गरियाबंद। जिले के कोसूमकानी के ग्रामीण चुनाव बहिष्कार करने का मन बना लिया है, क्योंकि कोसूमकानी पंचायत मुख्यालय में मतदान केंद्र खोलने की उनकी मांग पूरी नहीं हुई है. सोमवार को ग्रामीणों ने एसडीएम दफ्तर पहुंचकर चुनाव बहिष्कार का लिखित ज्ञापन सौंप दिया है. वहीं फसल बीमा से वंचित होने के चलते भी ग्रामीण आक्रोशित है. बता दें कि दो दिन पहले ही ग्रामीणों ने बैठक कर आम सहमति बना कर हस्ताक्षर अभियान चलाया था.
ग्राम प्रमुख घेनूराम पटेल, रमशाय हरपाल, कूष्टोराम बीसी और करनधर हरपाल ने बताया कि कोसूमकानी 1994 में ग्राम पंचायत बना, लेकिन आज भी पुरानी व्यवस्था के तहत उनके गांव के लोगों को 2 किमी दूर पैदल चलकर दहीगांव पंचायत में बने बूथ में मतदान के लिए जाना होता है. ग्रामीणों का आरोप है कि दहीगांव बूथ पर उनके साथ भेदभाव होता है. स्थानीय वोटर के मतदान कराने के बाद ही कोसूमकानी वालों की बारी आती है. कई बार रात 8 बजे तक जगने के बावजूद उन्हें मतदान से वंचित होना पड़ता है. ग्रामीणों ने बताया कि पिछले विधानसभा चुनाव से उनके पंचायत में मतदान केंद्र खोलने कई बार ज्ञापन प्रशासन को दिया जा चुका है. ग्रामीणों ने कहा कि इस बार वोट डालेंगे तो अपने पंचायत में बने बूथ में, नहीं तो इस चुनाव का बहिष्कार करेंगे. ग्रामीणों ने सोमवार को सौंपे जाने वाले ज्ञापन से पहले बैठक कर हस्ताक्षर अभियान चलाया था. इसमें आश्रित ग्राम उपरपीठा की भी सहमति कोसमकानी ग्रामीणों के साथ बन गई है.
आयोग के फरमान के बाद रुक गई प्रक्रिया
वर्तमान में कोसूमकानी में 406 मतदाता है. इस पंचायत के आश्रित ग्राम उपरपीठा के 210 मतदाता डूमरबहाल के बूथ में मतदान के लिए जाते हैं. ग्रामीणों की मांग पर लोकसभा चुनाव घोषित होने से पहले तहसील स्तर पर प्रस्ताव बनाकर कोसूमकानी में बूथ बनाने की प्रक्रिया चल रही थी. इसी बीच राज्य स्तर पर आयोग ने फरमान जारी कर बगैर किसी तब्दीली के विधानसभा में बने बूथ सेटअप के आधार पर चुनाव कराने कह दिया.
फसल बीमा से भी वंचित है, इसलिए भी आक्रोश
कोसूमकानी में 100 से ज्यादा किसान है, जिनका कृषि लोन के साथ फसल बीमा हुआ था. कम वर्षा के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ तो ग्रामीण धान नहीं बेच पाए. पटवारी के क्रॉप कटिंग और कृषि विभाग के पंचनामा के आधार पर उत्पादन प्रभावितों के दायरे में भी आ गए, लेकिन एन वक्त में फसल बीमा योजना के पोर्टल में चढ़ाए जाने वाले प्रक्रिया के समय राज्य कार्यलय से ही फसल प्रयोग का रेंडम नंबर जारी नहीं हुआ. सिस्टम की इसी खामी के कारण प्रभावितों का रिपोर्ट ऑनलाइन नहीं चढ़ा और अब फसल बीमा की राशि से भी वंचित कर दिया गया. इस बात से भी ग्रामीण आक्रोश हैं. प्रकिया के समय किसान बार-बार राजस्व दफ्तर का चक्कर लगाए, पर उन्हें बीमा की राशि अब तक नहीं मिली.
इस मामले में देवभोग एसडीएम हितेश पिस्दा ने कहा कि जानकारी मिली है, उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा. मार्ग दर्शन लेकर इस पर उचित कार्रवाई की जाएगी.
वहीं देवभोग तहसीलदार सुसील भोई ने कहा कि बीमा कंपनी से बात किया गया है. पत्राचार के बाद वंचित खवासपारा के कुछ किसान को बीमा क्लेम मिलना शुरू हो गया है, जो पात्रता रखते हैं उन सभी को जरूर मिलेगा. प्रशासन स्तर पर प्रयास के लिए कोई कमी नहीं रखा गया है.