निर्वाचित नगर निगम के अधिकारों और कार्यो को संविधान विरूद्ध स्मार्ट सिटी कम्पनी से कराने की जनहित याचिका की अंतिम सुनवाई अगले माह,जाने हाईकोर्ट ने क्या कहा.

बिलासपुर. निर्वाचित नगर निगम के अधिकारों एवं कार्यों को संविधान के खिलाफ स्मार्ट सिटी कम्पनी से कराने चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर 19 सितम्बर को अंतिम सुनवाई होगी। मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा, कि याचिका में महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रश्न शामिल को रायपुर स्मार्ट सिटी कम्पनी को तीन एसटीपी प्लांट का वर्क आर्डर जारी करने की अनुमति मिली।

रायपुर व बिलासपुर के निर्वाचित नगर निगम के अधिकारों और कार्यो को संविधान विरूद्ध स्मार्ट सिटी कम्पनी से कराने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की खण्डपीठ में आज सुनवाई के बाद उस जनहित याचिका को 19 सितम्बर की अंतिम सुनवाई के लिए रखा।

हाईकोर्ट ने माना कि इस जनहित याचिका में महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रश्न है, इसलिए इसकी पूर्ण सुनवाई आवश्यक है। वही आज रायपुर स्मार्ट सिटी कम्पनी को तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ( एसटीपी ) के कार्यादेश जारी करने की अनुमति दे दी।

गौरतलब है, कि इन कार्यों का टेंडर पहले ही हो चुका है परन्तु बैंक गांरटी जमा न होने के कारण वर्क आर्डर जारी नही हो सका था। शहर के अधिवक्ता विनय दुबे की ओर से अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव और गुंजन तिवारी द्वारा दाखिल जनहित याचिका में बिलासपुर और रायपुर नगर में कार्यरत स्मार्ट सिटी लिमिटेड कम्पनियों को इस आधार पर चुनौती दी गई है, कि इन्होंने निर्वाचित नगर निगमों के सभी अधिकारों और क्रियाकलाप का असवैधानिक रूप से अधिग्रहण कर लिया है । जबकि ये सभी कम्पनियाँ विकास के वही कार्य कर रही है जो संविधान के तहत संचालित प्रजातांत्रिक व्यवस्था में निर्वाचित नगर निगमों के अधीन है । विगत 5 वर्षों में कराये गये कार्य की प्रशासनिक या वित्तीय अनुमति नगर निगम मेयर , मेयर इन कॉन्सिल या सामान्य सभा से नहीं ली गयी है । केन्द्र सरकार की ओर से इस याचिका के जवाब में यह माना गया कि ये दोनों कम्पनियां उन्हीं कार्यो को अंजाम दे सकती है , जिसकी अनुमति नगर निगम दे। साथ इन कम्पनियों के निदेशक मण्डल में राज्य सरकार और नगर निगम के बराबर बराबर प्रतिनिधि होने चाहिये । वर्तमान में इन दोनों कम्पनियों के 12 सदस्यीय निदेशक मण्डल में नगर निगम आयुक्त के अलावा कोई भी नगर निगम का प्रतिनिधि नहीं है । इसके विपरीत स्मार्ट सिटी कम्पनियों की ओर से उन्हें स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अधिकारिता की दलील दी जा रही है।

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