बिलासपुर. गंदा है मगर धंधा है और धंधे में सब जायज है धंधे के इन्हीं उसूलों के चलते सेंट्रल जेल और सिम्स में गहरी सांठगांठ पनप गई है। तुम हमारे लिए हम तुम्हारे लिए की तर्ज पर एक दूसरे का बचाव किया जाता है। आरोप है कि मौत जेल में होती है और सर्टिफाई करने जब सिम्स ले जाया जाता है तो सिम्स वाले लिख देते हैं जेल के बाहर या रास्ते में मौत हो गई। अब लाश तो बोलेगी नहीं कि इतने समय यहां-वहां मरी हूं लिहाजा सिम्स के डॉक्टर्स जो लिख दे वही खुदा की लकीर है।
सेंट्रल जेल की अफसरी और सिम्स प्रबंधन के बीच गहरी साठगांठ का सनसनीखेज खुलासा एक कैदी ने किया है। ‘OMG NEWS NETWORK’ को नाम नही छापने की शर्त पर उसने बताया कि किस तरह जेल अधीक्षक एस एस तिग्गा और जेलर आर आर राय और उनके नुमाइंदों के इशारे पर सिम्स के डॉक्टर्स चलते है। ये हम नही कह रहे बल्कि कैदी ने आरोप लगाया है जेल के भीतर हर छोटी बडी घटना के बाद उपचार के लिए कैदी को सिम्स रवाना किया जाता है। उससे पहले ही सब कुछ सेट हो जाता है,ज्यादातर जेल में अधीक्षक और जेलर के गुर्गों द्वारा कैदियों की बेरहमी से कुटाई के बाद गंभीर रूप से घायल कैदियों के मामले में सब कुछ पर्दे के पीछे से हो जाता है। कैदी ने कहा कि जेल और सिम्स प्रबंधन की ऐसी यारी है कि हर बार किसी बड़ी घटना में जेल के भीतर अगर जख्मी कैदी मौत हो जाती है तो सिम्स के डॉक्टरों को पहले ही खबर पहुच जाती है हर घटना में जेल में ही अक्सर प्रताड़ना से कैदी दम तोड़ देता है और सिम्स उसे अस्पताल लाते वक्त मौत करार देता है।
एक ही बयान,बेजोड़ दोस्ती.
कैदी ने बताया कि जेल के अफसरों और सिम्स के डीन (अभी या पहले) दोनो की बेजोड़ दोस्ती है। जेल अफसर हर मामलों की खबर डीन को देकर पहले ही मामला सेट कर लेते है। कैदी का आरोप है कि बिना डीन और सिम्स के कुछ पुराने डॉक्टरों की टीम के जेल के अफसर एक कदम भी आगे नही बढ़ाते वो भी जब मामला जेल की कारगुजारियों (कैदियों को दी जाने वाली प्रताड़ना ) से होने वाली मौत से संबंधित हो। इधर हर मामलों को खुद को बचाने जेल प्रशासन एक ही बयान देता की उक्त कैदी की मौत जेल में नही बल्कि बाहर या सिम्स पहुचने से पहले हुई है। यही वजह है कि जांच के नाम पर कैदियों की मौत के राज दफन हो जाते है।