वीडियो- हमर पहुना आईजी डांगी ने कहा दोस्त वही जो मोटिवेट करे, कम्युनिटी पुलिसिंग पर जोर बेझिझक कहे आमजन अपनी बात..

बिलासपुर. जीवन मे दोस्त कम हो तो ही अच्छा है जो गाइड करे वही दोस्त अच्छा है वरना दोस्त से बड़ा कोई दुश्मन नही..पढ़ने में यह लाइन बड़ी एक बार के लिए बड़ी अचरज भरी लगती है मगर जिंदगी सवारने के लिहाज से मान लिया जाए तो बेहतर है। यह कहना है रेंज के आईजी रतनलाल डांगी का प्रेस क्लब के हमर पहुना कार्यक्रम में आईजी ने अपनी लाइफ के कई अनछुए पहलुओं को साझा किया। उन्होंने कम्युनिटी पुलिसिंग पर बात रखी तो वही युवाओं को फिट रहने और गलत रास्ता अख्तियार न करने के टिप्स दिए।

प्रेस क्लब के हमर पहुना कार्यक्रम में आईजी रतनलाल डांगी ने शिकरत की। भीषण कोरोना काल के बाद पहला मौका था जब हमर पहुना के रूप में आईजी पत्रकारों के बीच आकर छात्र जीवन से लेकर अपने अफसर नामे की बातों को साझा किया। प्रेस क्लब अध्यक्ष तिलक राज सलूजा,रमन दुबे कोषाध्यक्ष,वीरेंद्र गहवई सचिव,उमेश मौर्य सहसचिव और कार्यरकरिणी सदस्य सूरज वैष्णव ने गुलाब का फूल देकर आईजी का वेलकम किया। कार्यक्रम की शुरुआत में सचिव गहवई ने की और कहा कि मैं श्री डांगी को कोरबा में एसपी रहने के दौरान से जानता हूं उस वक्त वहां एक बड़ी बैंक डकैती हुई थी और श्री डांगी के मार्गदर्शन में मामला जल्द सुलझ गया था। उसके बाद श्री डांगी प्रदेश के जिन कोने में भी थे सदा टच में रहे।

आईजी डांगी ने कहा कि यह मेरा दूसरा मौका है जब प्रेस क्लब आने का अवसर मिला है। इससे पूर्व एसपी बिलासपुर रहने के दौरान आया था। लगभग सभी लोग से परिचय हु। इस दौरान आईजी ने कहा कि मैं एक खुली किताब हु सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट पब्लिकि करने का मकसद आमजन और खास कर छात्र छात्राओं को इंसपायर करना होता है। दिन भर के बिजी शेड्यूल के बाद भी जब एक आईपीएस अफसर सुबह उठ कर एक्सरसाइज कर सकता है तो आज की युवा पीढ़ी क्यों नही। उन्होंने कहा कि एक्सरसाइज करने से आप फिट रहते है। वही सोशल मीडिया पर बने रहने से पब्लिक मुझसे बेझिझक मिल कर बात कर सकती है इसी वजह से मैंने अपना एक मोबाइल नंबर भी सार्वजनिक किया है। मेरा मानना है कि अगर सोसायटी में अच्छा मैसेज जाएगा तो वातावरण बेहतर होगा।

कोरोना पर बात..

बातचीत में आईजी ने बीते वर्ष आफत बनकर आए कोरोना काल पर भी अपनी बात रखी उन्होंने कहा कि इस दौरान हर घरों में डोमेस्टिक वायलेंस होता था। इससे बचने के लिए खुद को बिजी रखना बहुत जरूरी था। इसलिए हेल्थ को लेकर लोगो को जागरूक करना मैंने अपनी जिम्मेदारी समझा सब से जरूरी है जिंदा रहना। मेरी फस्ट प्राइटी यूथ को सही दिशा में ले जाना है। इसलिए बस्तर में रहने के दौरान मैंने इसकी शुरुआत की थी जिस परिवार का यूथ सही दिशा में नहीं है वह परिवार सुखी हो ही नहीं सकता।

पत्रकारों की पकड़ी नब्ज..

आईजी डांगी ने बातों बातों में पत्रकारों की दशा को भी उकेरा। यूथ की चिंता जाहिर हुए उन्होंने कहा कि जो लोग दिनभर कड़ी मेहनत कर अपने परिवार का जीवनयापन करते हैं कहि उसी घर का सदस्य गलत रास्ते पर चला गया तो पूरा परिवार बर्बाद होता है। उदाहरण के तौर पर आईजी ने पत्रकारों को लिया और कहा कि आप लोग भी दिन भर पसीना बहा के कम सैलरी में काम करते हैं ऐसे में अगर आपके ही घर का कोई गलत दिशा में चला जाए तो क्या होगा। नशे के कारोबार को लेकर आईजी ने कहां की पुलिस हर समय नशे के खिलाफ कार्रवाई करती रहती है मुझे इनपुट मिलता रहता है नशा समाज के लिए कैंसर है इस धंधे को करने वालों को ईश्वर सद्बुद्धि दे ताकि किसी का घर बर्बाद होने से बच जाए।

दोस्त से बड़ा कोई दुश्मन नही..

हम पहुना कार्यक्रम में आईजी से उनके बचपन से जुड़ी यादों के साथ दोस्तों के बारे में पूछे जाने पर आईजी ने हँसते हुए ऐसा जवाब दिया कि एक पल के लिए सभी पत्रकार सोच में पड़ गए। उन्होंने कहा कि मेरा ऐसा मानना है कि दोस्त से बढ़कर कोई दुश्मन नही होता..(आईजी का आशय स्टूडेंट लाइफ से था) जब एक्जाम में आपका नम्बर ज्यादा आ जाए तो बाजू में बैठा दोस्त जरा चिढ़ने लगता है दोस्त वही जो बेहतर लाइफ के लिए गाइड करें भले दोस्त कम क्यों न हो।

आईजी ने अपने छात्र जीवन और गाँव मे बिना बिजली के पढ़ाई करने की बाते साझा की 1993 में 18 साल की उम्र में उन्होंने नौकरी की शुरुआत कर ली थी। पहले टीचर फिर तहसीलदार और सब इंस्पेक्टर के बाद आईपीएस तक का सफरनामा बताया वहीं उन्होंने कहां की हर तबके की उम्मीद पुलिस से ज्यादा होती है हमारी पूरी कोशिश रहती है कि पुलिस सभी को संतुष्ट कर सके भले वह काम किसी और डिपार्टमेंट का क्यों ना हो आईजी डांगी ने इस कार्यक्रम में के माध्यम से पालकों से अपील की है कि अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और संस्कृति का पाठ दिखाएं ताकि देश और समाज बेहतर राह पर चले।

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