बिलासपुर.करगी रोड कोटा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से रेफर ग्रामीण मरीजों का सही समय पर इलाज नहीं हो पा रहा है। इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीज तड़पते रहते हैं और डॉक्टर नर्स हंसी मजाक करने में मशगूल रहते हैं।
केस- वन..
बीती रात ग्राम पंचायत लिटिया मोहंदी निवासी संतोषी बाई गंधर्व पति प्रदीप कुमार रात करीब 12:00 बजे घर में चिमनी से बुरी तरह झुलस गई। गंभीर अवस्था में उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया.संजीवनी 108 के नहीं पहुंचने पर संतोषी को किराये के वाहन से उपचार के लिए स्वास्थ्य केंद्र सुबह 9:00 बजे लाया गया। यहां 4 घंटा लेट से आए डॉक्टर ने महिला का ड्रेसिंग रूम में रखकर प्राथमिक उपचार किया और दोपहर 1:00 बजे बिलासपुर के लिए रेफर दिया. यहां महिला की हालत गंभीर बनी हुई है।
केस- टू..
कोटा नगर पंचायत के वार्ड क्रमांक 15 सुन्नी बाई पति लखन सिंह भी पत्नी को लेकर सुबह से कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चक्कर लगा रहे थे और 4 घंटे तड़पने के बाद उनको भी बिलासपुर भेज दिया गया. यहां तक की डिलीवरी केस भी रेफर हो रहे हैं। केंद्र पर शासन के लाखों रुपए खर्च हो रहे हैं लेकिन यहां महिला को भरी दुपहरी में तड़पता हुआ बरामदे में लेटाया जा रहा है,जहां पंखे भी नहीं हैं।
स्वास्थ्य केंद्र के प्रदीप अग्रवाल ने फोन नहीं उठाया जब की यहां की विधायक खुद डाक्टर है।
मैं छुट्टी में हूं-बीएमओ..
कोटा के बीएमओ डॉक्टर प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि मेरा हाथ फैक्चर है और मैं छुट्टी में हूं. कुछ नहीं बोल पाऊंगां।
लापरवाही की हद -मनोज..
मनोज गंधर्व ने बताया कि हम लोग चाची को लेकर सुबह 9:00 बजे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. चार घंटे बाद ड्यूटी नर्स और डॉक्टर साहब आकर देखें और ड्रेसिंग वाले रूम में लेटा दिया जहां पर 4 घंटे तक चाची गर्मी से तड़पती रही फिर बिलासपुर रेफर कर दिया.
सुधार नहीं तो होगा आंदोलन-विकास
इस बारे में क्षेत्र के युवा नेता विकास सिंह ठाकुर ने कहा कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टरों के द्वारा घोर लापरवाही बरती जा रही है।अगर इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो आगे उग्र आंदोलन किया जाएगा।
करोड़ों रुपए शासन के बर्बाद-पांडे..
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शैलेश पांडे ने सरकार को आड़े हाथों लिया और कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिर्फ नाम का स्वास्थ्य केंद्र रह गया है। डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी से भागते हैं इस क्षेत्र को स्वास्थ्य संबंधी कोई भी सुविधा नहीं मिल पा रही है और शासन के द्वारा डॉक्टरों और स्वास्थ्य केंद्र के ऊपर करोड़ों रुपए खर्च किया जा रहा है।