देश के सीने पर चूभती दाढ़ी..

‘राजकुमार सोनी’

आरबीआई आपके कब्जे में हैं तो न्यायालय पर भी भगवा रंग चढ़ा दिया गया है. चुनाव आयोग को तो भाजपा आयोग ही कहा जाता है. पुलिस वैसे भी किसी के बाप नहीं होती तो जनता की माई-बाप हो जाने की कल्पना ही बेकार है.आयकर विभाग परेशान करने के लिए ही छापामार कार्रवाई करता है.सीबीआई का नाम तोता था.अब भी तोता ही है. देश के राष्ट्रपति / राज्यपाल क्या कर रहे हैं बताने की आवश्यकता नहीं है.बाकी तलवा चाटने वाला मीडिया 24 घंटे आपकी सेवा में हाज़िर हैं साहेब.जितनी चाहे झूठी खबरें चलवा लीजिए.

जब जनता की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही तो वह क्या करेगी ? क्या जनता को सिर्फ़ साहब का भाषण सुनने के लिए ज़िंदा रहना चाहिए ?

जनता सोशल मीडिया पर मुखर हैं और इस प्लेटफार्म को हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं.भगवा ब्रिगेड के लोग जानबूझकर सवाल उठाते हैं-मोदी नहीं तो फिर कौन ? कहां है विपक्ष ? विकल्प क्या है ?

सही मायनों में आज
जनता ही विपक्ष है और…
जनता ही विकल्प है.

जनता को विपक्ष और विकल्प बनता देखकर भगवा ब्रिगेड के लोग डर गए हैं. जनता की आवाज़ को रोकने के लिए तरह-तरह के हथकंडे इस्तेमाल किए जा रहे हैं. जनता की नाराजगी पर मरहम लगाने के लिए गुणा-भाग चल रहा है, लेकिन किसी ने सही कहा है-मूर्खों का जतन…जतन नहीं… पतन का मार्ग प्रशस्त करता है. भगवा ब्रिगेड और उससे जुड़े लोग पतन के मार्ग पर अग्रसर हैं.

ऊंची जाति के चंद हिन्दुओं और हर किसी से नफ़रत करने वाले लंपट समुदाय को छोड़ दें तो देश की एक बड़ी आबादी बढ़ती का नाम दाढ़ी फिल्म देखने के मूड़ में नहीं है. यह दाढ़ी देश के सीने पर चूभने लगी हैं. मुठ्ठियां तन रही हैं.गुस्सा बढ़ रहा है.

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