पूर्वोत्तर जीतकर BJP देश को विपक्ष मुक्त करने और आगे बढ़ी

शिवा कुमार

दिल्ली/शिलांग/अगरतला/कोहिमा। देश में कांग्रेसमुक्त के साथ वाममुक्त और असल में देश को विपक्ष मुक्त करने की दिशा में भाजपा ने एक और कदम तेजी से बढ़ा दिया। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों- त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे साफ हो चुके हैं।

त्रिपुरा में 25 वर्षों से वामपंथियों के अभेद्य किले को भी ध्वस्त करते हुए भाजपा ने अपना विजय पताखा फहराया। भाजपा को दो-तिहाई सीटें मिली। त्रिपुरा में भाजपा को 43 प्रतिशत वोट मिले और पार्टी ने 35 सीटों पर जीत हासिल किया। माकपा को 42.7 प्रतिशत वोट मिले, मगर उन्हें केवल 16 सीटों पर संतोष करना पड़ा। आईपीएफटी को 7.5 प्रतिशत वोट मिले और उनको 8 सीटें मिली। खास बात है कि भाजपा और माकपा के बीच वोट प्रतिशत का अंतर 1 प्रतिशत से भी कम रहा, मगर सीटों का अंतर दुगुने से भी ज्यादा हो गया। यह जीत इन मायनों में भी महत्वपूर्ण है कि विगत 2013 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने त्रिपुरा में 50 उम्मीदवार उतारे थे जिनमें से 49 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। मात्र 1.87 फीसदी वोट मिलने के कारण भाजपा को एक भी सीट तक नसीब नहीं हो पाई थी। उस चुनाव में माकपा को 59 में से 55 सीटें मिली थीं। कांग्रेस 48 सीटों पर लड़ी थी और उसे 10 सीटों से संतोष करना पड़ा था। त्रिपुरा में इस बार 60 सीटों में से 59 सीटों पर चुनाव हुए। माकपा के खाते में 16 और बीजेपी के खाते में 35 सीटें दर्ज की गई। आईपीएफटी ने 8 सीटों पर जीत दर्ज किया। आपको बता दें कि त्रिपुरा में सरकार बनाने के लिए 31 सीटों की जरूरत है। सीपीएम की ओर से मौजूदा मुख्यमंत्री माणिक सरकार ही इस बार भी सीएम का चेहरा थे, वहीं भाजपा ने पीएम नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़ा था। त्रिपुरा में कुल 292 उम्मीदवार मैदान में थे जिनमें 23 महिलाएं और कई निर्दलीय उम्मीदवार थे। निर्वाचन आयोग ने विशेष रूप से संशोधित वीवीपैट के साथ जुड़े ईवीएम सभी 3,174 मतदान केंद्रों पर लगाए थे।

नागालैंड में भी स्थिति भाजपा के पक्ष में नजर आ रही है। नागा पीपुल्स फ्रंट के साथ समझौते के बाद एनडीए वहां सरकार बनाने जा रही है। भाजपा को 11 सीटें मिली, जबकि एनपीएफ को 27 सीटें मिली। 58 सीटों के नतीजे आने के बाद 38 सीटें भाजपा और एनपीएफ गठबंधन को मिली। वहीं एनडीए के जदयू सहयोगी दल होने की वजह से ये आंकड़ा 39 तक जा पहुंचा है। इसके अलावा एनडीपीपी को 16, एनपीपी को 2 और निर्दलीय को 1 सीट मिली। राज्य में 20 सीटों पर 89-96 प्रतिशत मतदान हुआ। 19 सीटों पर 82-89 प्रतिशत और 15 सीटों पर 70-82 प्रतिशत तक मतदान हुआ। नगालैंड में नौ विधानसभा सीटों के 13 मतदान केन्द्रों पर दो मार्च को पुनर्मतदान हुआ। इसमें लगभग 73 प्रतिशत लोगों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। सबसे बुरी बात तो कांग्रेस के साथ रही कि त्रिपुरा और नागालैंड में उसका खाता तक नहीं खुल पाया।

मेघालय में 59 सीटों पर हुए मतदान के नतीजे भी कांग्रेस के लिए उत्साहजनक नहीं है।28.5 प्रतिशत वोट मिलने के बावजूद कांग्रेस महज 21 सीट जीतने में कामयाब रही।भाजपा को 9.6 प्रतिशत वोट मिले और उन्हें महज 2 सीट से संतोष करना पड़ा। मगर नेशनल्स पीपुल्स पार्टी ने पूरे समीकरण को ही बिगाड़ कर रख दिया। एनपीपी को 20.6 प्रतिशत वोट मिले और वह 19 सीटें जीतने में कामयाब रही। इसके अलावा यूडीपी को 6 सीटें, पीडीएफ को 4 और निर्दलीय को 3 सीटें मिली। केएचएनएएम को 1 सीट से ही संतोष करना पड़ा। नतीजे आने के बाद से त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति नजर आ रही है।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दावा किया है कि पार्टी मेघालय में भी सरकार बनाएंगी। भाजपा इसके पूर्व में ऐसा ही कारनामा गोवा में दिखा चुकी है. पूर्वोत्तर के तीनों राज्यों के चुनाव नतीजों पर दिल्ली में जश्न मनाने के लिए इकट्ठे हुए.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी मुख्यालय दिल्ली पहुंचे और कहा कि जब सूरज ढलता है तो लाल रंग का होता है, लेकिन जब उगता है तो केसरिया रंग का होता है। आज सारे रंग केसरिया रंग में रंग गए हैं। इस मौके पर कांग्रेस पर वे तंज कसना नहीं भूले।

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