मिट रहा बस्तर का नासूर, अब इन दो माओवादी कमांडरों पर है सुरक्षा बलों का फोकस…

रायपुर। नए साल के पहले 24 दिनों में छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों ने कम से कम 47 माओवादियों को मार गिराया है, लेकिन 31 मार्च 2026 की समय सीमा से पहले नक्सलियों के खिलाफ गहन अभियान में लगे सुरक्षा बलों का मुख्य ध्यान दो लोगों देवा और हिडमा पर है.

देवा और हिडमा शीर्ष दो माओवादी कमांडर हैं, इन्हें 16 जनवरी को दक्षिण बस्तर में सुरक्षा बलों ने घेर लिया था, लेकिन वे भागने में सफल रहे. फिर भी वे निशाने के करीब हैं, और आज नहीं तो कल वे शिकार होंगे, इस बात को लेकर सुरक्षा बल के अधिकारी बहुत हद तक आश्वस्त हैं.

सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा. “पिछले डेढ़ साल में, देवा और हिडमा अपने कनिष्ठ कैडरों को आगे रखकर कम से कम चार बार भागने में सफल रहे हैं. लेकिन तथ्य यह है कि वे अब सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में आमने-सामने आ रहे हैं, इसका मतलब यह भी है कि उनकी ताकत कम हो रही है. अन्यथा, देवा और हिडमा ऐसे कमांडर हैं, जिनके पास तीन-स्तरीय सुरक्षा घेरा है, जिसमें ए, बी और सी नामक टीमें हैं, जब भी वे कहीं जाते हैं,”

सुरक्षा बलों ने माओवादियों के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है. 2024 में उन्होंने 250 को मार गिराया, 812 को गिरफ्तार किया, वहीं 723 ने आत्मसमर्पण किया. इस साल अब तक 47 माओवादी मारे गए हैं, जिनमें 16 जनवरी 20-21 के बीच गरियाबंद में हुई गोलीबारी में मारे गए. हालांकि, इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी है. 2024 में माओवादियों द्वारा कम से कम 17 कर्मियों और 60 नागरिकों को मार दिया गया. इस साल अब तक माओवादियों ने कम से कम नौ सुरक्षाकर्मियों को शहीद कर दिया है.

लेकिन माओवादियों पर भारी मार पड़ी है. छत्तीसगढ़ के पुलिस अधिकारियों के अनुसार, अब जंगलों में 600 से अधिक पूर्णकालिक सशस्त्र कैडर नहीं रह गए हैं. इनमें देवा और हिडमा भी शामिल हैं, जिनका नाम इलाके में सक्रिय सीआरपीएफ, आईटीबीपी और बीएसएफ की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल है.

हिडमा और देवा दोनों सुकमा के पुवर्ती गांव के निवासी थे, यह गांव लगभग चार दशकों तक माओवादियों के नियंत्रण में था, जब तक कि पिछले साल फरवरी में पुलिस और सीआरपीएफ द्वारा इलाके में एक शिविर स्थापित नहीं किया गया. देवा अब माओवादी सेना की सबसे शक्तिशाली बटालियन नंबर 1 का कमांडर है, यह पद पिछले साल कुछ समय तक हिडमा के पास था, उसके बाद उसे केंद्रीय समिति के सदस्य के पद पर पदोन्नत किया गया.

दोनों ने मिलकर सभी बड़े हमलों की योजना बनाई है, जैसे 25 मई 2013 का दरभा घाटी हमला, जिसमें माओवादियों ने कांग्रेस पार्टी के काफिले पर घात लगाकर हमला कर 10 सुरक्षाकर्मियों सहित 27 लोगों को मार गिराया था. इसके अलावा अप्रैल 2021 का हमला भी शामिल है, जब सुकमा-बीजापुर में घात लगाकर किए गए हमले में 22 सुरक्षाकर्मियों को शहीद कर दिया था.

देवा पर 25 लाख रुपये का इनाम है, जबकि हिडमा पर 40 लाख रुपये का इनाम है. यह छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा घोषित इनाम है. पुलिस अधिकारियों ने कहा कि अन्य राज्य बलों ने भी उनकी गिरफ्तारी के लिए इसी तरह के इनाम रखे हैं, जिससे वे आर्थिक और सैन्य दृष्टि से सबसे मूल्यवान पकड़ बन गए हैं.

बस्तर रेंज के अधिकारी बताते हैं कि दोनों को पकड़ना बलों के लिए मनोबल बढ़ाने वाला होगा. वे बलों के खिलाफ सभी बड़े हमलों में शामिल रहे हैं. वे ही बलों के खिलाफ हमलों की योजना बना रहे हैं, आत्मसमर्पण करने से इनकार कर रहे हैं, अधिक कैडर लाने की कोशिश कर रहे हैं और ग्रामीणों को धमका रहे हैं. हिडमा और देवा को पकड़ना जंगलों में नक्सलियों को काफी कमजोर कर देगा.

अधिकारी बताते हैं कि इन लोगों के चारों ओर सुरक्षा घेरा है. अब तक वे स्थानीय जूनियर कैडर को खड़ा करते थे, और हमले के समय भाग जाते थे. लेकिन अब वे सुरक्षा बलों के सामने आ रहे हैं, इसका मतलब दो बातें हैं – शायद स्थानीय कैडर अब उनकी रक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डालने को तैयार नहीं हैं. दूसरा, हिडमा और देवा अपने कैडर को प्रेरित करना चाहते हैं, वे मोर्चे पर आकर सुरक्षा बलों पर हमला करते हैं.

आत्मसमर्पित आतंकवादियों ने सुरक्षा अधिकारियों को बताया है कि हिडमा के पास लगभग 40-50 सशस्त्र कैडर हैं, जिन्हें ए, बी और सी नामक टीमों में विभाजित किया गया है, जो उसकी सुरक्षा करते हैं.

बीएसएफ के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा. “हिडमा एक अलग टेंट में रहता है और उसका खाना भी अलग से तैयार किया जाता है. प्रत्येक घेरे में 12-16 सशस्त्र पुरुष और महिलाएँ होती हैं. पिछले साल तक, वह ज़्यादातर समय रणनीति बनाने, किताबें पढ़ने में बिताता था और केवल बड़े हमलों में ही शामिल होता था. लेकिन यह बदल रहा है. वह और उसका लेफ्टिनेंट देवा अब खुले में आकर बार-बार सुरक्षा बलों का सामना करने को मजबूर हैं. अब यह समय और किस्मत की बात है (इससे पहले कि वे पकड़े जाएँ या मारे जाएँ),”

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