बिलासपुर. केन्द्र की नमो सरकार के एक और डिजिटल प्रयोग से छत्तीसगढ़ के पांच सौ से अधिक लद्यु उद्योग बंद हो जाएंगे, पांच हजार परिवार के बेरोजगार होने की आशंका है। नोटबंदी, जीएसटी के बाद अब जेम की मार सहने के लिए व्यापारियों को कमर कस लेना चाहिए।
राज्य में उद्योग व्यापार को विकसित करने के लिए सरकारी संरक्षण देने की नीति है ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके। इसके लिए समय-समय पर रियायती बिजली, पानी, जमीन और करों में कमी पिछली सरकारों द्वारा दी जाती रही है। ताकि वे राष्टीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा बाजार में खड़े हो सकें। धीरे-धीरे लघु एवं कुटीर उद्योगों को पर्याप्त काम मिलता रहे इसके लिए राज्य सरकार ने शासकीय विभागों एवं निकायों, उपक्रमों में लगने वाली वस्तुुओं के लिए नियम बना दिया कि वह स्थानीय लघु उद्योगों से ही खरीदें। सरकार ने समानों के न्यूनतम मूल्य तय कर दिए थे। इस पर भी सप्लाई के बड़े काम, उद्योगों में रोटेशन के हिसाब से बांटकर दिये जाते थे।
राज्य बनने से पहले से चली आ रही इस प्रक्रिया को अब केन्द्र सरकार के डिजिटल प्रयोग ने खतरे में डाल दिया है और इस खतरे का नाम जेम है। केन्द्र सरकार के इस साप्टवेयर में अब सरकारी उपक्रमों को अपने सामानों की रिकावयर मेंट डालना अनिवार्य है। एक तरह से इस आनलाइन ठेके में देश का कोई भी उद्यमी भाग ले सकता है। एल वन प्राइज यानी सबसे कम दर आने वाले उघोग पति ही काम हासिल कर पाएंगे। बड़े पूंजीपति घरानों को ही इससे काम मिल पाएगा। कहां उनका मुकाबिला स्थानीय उद्योग कर पाएंगे।
नहीं हो सकता कुछ
नोटबंदी, जीएसटी के बाद अब जेम की मार सहने के अलावा यहां के पांच सौ लघु उद्योगों के पास कोई चारा नहीं हैं। कारण यह कि केन्द्र के अलावा प्रदेश में भी भाजपा की ही सरकार है। अगर ऐसा हुआ तो इन उद्योगो में काम करने वाले पांच से दस हजार लोग बेराजगार हो जाएंगे।
कलेक्टर ने ली बैठक
मंथन सभागार में कलेक्टर ने सोमवार को इस विषय पर सभी विभाग प्रमुखों की बैठक ली है और जेम के बारे में बताया है तथा इसका कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए हैं।