राजकीय पशु की पूर्ति का मामला: हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार समेत दो अन्य राज्य सरकार को दिया नोटिस देकर 4 हफ्ते में जवाब मांगा.

बिलासपुर. राजकीय पशु वन भैंसे की पूर्ति के मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस मैटर को लेकर हाईकोर्ट ने सेंट्रल,स्टेट और असम गवर्नमेंट को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते की भीतर जवाब पेश करने कहा है।

ये है पूरा मामला.

छत्तीसगढ़ के राजकीय पशु वन भैसे की पूर्ति के लिए असम से 6 वन भैसों की मांग की गई थी। मामले में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार और असम सरकार को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ता नीतिन सिंघवी ने जनहित दायर कर कहा, कि NTCA के अप्रूवल बिना वन भैंसे लाये जा रहे हैं। 6 में से आये 2 वन भैसों को बार नवापारा के एक बाड़े में रखा गया है। कहा गया है, कि असम राज्य और छः ग राज्य का एटमॉस्फियर बिल्कुल अलग है, भैसों पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के डिवीजन बेंच में मामले की सुनवाई हुई।

मालूम हो कि, रायपुर के वन्य प्रेमी नितिन सिंघवी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता का कहना है, कि NTCA के एप्रुवल के बिना वन भैसों को लाया गया और नियमों को ताक में रखकर उन्हें बाड़े में रख दिया गया। इस तरह से बाड़े में रखकर वन भैंसों का कुनबा बढ़ाने से वह पालतू हो जाएगा। जो वन्य प्राणी अधिनियम के प्रावधान के खिलाफ है। छत्तीसगढ़ में वनभैंसे की घटती संख्या को देखते हुए इनके सरंक्षण के लिए वर्ष 2001 में इसे राजकीय पशु घोषित किया गया। तब प्रदेश में वनभैंसों की संख्या करीब 80 थी, लेकिन अब में इनकी संख्या 10 रह गई है, संख्या बढ़ाने के लिए असम से वन भैंसा लाने की कवायद पिछले दस साल से चल रही थी। लेकिन NTCA से अनुमति नही मिल पाई थी, अनुमति के बाद वन विभाग की टीम ने असम से चार मादा व एक नर वन भैंसा लाया गया।

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