धान के अवैध परिवहन को रोकने के लिए ओडिशा सीमा पर बनाए गए चेक पोस्टों की स्थिति बेहद दयनीय

गरियाबंद. धान के अवैध परिवहन को रोकने के लिए ओडिशा सीमा पर बनाए गए चेक पोस्टों की स्थिति बेहद दयनीय है. इन चेक पोस्टों में ज्यादातर जगहों पर बिजली, बैठने की व्यवस्था और अन्य बुनियादी सुविधाएं नदारद हैं. इन समस्याओं के चलते होमगार्ड जवान मोबाइल की रोशनी में ड्यूटी करते हुए नजर आ रहे हैं. कई चेक पोस्टों पर रात के समय कर्मी नदारद रहते हैं, और कुछ जगहों पर रात को चेक पोस्ट खुले छोड़ दिए जाते हैं.

जिला प्रशासन ने ओडिशा को जाने वाले देवभोग क्षेत्र के 16 रास्तों पर चेक पोस्ट लगवाए थे. इन चेक पोस्टों पर स्थानीय कर्मियों को तैनात किया गया था, लेकिन जब कलेक्टर को जानकारी मिली कि रात के समय चेक पोस्ट पर कर्मी नदारद रहते हैं, तो उन्होंने एक होमगार्ड जवान को प्रत्येक चेक पोस्ट पर तैनात कर दिया. चेक पोस्ट तैयार करने और जरूरी संसाधन की व्यवस्था का जिम्मा एसडीएम को सौंपा गया था, लेकिन कई चेक पोस्टों को ठहरने योग्य बनाने में वे नाकाम रहे, या फिर उनके अधीनस्थ कर्मियों ने निर्देशों का सही पालन नहीं किया.

रात को मोबाइल की रोशनी में ड्यूटी करते दिखे होमगार्ड जवान

हमारी टीम ने रात के समय खोखसरा, ठिरलीगुड़ा और झिरिपानी चेक पोस्ट का दौरा किया, जहां केवल एक-एक होमगार्ड जवान ड्यूटी करते हुए दिखाई दिए. इन चेक पोस्टों पर एक-एक कच्ची झोपड़ी बनाई गई है, लेकिन बिजली की कोई व्यवस्था नहीं है. जवानों ने बताया कि संबंधित पंचायतों के प्रतिनिधि और सचिव से संपर्क किया गया, लेकिन वे केवल बातों को टालते रहे. बिजली की कमी के कारण यहां सीसी कैमरे भी नहीं लगाए गए हैं.

सुविधाओं की कमी के कारण कर्मी रात को नदारद रहते हैं

ड्यूटी रोस्टर के मुताबिक, चेक पोस्टों पर होमगार्ड के अलावा स्थानीय कोटवार, सचिव, रोजगार सहायक और अन्य कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है. ये कर्मी बारी-बारी से 8-8 घंटे ड्यूटी पर रहते हैं. लेकिन खम्हारगुड़ा, केन्दूबन, उसरीपानी, धूपकोट, पीठापारा, नागलदेही जैसे कई चेक पोस्टों पर रात के समय कोई कर्मी नहीं मिलते. झलियापड़ा चेक पोस्ट भी एक ऐसा स्थान है, जहां कर्मी हमेशा नदारद रहते हैं. इस अव्यवस्था का फायदा बिचौलिये उठा रहे हैं, और रात के समय अवैध धान परिवहन बढ़ गया है.

अकेले ड्यूटी कर रहे जवानों का कहना

खोखसरा चेक पोस्ट पर ड्यूटी कर रहे संतोष यादव ने कहा कि यह जगह उनके लिए नई है. कोटवार रात में रहते हैं, लेकिन अंधेरे में जीव-जंतु का खतरा बना रहता है. झिरिपानी चेक पोस्ट पर अकेले ड्यूटी कर रहे राजेंद्र मेश्राम ने बताया कि कच्ची झोपड़ी में दिन में होटल चलता है और रात में वहां सोने की जगह मिल जाती है. वे मोबाइल को दिन में गांव वालों से चार्ज कराते हैं और रात में उसी मोबाइल की रोशनी में ड्यूटी करते हैं.

एसडीएम का बयान: “दो-तीन जगह बिजली नहीं है, बाकी जगह व्यवस्था है”

एसडीएम तुलसी दास मरकाम ने कहा कि जहां बिजली के खंभे दूर हैं, वहां थोड़ी मुश्किलें हैं, लेकिन अधिकांश चेक पोस्टों पर पर्याप्त व्यवस्था की गई है. उन्होंने खुद इन जगहों का निरीक्षण किया है और दावा किया कि सभी जगह व्यवस्था दुरुस्त है.

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