एक अकेला शुक्ला बाबू चला रहा तखतपुर एसडीएम कार्यालय.

●सरकार और अफसरों की छवि धूमिल करने पर तुला राजस्व महकमे का बाबू राज.

बिलासपुर. छत्तीसगढ़ सरकार की गंभीरता के बाद भी राजस्व मामलों की पेंडसी लगातार जिले में बढ़ रही है। इसका बड़ा कारण राजस्व अमले में रिश्वतखोर बाबू राज है। हालत यह है कि एक शुक्ला बाबू तखतपुर एसडीएम कार्यालय को चला रहा है। डायवर्सन और सीमांकन के कागज तब तक अधूरे रहते हैं जब तक बाबू अपनी जेब नहीं भर लेता। लेकिन तखतपुर ब्लाक में बिलासपुर से जुड़े लोगों का सब्र टूटता जा रहा है। इधर एसीबी की नजर भी ऐसे बाबुओं पर है।

बिलासपुर जिले में बिल्हा, अमेरी, सकरी से जुड़ी कीमती जमीने तखतपुर ब्लाक में आती हैं। इनके सीमांकन, नामातंरण और डायवर्सन का काम भी तखतपुर से ही होता है। इसके लिए लोग सालों तक चक्कर लगाते रह जाते हैं और उनका काम नहीं होता। तखतपुर जा आकर उनकी एड़ियां घिस जाती है और कागज ही पूरे नहीं हो पाते। केस बनाने से पहले तमाम कागज एक नहीं बार- बार शुक्ला बाबू मंगवाते है। फिर ओरिजनल, फिर लेटेस्ट और ऐसा करते करते वह सालों खींच देते है और लोगों का काम नहीं हो पाता।

तखतपुर एसडीएम कार्यालय के आला अफसरों तक केस पहुंच ही नहीं पाता जब तक लोगों को चक्कर लगवाकर शुक्ला बाबू अपनी वसूली नहीं कर लेता। इसके बाद फिर दूसरा फिर तीसरा बाबू वसूली के लिए प्रकरणों को लटकता और फरियादियों को टरकाता है। हालत यह है कि लोग पस्त हो जाते हैं और अपना काम कराना छोड़ देते हैं। या फिर उन्हें लंबी डिमांड पूरी करनी होती है। इधर सरकार इलेक्शन मोड में है और वह राजस्व मामलों की पेंडेसी खत्म करना चाहती है। इसके लिए जिले के कलेक्टरों को निर्देश भी दिए गए हैं। लेकिन एसडीएम और तहसील कार्यालयों में बाबू राज की वजह से सरकार और जिला प्रशासन को जनता की हाय लेनी पड़ रही है।

ऐसे होता है खेल.

पब्लिक को केस फाइल पूरी करने के लिए कागज मंगा मंगाकर परेशान कर दिया जाता है। फिर शुरू होता है कमीशन का ख्ोल। 15 से 25 रूपए वर्गफुट में होती है डील। लाखों की रकम यह बताकर ली जाती है कि साहब से लेकर जिला कलेक्टर और मंत्रालय तक पहुंचाना पड़ता है।

नहीं कसी जा सकी नकेल.

तखतपुर के राजस्व अमले के शुक्ला जैसे कमाऊ पूत बरसों से एक कुर्सी पर चिपके हुए हैं लेकिन एसडीएम से लेकर जिले में आने जाने वाले बड़े अधिकारी मजाल है उनकी कुर्सी हिला भी सकें। अफसर बदल जाते हैं लेकिन इनको बदलने की हिम्मत कोई नहीं करता। इनके ख्ोल का सिस्टम इतना मजबूत होता है कि मधु मक्खी का छत्ता भी फेल है।

राजस्व मलाई और एसीबी.

राजस्व अमले की मलाई खाकर अफसरों से ज्यादा दमदार हो चुके इन बाबुओं से निपटने के लिए जब प्रशासनिक अफसर फेल हो रहे हैं तो सरकार ने एंटी करप्शन ब्यूरो के अधिकारियों को संकेत किया है कि इन पर नजर रखी जाए। लाखों की जायदाद बना चुके ऐसे बाबू अब राडार पर हैं। खुफिया तौर पर इनकी सम्पति का पता लगाया जा रहा है। बताते हैं एक एक बाबू महीने दो लाख रूपया से ज्यादा पीट रहा है।

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