुकसान होने की संभावना है! शीतलहर का प्रभाव बना रहेगा!
🔴 राशियों पर प्रभाव 🔴
🔸कृतिका, रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्रों में पैदा हुए आर्थात आ, ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो, का और की अक्षर से प्रारंभ होने वाले लोगों के लिए इस यात्राओं का योग है!
🔸आद्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा और पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्रों में पैदा हुए लोगों के लिए यह संक्रांति शुभ है इन नक्षत्रों में पैदा हुए जातक सुखी रहेंगे!
🔸उत्तराफाल्गुनी, हस्त और चित्रा नक्षत्रों में पैदा हुए जातक को किन्ही कारणों से पीड़ा व दुख का सामना करना पड़ेगा!
🔸स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठता, मूल और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों में उत्पन्न लोगों यह संक्रांति वस्त्र लाभ करायेगी!
🔸 उत्तराषाढ़ा, श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्रों में उत्पन्न लोगों के लिए यह संक्रांति शुभ नही है! इन नक्षत्रों में उत्पन्न जातको को किन्ही कारण से धनहानि का सामना करना पड़ेगा!
🔸शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती, आश्विन और भरणी नक्षत्रों में पैदा हुए जातकों के लिए यह संक्रांति शुभ रहेगी तथा इन नक्षत्रों में उत्पन्न जातकों के सुख में वृद्धि होगी!