रायपुर.छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डाक्टर रमन सिंह को लेकर यह खबरें छप रही है कि वे नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में सबसे आगे है. इस खबर के साथ-साथ राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर भी चर्चा हो रही है कि आखिर वे अपनी ही पार्टी में दूसरी लाइन को तैयार होते हुए क्यों नहीं देखना चाहते.पन्द्रह साल तक मुख्यमंत्री रहने के दौरान उन्होंने कभी भी इस बात को महत्व नहीं दिया कि आदिवासी या पिछड़ा वर्ग से भी कोई योग्य शख्स मुख्यमंत्री हो सकता है. उन पर आदिवासी नेताओं को किनारे करने का आरोप लगता रहा है. यहां तक कद्दावर नेता और पार्टी को संकट के दिनों में उबारने वाले बृजमोहन अग्रवाल को भी हाशिए में धकेलने की कवायद चलती रही है. यह कवायद अब भी खत्म नहीं हुई है. राजनीतिक प्रेक्षक यह मानकर चल रहे हैं कि उठापटक के चलते बृजमोहन अग्रवाल नेता प्रतिपक्ष नहीं बन पाएंगे.
पूर्व मुख्यमंत्री के नाम के सामने डाक्टर जैसा सम्मानजनक शब्द जुड़ा है. यह अलग बात है कि वे नाड़ी के डाक्टर है, लेकिन यह भी उतनी ही बड़ी हकीकत है कि गांवों में आज भी नाड़ी के डाक्टर सम्मान पाते हैं. दुर्भाग्य यह है कि नाड़ी का डाक्टर होने के बावजूद डाक्टर साहब जनता की नाड़ी को तपास नहीं पाए. डाक्टर साहब… आप यह पता ही नहीं कर पाए कि जनता आपके और आपके अफसरों की करतूतों को लेकर बेहद गुस्से में हैं और उनका बुखार थोड़ा दूसरे किस्म का है. पता नहीं आपको यह स्वीकार करने में कितना वक्त लगने वाला कि अब आपकी सरकार नहीं है. प्रदेश में अब एक किसान के बेटे की सरकार है और किसान के बेटे भूपेश बघेल के फैसलों ने एक बड़ी आबादी का दिल जीत लिया है.
यह टिप्पणी इसलिए लिखनी पड़ रही है क्योंकि आपके एक ताजा बयान ने थोड़ा सा ध्यान खींचा है. अगर आपकी सरकार की मेहरबानी की वजह से किसी अखबार में होता तब भी ऐसी टिप्पणी लिखने की हिमाकत अवश्य करता. यह अलग बात है कि इस टिप्पणी को अखबार के किसी कोने में भी जगह नहीं मिलती. सच तो यह है कि कंसोल की ओर से बांटे गए काले धन के हैंग ओवर का शिकार कोई संपादक ऐसा होने भी नहीं देता. खैर… अब भी काले धन का हैंग ओवर उतरा नहीं है. छतीसगढ़ के बहुत से संपादक और पत्रकार यह मानने को तैयार ही नहीं है कि बाजी पलट चुकी है और छत्तीसगढ़ नफरत और द्वेष की राजनीति से अलग एक नई करवट ले चुका है.
… तो डाक्टर साहब का ताजा बयान यह है कि छत्तीसगढ़ में बदलापुर की राजनीति नहीं चलेगी. डाक्टर साहब का कथन है कि जिस शख्स की जमानत खारिज हो गई उसके एक पत्र से नान घोटाले में दोबारा जांच की जा रही है. वह शख्स ( अनिल टुटेजा ) मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अस्थायी निवास पहुना के आसपास घूम रहा है. यदि डाक्टर साहब छत्तीसगढ़ क्लब के पास स्थित अपना आवास जल्द ही खाली कर देते तो शायद यह शख्स मुख्यमंत्री निवास के आसपास भी घूमता.
जब डाक्टर साहब की सरकार थीं तब सैकड़ों पत्रकारों पर जुर्म दर्ज किए गए. एक दिन पत्रकारों के प्रतिनिधि मंडल ने डाक्टर साहब से संपर्क किया तो डाक्टर साहब के पास बैठे सुपर सीएम ने कहा- देखिए कानून अपना काम करता है. कानून को अपना काम करने दीजिए. डाक्टर साहब तब आपने भी हां में हां मिलाते हुए कहा जो नियम-कानून होगा उसके हिसाब से कार्रवाई होती रहेगी. एक बार आदिवासियों के एक प्रतिनिधि मंडल ने झालरों से सजे-धजे आपके चमकदार निवास में मुलाकात की और कहा कि साहब बस्तर में बेकसूर आदिवासियों को मौत के घाट उतारा जा रहा है तब भी आपके पास बैठे रहने वाले सुपर सीएम ने जवाब दिया था- कल्लूरी जो कर रहे हैं ठीक कर रहे हैं. कानून अपना काम कर रहा है. आजकल बहुत से आदिवासी माओवादियों का सहयोग करते हैं. इसलिए वे ही आदिवासी मारे जा रहे हैं जो माओवादियों का साथ देते हैं.
डाक्टर साहब आपको याद होगा कि नान घोटाले के एक प्रमुख आरोपी शिवशंकर भट्ट ने एक स्टिंग आपरेशन में सीधे-सीधे यह आरोप लगाया था कि पैसा आपके सीएम हाउस में आपकी धर्मपत्नी को भी भेजा जाता था. नान घोटाले में आपकी साली और आपके मंत्रिमंडल के कई साथियों का नाम सामने आया था. आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के कर्ताधर्ता और खुद को खुदा समझने वाले पुलिस अफसर ने भी तब कहा था कि ऐसे कई तथ्य हैं जिसकी जांच हम नहीं कर सकते. उनका यह बयान तो कई वीडियो में कैद है. अब तो आप फुरसत में हैं. नाती-पोतों को गोदी में खिलाने के बाद जब आपको थोड़ा सा वक्त मिले तो वह वीडियो अवश्य देखिए. अगर आपके पास वह वीडियो नहीं है तो किसी टीवी वाले से ले सकते हैं. टीवी वाले से भी मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी. आपके जनसंपर्क विभाग में कार्यरत रही 21 कंपनियां आपके चेहरे को चमकाने के काम में लगी हुई थीं. किसी न किसी के पास तो वह वीडियो होगा ही.
सच तो यह है कि अगर वास्तव में आप सच्चाई के पक्षधर है. सच का सम्मान करते हैं तो आपको इस जांच से घबराना नहीं चाहिए. यह सही है कि नान घोटाले में आरोपी बनाए गए भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला की जमानत खारिज हो गई है, लेकिन यह भी उतनी ही बड़ी हकीकत है कि याचिका खारिज होने के बाद भी आपकी सरकार ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया. अगर एक साधारण इंसान अपराधी होता तो क्या आपकी महान पुलिस ऐसा कर पाती.
बहरहाल आपके इस प्रलाप से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. पहला सवाल तो यही है कि जब आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने आलोक शुक्ला और अनिला टुटेजा को घोटाले में संलिप्त मान ही लिया था तो फिर उन पर कई सालों तक मेहरबानी क्यों की. अगर आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा आपके महान आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो की नजर में अपराधी है भी तो क्या उन्हें नए मुख्यमंत्री को पत्र लिखने, खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए श्रेष्ठ अधिवक्ताओं की सेवा लेने या अपनी बात कहने के लिए किसी फोरम का सहारा लेने का अधिकार नहीं है. प्राकृतिक न्याय का सिद्धांत तो यहीं कहता है कि एक चोर को भी शिकायत करने का हक है और एक साहूकार को भी.अभी दोनों अफसरों को राज्य सरकार के थाने के रुप में विख्यात आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने अपराधी माना है. दोनों अफसर आरोपी है. न्यायालय की नजर में अपराधी नहीं है. बहुत संभव है कि न्यायालय भी दोनों को लेकर कोई कठोर फैसला दें, लेकिन दूध का दूध और पानी का पानी साबित हो जाने से पहले आपको प्रलाप करने से बचना चाहिए.
आपकी सरकार पर अगुस्ता हेलिकाफ्टर की खरीदी में भी आरोप लगा है. कांग्रेस के लोग तो झीरम घाटी की घटना को भी राजनीतिक साजिश मानते हैं. कांग्रेस का यह मानना रहा है कि झीरम की घटना में आपके सबसे जाबांज पुलिस अफसर और आपका हाथ रहा है. पनामा पेपर में किसी अभिषाक सिंह का जिक्र है. कांग्रेस का कहना है कि जो अभिषाक सिंह है और जिसका पता रमन मेडिकल स्टोर कवर्धा है वह वास्तव में अभिषेक सिंह है. सब जानते हैं कि एक अभिषेक अभिताभ बच्चन का पुत्र है और दूसरा अभिषेक आपका पुत्र है और राजनांदगांव जिले का सांसद है. अगर कल इन सब मामलों की जांच होगी तब भी क्या आप यहीं कहेंगे कि छत्तीसगढ़ बदलापुर की राजनीति चल रही है. डाक्टर साहब आप राजनीति में हैं इसलिए आपका जीवन सार्वजनिक है. हमने तो यहीं सुना है कि जो सार्वजनिक जीवन जीते हैं उन पर कई तरह के आरोप लगते रहते हैं. आपको भी आरोपों से घबराना नहीं चाहिए. अगर आपके लिए सारे आरोपों की जांच एक विपदा से कम नहीं है तो आपको इस विपदा का डटकर सामना करना चाहिए. एक अच्छे इंसान के जीवन में विपदाएं आती रहती है. कानून जब सही ढंग से अपना काम करता है तो लोग कानून पर भरोसा करते हैं. लोकतंत्र तो भरोसे से ही मजबूत होता है. क्या आप लोकतंत्र को कमजोर होते हुए देखना चाहेंगे. आपके सुपर सीएम के शब्दों में कहूं तो कानून को अपना काम करने देना चाहिए. अब मुस्कुराइए भी… क्योंकि आप बदलापुर में नहीं रायपुर में रहते हैं.