बिलासपुर. पांच साल पहले मई के महीने में महासमुंद के पिथौरा पति पत्नी और उसके दो मासूमों को मौत के घाट उतारने के मामले में पुलिस की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार कोर्ट ने बीते मंगलवार को पांच आरोपी हत्यारों को आजीवन कारावास की सजा सुना ही दी। इस मामले में सब से अहम बात यह है कि तत्कालीन महासमुंद और वर्तमान में बिलासपुर जिले के पुलिस कप्तान संतोष कुमार सिंह और उनकी टीम को आरोपियों को सलाखों तक पहुंचाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी।
एक नजर घटना क्रम पर.
मिली जानकारी के अनुसार घटना पांच साल पूर्व यानी 31 मई वर्ष 2018 को घटी, महासमुंद जिले के पिथौरा के किशनपुर निवासी एएनएम योगमाया साहू उसके पति और दो बच्चो की अज्ञात आरोपियों द्वारा हत्या कर दी गई थी। इस हत्या कांड की याद करते ही जिले को लोगों का जहन कांप उठता है। मालूम हो कि एएनएम योगमाया के साथ उसके पति और दो बच्चों की हत्यारों ने नृशंस हत्या कर दी गई थी. मामले की फॉरेंसिक टीम की गई जांच के बाद कोर्ट में रिपोर्ट पेश की गई थी। किशनपुर हत्याकांड की तस्वीरें आज भी बहुत से लोगों के जहन में बसी हुई है। वारदात से परिजनों को जो जख्म मिला, वह अभी तक सूख नहीं पाया है. इधर इस मामले में जेल मे बंद हत्यारे धर्मेंद्र बरिहा, सुरेश खुंटे, गौरी शंकर कैशर्त, फूल सिंग यादव, अखंडल प्रधान सलाखों के पीछे रहे तो वही परिजनों ने मामले की सही जांच नहीं होने का आरोप लगाते हुए महिला आयोग में शिकायत करने के साथ फॉरेंसिक टीम के अलावा सीबीआई से जांच कराने की मांग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. लगातार परिजन मामले की सूक्ष्म जांच कराने की मांग करते रहे, तब कहीं जाकर सीबीआई जांच की गई. फॉरेंसिक जांच के बाद कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर दी गई थी.
पुलिस पर ठीक से जांच नही करने का लगाया था आरोप,लेकिन.
महासमुंद इलाके के पिथौरा थाना क्षेत्र के गांव किशनपुर में 30 और 31 मई 2018 की दरमियानी रात योगमाया साहू उसके पति चैतन्य साहू और दो बच्चों सात वर्षीय तन्मय साहू और नौ वर्षीय कुणाल साहू की बड़ी बेरहमी से धारदार हथियार से हत्या कर दी गई थी. मृतका योगमाया गांव में ही बने उप स्वास्थ केंद्र में काम करती थी और अपने परिवार के साथ उसी स्वास्थ्य केंद्र परिसर में बने अपने घर में रहती थी। घटना के अगले दिन चारों के शव घर से बरामद किए गए थे. मामले में परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने मुकदमा भी दर्ज किया, लेकिन कई दिन बीत जाने के बाद भी जब पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की तो परिजनों ने इसके विरोध में जमकर हंगामा करते हुए धरना भी दिया था. इधर तत्कालीन पुलिस कप्तान संतोष कुमार सिंह और उनकी टीम ने घटना को लेकर काफी माथापच्ची की और एक आरोपी धर्मेंद्र को इस मामले में गिरफ्तार किया था. पुलिस ने कहा था कि धर्मेंद्र बारिहा चोरी के इरादे से घर में घुसा था, जिसे चैतन्य ने पकड़ लिया, जिसके बाद धर्मेंद्र ने सबकी हत्या कर दी. पुलिस के इस बयान को लेकर मृतक के परिजनों ने असंतुष्टि जताई थी. चैतन्य के पिता बाबूलाल साहू ने अपने वकील राघवेंद्र प्रधान के माध्यम से याचिका दाखिल की थी. इस मामले में परिजनों के दबाव के बाद पुलिस ने आरोपी धर्मेंद्र का नार्को देस्ट भी कराया गया था। इस टेस्ट में उसने अपने साथ पांच और आरोपियों हुए फूल सिंह यादव, गौरी शंकर केवट, सुरेश खूंटे और अखंडल प्रधान का नाम भी लिया था. उसके बयान के आधार पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए इस केस में कुल 5 लोगों को पकड़ा था।
एसपी सिंह का सुपरविजन और नार्को टेस्ट में आया सच बाहर.
इस घटना का सुपरविजन खुद महासमुंद के तत्कालीन और वर्तमान में बिलासपुर जिले के एसपी संतोष कुमार सिंह ने बताया कि परिवार के मर्डर केस में नार्को टेस्ट जांच में काफी मदद की.उन्होंने बताया कि 31 मई 2018 की इस घटना में चार लोगों के परिवार की निर्मम हत्या के बाद कुछ ही दिनों में एक आरोपी धर्मेंद्र बरीहा तीसरे दिन शक के आधार पर 3 जून को पकड़ा गया था. उसके घटनास्थल के पास से पीड़ित का कुछ गायब सामान धर्मेंद्र के घर से बरामद हुआ। लेकिन, सिर्फ अपनी संलिप्तता स्वीकार की और किसी के बारे में कुछ भी खुलासा नहीं किया. अभियुक्त और न्यायालय की अनुमति के बाद कुछ महीनों बाद उसके नार्को टेस्ट से चार और लोगों के नाम सामने आए. साक्ष्य एकत्र किए गए जो नार्को निष्कर्षों की पुष्टि कर सकते थे। कई आरोप लगाए गए और पुलिस पर कुछ अन्य संदिग्धों के खिलाफ मामला दर्ज करने का दबाव बनाया गया था.
बारीकी से जांच के बाद कुल पांच आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया गया। बाद में पुलिस की जांच व चालान के खिलाफ परिजनों के आवेदन पर हाई कोर्ट द्वारा सीबीआई को जांच का आदेश दिया। सीबीआई ने अपना प्रतिवेदन कोर्ट में प्रस्तुत किया। जिसमे उन्होंने पुलिस जांच को सही ठहराया है और इन पांच के अलावा किसी अन्य की संलिप्तता नही पाई। आख़िरकार मंगलवार को बड़ा फैसला आ गया. घटना की जांच में लंबे समय तक लगी पूरी टीम ने पीड़ित को न्याय मिलने के फैसले पर खुशी जाहिर की है।