‘रतनलाल डांगी’
आप जब कभी जीवन मे हताश निराश या असफलताओं से व्याकुल हो जाओ, जीवन खत्म करने का विचार मन में आए तो ठहरो, आपकी इस हताशा निराशा का एक उपाय अभी भी मौजूद है। एक बार उसे आजमाकर तो देख लो, निश्चित ही आपकी समस्याओं का हल मिल जाएगा, आपकी निराशाएं गायब हो जाएगी, आप में साहस भर जाएगा, आपके बुरे विचार मन से गायब हो जाएंगे, आप एक बार फिर से नई जिंदगी जीने का निश्चय कर लेंगे । ऐसा मेरा पक्का विश्वास है । बस आपको एक पुस्तक के कुछ पेज ही पढ़ना है, यानि एक व्यक्ति के जीवन के बारे में थोड़ा सा पढ़ना है।
जैसे ही आप उसके अपने जीवन के संघर्ष, समाज द्वारा उसे अपमानित किए जाने की घटनाओं के बारे में जान जाएंगे तो आपको अपने दुख, कष्ट, समस्याएं, लोगों द्वारा किया गया अपमान, बोले गए कडवे शब्द बौने लगने लग जाएंगे। आपको लगेगा मेरे कष्ट, समस्याएं तो उस बालक के कष्टों, दुखों एवं अपमानों के सामने कुछ नहीं है । आप उठ खडे़ हो जाऐंगे। बस एक बार उसकी जीवनी पढ लेना इतनी प्रेरणा मिल जायेगी की मुश्किलों के पहाड़ से भी ठकराने का साहस आ जायेगा, दुनिया की सारी चुनौतियों से लडने का साहस आ जायेगा।
मैं बात कर रहा हूँ उस महामानव की जिसने अपने दृढ़ निश्चय से न केवल अपना जीवन बदल दिया बल्कि समस्त दुखी मानवता के लिए एक प्रकाश के रूप में सामने आए। विश्व के प्रमुख नेता, विचारक, कानूनविद्, शिक्षाविद ,राष्ट्रप्रेमी ,संविधान निर्माता, महिला उद्धारक के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने जीवनभर समाज के कमजोर, पिछड़े और दलित समुदाय को राष्ट्र की मुख्य धारा में लाने का सतत और जीवंत प्रयास किया। मैं बात कर रहा हूं बाबा साहब अंबेडकर की।
मैने जब से बाबा साहेब को गहराई से पढना शुरू किया तब से मेरा उन्हें दलितों का मसीहा की पहचान का नजरिया पुरी तरह से बदल गया बल्कि वो तो समग्र मानवजाति और मानवता का मसीहा है।
डॉ भीमराव रामजी अंबेडकर का पुरा जीवन संघर्ष में ही बीता, जीवन के शुरुआती दौर में उस समय ओर आजतक के इतिहास में भारत के सबसे ज्यादा पढे लिखे ओर सबसे ज्यादा डिग्री हासिल करने वाले के बाद भी डॉ भीमराव अंबेडकर को जीविकोपार्जन ओर रोजगार के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ता था, अछूत का ठप्पा होने की वजह से उन्हें कोई नौकरी पर नहीं रखता, न ही कोर्ट में कोई केस मिलते थे…, दलितों की जानवरों से भी बदतर स्थिति ओर उनके साथ अमानवीय व्यवहार, बस कीडे मकौड़े की तरह जिंदगी जो किसी तरह कुचलने से चपेट में आने से बच भी गये तो नरकमय जीवन तो काटना ही पडता। बाबा साहेब को इन दर्द-दुखों पीडाओं कठिनाइयों असफलताओं शोषण अत्याचार असमानता तिरस्कार ने अंदर ही अंदर इतना मजबूत सख्त कठोर दृढ़संकल्पित साहसिक निडर शक्तिशाली बलवान तपस्वी इंसान बना दिया जैसे कोई विराट भीम हो की वे किसी भी बडें से बडें पहाड़ या शक्ति ताकत से भी सीधा सीधा टकरा सकते थे।
बाबा साहेब ने आत्मबल दृढ़संकल्प से ये निश्चय कर लिया था की अगर उन्हें जीवन में कभी कोई मौका मिलेगा तो वे मानवता के लिए, शोषितों,वंचितो, पिडितो,गरीबों, किसानों , मजदूरों चाहे वो किसी भी वर्ग समूह का क्यों नहीं हो, हर शख्स इंसान के लिए और महिलाओं के मानवीय अधिकारों के लिए जरूर बहुत कुछ करेंगे, उन्होंने Humanity को सबसे ऊपर रखा, उनका पुरा जीवन संघर्ष में ही गुजरा इसलिए वे आजाद भारत के सबसे ज्यादा सत्य सटीक तार्किक बात करने वाले इंसान है ।
जब पुरा भारत देश देशवासी आजादी के जश्न मे कई दिनों महिनों तक डुबे थे तो दुसरी ओर बाबा साहेब रोजाना बारह से अठारह घंटे तक आधुनिक भारत का भविष्य “भारत का संविधान” लिखने में व्यस्त रहे।
बाबा साहेब की पुरी जीवनी को बार-बार पढ लेना उनके पुरे जीवन में उन्होंने खुद के अलावा न किसी को कष्ट पहुंचाया और न ही किसी को तकलीफ दी, न ही किसी का अधिकार या हक छीना या अतिक्रमित नहीं किया । बल्कि उन्होंने तो हर भारत के शख्स इंसान को मानवीय अधिकार हक देने दिलाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया इसलिए वे महामानव है।
पढेंगे तो रूहें कांप उठेगी, रौगटे खडें हो जायेंगे। जानेंगे तो पूजा करने लग जाओगे।
बाबा साहब अंबेडकर के जन्म दिवस पर हार्दिक शुभकामनाएं।