खबर हट के: आईजी का थानेदारो को संदेश पैरो पर चलने वाले थानेदार चाहिए,बैसाखी पे नही, हवलदार को सुपर थानेदार बनाने का खामियाजा उठाना पड़ा स्वर्णकार को..

(स्पेशल क्राइम रिपोर्टर)

बिलासपुर. चार दिन पूर्व सिविल लाईन टीआई को लाईन अटैच करने आईजी द्वारा की गई कार्यवाही रेंज के थानेदारो को आईजी के द्वारा दिया गया कड़ा मैसेज माना जा रहा हैं, जो यह बताता हैं कि किसी के भरोसे की गई थानेदारी अब आईजी को रास नही आने वाली हैं,बल्कि उन्हें पुलिसिंग को चुस्त करने के लिए ऐसे थानेदार चाहिए जो स्वयं के कंधों पर थानों का बोझ सम्हाल सकें, न कि दूसरों के सहारे थानेदारी चलाये।

मालूम हो कि रेंज के आईजी रतन लाल डांगी बीते सोमवार को सिविल लाईन थाने के आकस्मिक निरीक्षण में पहुँचे थे, जहां कई कमिया आईजी को मिली,जिसके चलते टीआई सुरेंद्र स्वर्णकार को लाईन अटैच कर दिया गया। लाइन अटैच करने के आदेश में भी स्प्ष्ट हैं कि थाने में टीआई का अपने स्टाफ पर समुचित नियंत्रण नही था। इसके अलावा किसी को कम और किसी को ज्यादा केस डायरिया बांटी गई थी, जिन सब के चलते आईजी ने टीआई को तत्काल हटाने का आदेश जारी किया था।

सूत्रों के अनुसार सिविल लाईन थाने में ऐसी स्थिति इसलिए बनी हुई थी क्योंकि टीआई वहां नाम के ही थे,असल मे वहां काम के टीआई कोई और ही था,जो वहां पूरा थाना चला कर रहा था, अघोषित रूप से थानेदारी वहां पदस्थ एक हवलदार के द्वारा किया जा रहा था, जिसका सीधा सा हस्तक्षेप पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाने से ले कर किस केस की डायरी किसे आबंटित किया जाए तक मे था। आईजी ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा भी था,कि यहाँ किसी के पास 5 डायरिया हैं तो किसी के पास 50 है। ये स्थितियां उक्त हवलदार के आबंटन के कारण बनी थी,जो न केवल अपने चहेतो को डायरिया मार्क करवाता था बल्कि अपने हिसाब से जांच भी करवाता था,और जो विवेचक हवलदार के हिसाब से विवेचना नही करते थे,उन्हें नही के बराबर डायरिया आबंटित की जाती रही। थाने में आये बड़े मामलो के सम्बंध में टीआई खुद हवलदार को आगे कर देते थे,बताया जाता है कि हवलदार थानेदार का काफी विश्वास पात्र था,और थानेदार के सारे कार्य उक्त हवलदार के जिम्मे ही था,और टीआई थाने में रहे न रहे हवलदार के बिना पत्ता भी नही हिलता था।

तीन बार विवादित हो कर थानेदारी से हटे स्वर्णकार.

दुर्ग से ट्रांसफर हो कर आने के बाद सुरेंद्र स्वर्णकार को पहली बार थानेदारी तारबहार थाने की मिली,जहां लॉक डाउन के दौरान पेट्रोल पम्पकर्मी को बेरहमी से मारपीट करने का वीडियो वायरल होने के बाद लाईन अटैच किया गया,फिर सुलह समझौते के बाद मामला खत्म होने पर उन्हें सिविल लाईन की थानेदारी दी गई,पर एक कानूनविद से हुए एक विवाद के चलते उनकी जिले से विदाई हो गई,हालांकि फिर तबादला तो रुका पर लम्बे समय तक थानेदारी नही मिली, और शिकायत सेल में काम करते रहे,लम्बे समय तक लूप लाइन में रहने के बाद फिर ढाई माह पहले उन्हें सिविल लाइन की दुबारा जवाबदारी सौपी गई पर फिर आईजी की कार्यवाही से उन्हें रुखसत होना पड़ा।

हर जगह जमी हवलदार,थानेदार की जोड़ी.

स्वर्णकार जब तारबहार में थे तब भी उक्त हवलदार तारबहार थाने में पदस्थ रहा था, स्वर्णकार के लाईन अटैच होने के कुछ दिनों बाद नाबालिग बच्चो को थाने में रात में ला कर बिठाने के मामले में एक जज की फटकार पड़ने के बाद तत्कालीन एसपी ने उक्त हवलदार को लाईन की रवानगी दे दी थी। कुछ दिनों बाद हवलदार को सरकंडा थाने में पदस्थ किया गया और इधर टीआई स्वर्णकार को एसपी आफिस में शिकायत शाखा की जवाबदेही दी गई,तो कुछ दिनों सरकंडा में बिताने के बाद उक्त हवलदार भी शिकायत शाखा में पहुँच गया। उसके बाद दोनों सिविल लाईन थाने में भी एक साथ ही पदस्थ हुए।

आईजी की कार्यवाही से मची खलबली.

आईजी डांगी के द्वारा की गई कार्यवाही से खलबली मच गई हैं, क्योकि जिले भर में कई थानेदार ऐसे हैं जिनके कोई न कोई हवलदार,सिपाही या अन्य स्टाफ करीबी हैं और उन्ही की सलाह के अनुसार ही थाना चलाया जाता हैं, यहां तक कि सेंसेटिव मामलो में भी थानेदार उक्त करीबी स्टाफ के सलाह अनुसार ही कार्य करते हैं,जिसकी भनक आईजी रतनलाल डांगी को मिलती रहती हैं,चूंकि आईजी लगातार जनता के सतत सम्पर्क में रहते हैं और आईजी आम पब्लिक से भी थानों की कार्यशैली के सम्बंध में चर्चा कर फिडबैक लेते रहते हैं,अतः थानों की कार्यशैली से वो अनभिज्ञ नही हैं, इसलिए कार्यवाही के माध्यम से ऐसे थानेदारो को आईजी ने सख्त संदेश दिया है कि उन्हें स्वयं की क्षमता,बुद्धि व विवेक से चलने व थाना चलाने वाले थानेदार चाहिए न कि किसी को बैसाखी बना कर थाना चलाने वाले। विदित है कि बिलासपुर जिले में अपने पुलिस अधीक्षक के कार्यकाल के दौरान भी लापरवाह थानेदारो को चेतावनी देते हुए श्री डांगी कहा था कि “यदी थानेदार बदमाशी करेंगे तो वो एएसआई से भी चलवा देंगे थाना”और इसी तर्ज पर की गई कार्यवाही से थानेदारो के होश उड़े हुए हैं,हालांकि कोई आश्चर्य की बात नही कि थानेदारो की कमी को देखते हुए सुरेंद्र स्वर्णकार को जल्द ही कोई दूसरे थाने में पदस्थापना मिल जाए।

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