बिलासपुर. सेंट्रल जेल में खाने-पीने की समस्या तो बरसो पुरानी है लेकिन यहां बंदियों से मुलाकात करवाने के एवज में नजराना लेने का धंधा जोरो पर है। आम और खास बंदियों को मिलाकर जेल प्रबंधन हर रोज पचास हजार से एक लाख रुपए प्रतिदिन काली कमाई करता है। ‘OMG NEWS NETWORK’ की पड़ताल में पहचान छुपाने की शर्त पर एक कैदी ने जेल की कारगुजारियों का सनसनीखेज खुलासा किया है। कैदी ने सीधा आरोप लगाया है कि जेल में हर कदम पर पैसों का बोलबाला है और इस गोरखधंधे में जेल अधीक्षक, जेलर से लेकर नीचे के सभी स्टाफ की मिलीभगत है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि जेल में हवालातियों से मिलने के एवज में उनके परिजनों को 500 रुपए की भेंट चढ़ानी पड़ती है। ‘OMG NEWS’ सामने कैदी ने खुलासा किया कि पहले जो भी जेल अधीक्षक रहा और अब एस एस तिग्गा के इशारे के बिना जेल में पत्ता भी नही हिल सकता। जेलर आर आर रॉय व अन्य अधिकारी-स्टाफ की मिलीभगत से हवालातियों के परिजनों को मात्र 10 मिनिट मुलाकात के लिए दिया जाता है,कैदी ने आरोप लगाया कि मुलाकात से पहले 500 रुपए लिया जाता है,वही हर दस मिनिट में 500 रुपए का मीटर घूमने लगता है,सेंट्रल जेल में आम हो या खास हर हवालाती से मिलने के पैसे लगते है।
रसूखदारों को भीतर में मिलवाया जाता है जिसका चार्ज अलग से लिया जाता है,तो आम कैदियों से खिड़की दर्शन का 500 रुपए फिक्स है। कैदी का कहना है कि जेल मैनुअल के हिसाब से 20 मिनिट की मुलाकात का समय दिया जाता है। मगर कोरोना काल के बाद से जेल प्रबंधन ने अपनी मनमामी कर इसे 10 मिनिट कर दिया है। कैदी की माने तो जेल प्रबंधन अपने इस काले धंधे से हर रोज पचास हजार से एक लाख का टारगेट पूरा करता है।
जेल के आनंद.
‘OMG NEWS’ को कैदी ने बताया कि जेल में आनंद ध्रुव जिसे जेल में (चीफ साहब) कहते है’ इसी के जरिए मुलाकात एवज में वसूली होती है,(चीफ साहब ध्रुव) के जिम्मे जेल के मुख्य गेट से लेकर सारे कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने का जिम्मा है आश्यर्च की बात तो यह है कि जेल में मलाई जगहों पर ड्यूटी करने के लिए कर्मचारी भी हेड साहब की जेब गर्म करते हैं तो वही इनके काले कारोबार में भूपेंद्र नाम का सिपाही भरपूर सहयोग करता है। जेल के चप्पे चप्पे में कैमरे की नजर है मगर इसके बाद भी हवालातियों के परिजनों से दस मिनट का 500 रुपए बंधा हुआ है।
कैदी का आरोप है कि सब कुछ जेल अधीक्षक तिग्गा और जेलर रॉय की शह पर होता है। कैदी कहता है कि इस यातना गृह में सिर्फ दस मिनट में भला कोई हवालाती अपनी व्यथा सुना कर परिवार का हालचाल कैसे ले सकता है,जबकि इसके अलावा भी कई तरह की बाते करनी होती है कोर्ट और वकील से संबंधित बात तो हो ही नही पाती, खिड़की में आते और एक दूसरे को देखते ही समय खत्म हो जाता है,लेकिन इसका भी उपाय सेंट्रल जेल प्रबंधन के पास है, अगर ज्यादा बात करनी हो तो हर दस मिनिट के 500 रुपए देना होगा।
चोचले का दिखावा.
जेल में बंदियों का खाना तैयार होने की बाद जेल अधीक्षक को मुंह दिखाई की रस्म है,कैदी ने बताया कि खाना बनने के बाद पाकशाला का नम्बरदार जेल अधीक्षक फिर जेलर को खाने की वैरायटी की टेस्टिंग के लिए थाली लेकर जाता है। मगर अधिकारी है कि इस ओर नजर तक नही फेरते ,थाली में खाना है या पानी से भरी दाल की कटोरी नही तो अधजली रोटी,वैसे आरोप है कि जो भी खाना अधिकारियो के कमरे तक पहुचता है वो फस्ट क्वालिटी का होता है जिसे रसूखदार कैदियों को परोसा जाता है।