जम्मू-कश्मीर में पीडीपी और भाजपा की गठबंधन सरकार गिरने के बाद राज्य में आठवीं बार राज्यपाल शासन लागू हो गया है. मंगलवार को भाजपा ने राज्यपाल एनएन वोहरा को समर्थन वापसी का पत्र देते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की अनुशंसा की थी.
बीजेपी के इस फैसले के बाद राज्य में तीसरी बड़ी पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख उमर अब्दुल्ला ने सरकार बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी. इसके बाद ही साफ हो गया था कि राज्य में एक बार फिर राज्यपाल शासन लगेगा. आज सुबह ही राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाने को मंजूरी दे दी. इसके साथ ही राज्यपाल एनएन वोहरा राज्य से जुड़े सभी बड़े फैसले लेंगे.
जम्मू-कश्मीर में अब तक कुछ आठ बार राष्ट्रपति शासन लग चुका है. राज्य में सबसे पहले मार्च 1977 में राज्यपाल शासन लगा था. तब शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की सरकार अल्पमत में आई थी. कांग्रेस ने नेशनल कॉन्फ्रेंस सरकार से समर्थन वापस लिया था.
इसके बाद मार्च 1986 में गुलाम मोहम्मद शाह की सरकार के अल्पमत में आने के बाद दूसरी बार राज्यपाल शासन लगा था. नेशनल कॉन्फ्रेंस के बागी गुलाम मोहम्मद की सरकार कांग्रेस ने गिराई थी.
जनवरी 1990 में जगमोहन को राज्यपाल बनाने के फैसले के खिलाफ फारुख अब्दुल्ला ने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद सबसे लंबे समय तक, 6 साल 264 दिनों तक जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा रहा.
अक्टूबर 2002 में त्रिशंकु विधानसभा बनने पर चौथी बार जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा, लेकिन 15 दिन बाद ही पीडीपी-कांग्रेस ने नई सरकार बना ली.
जुलाई 2008 में जब पीडीपी ने गुलाम नबी आजाद सरकार से समर्थन वापस लिया तो पांचवी बार राज्यपाल शासन लगा. तब अमरनाथ जमीन विवाद पर मचे संघर्ष के बाद सरकार गिरी थी.
जनवरी 2015 में हुए चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था. त्रिशंकु विधानसभा बनने पर जम्मू-कश्मीर में छठी बार राज्यपाल शासन लगा था.
जनवरी 2016 में मुफ्ती मोहम्मद सईद की मौत के बाद जम्मू-कश्मीर में 7वीं बार राज्यपाल शासन लगा था. अब एक बार फिर से सरकार गिरने के चलते राज्य में आठवीं राज्यपाल शासन लागू हो गया है.