रायपुर.भूपेश को जेल भेजने का फैसला भले ही न्यायिक हो सकता है, लेकिन ठीक चुनाव से पहले इस फैसले की गूंज दूर तलक जाने वाली है। रणनीतिकारों का दावा है कि भूपेश के जेल चले जाने से छत्तीसगढ़ सरकार के उन नुमाइंदों की हवा टाइट हो गई है जो सरकार को बिन मांगे आंय- बांय सलाह देते रहते हैं।
यह बताने की जरूरत नहीं कि छत्तीसगढ़ को राजनीतिज्ञ नहीं बल्कि चंद अफसर ही चला रहे हैं। ऐसे ही कुछ अफसरों की सलाह पर प्रदेश के मुखिया ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बघेल के ऊपर मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था। पहले यह मामला थाने में दर्ज किया गया और बाद में सीबीआई को सौंप दिया गया। हालांकि सरकार कह रही है कथित सेक्स सीडी कांड मामले में सीबीआई जांच की मांग कांग्रेस ने ही की थीं, लेकिन सरकार की बोलती तब बंद हो जाती हैं जब कोई यह सवाल पूछता है कि भई… सीबीआई जांच की मांग तो कांग्रेस ने झीरम घाटी की घटना के लिए भी कई थीं, लेकिन उस मामले में जांच क्यों नहीं की गई?
बहरहाल सरकार और उनके प्रवक्ता मीडिया के सामने यह कहते फिर रहे हैं कि जेल हमने नहीं न्यायालय ने भिजवाया हैं। हालांकि प्रवक्ताओं को यह भी पता है कि उनके इस कथन का बहुत ज्यादा असर नहीं होने वाला है। सबको पता है कि जेल जाने का कथित ताना-बाना सरकार ने ही बुना है। इस मामले का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि इस पूरे कांड में जिस लोहा कारोबारी का नाम प्रमुख रुप से उभरा था वह बच गया। पूरे मामले में कुछ भाजपा नेताओं की भूमिका भी सामने आई थीं मगर उन नेताओं का भी बाल-बांका नहीं हुआ। मामले में उस शख्स को फंसा दिया गया जिसने सिर्फ सीडी लहरा थीं। पत्रकार विनोद वर्मा को भी जेल इसलिए भेजा गया क्योंकि वे एक सीडी मिलने के बाद इस सीडी की हकीकत को जानने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने दिल्ली के कतिपय मूर्धन्य पत्रकारों से संपर्क किया था कि जांच-पड़ताल के बाद खबर कैसे चला सकते हैं? छत्तीसगढ़ में अगर आप सरकार के दलाल है या फिर चड्डीधारी पत्रकार है तो आपकी पत्रकारिता बेहद आसान है, लेकिन अगर आप दोनों में कुछ भी नहीं है और पत्रकारिता करना चाह रहे हैं तो आपको जेल हो सकती है या फिर आप मौत के घाट उतारे जा सकते हैं।
खैर… 14 दिन की न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिए जाने के बाद भूपेश ने जेल में सत्याग्रह प्रारंभ कर दिया है। भूपेश को जेल भेज दिए जाने से यह तो साफ हो गया है कि सरकार बेहद डरी हुई है। एक डरी हुई सरकार ही लाठी- गोली- जेल- फेल जैसे हथकंडों का इस्तेमाल करती हैं। जनता के भीतर एक गुस्सा पनप चुका है। अभी जनता खामोश है। यह गुस्सा चुनाव के दौरान फूटेगा ही फूटेगा।
( इस पोस्ट के साथ ही दलालों और चड्डी धारियों की पोस्ट/ संपादकीय भी अवश्य पढ़ते रहिएगा। यह भी समझने की कोशिश भी करिएगा कि भाई लोग गिरफ्तारी को किस चतुराई से जायज ठहराने में तुले हुए हैं। )