भैया देर हो गई,भैंस का गोबर मैनेज भी नहीं हो रहा..

बिलासपुर.शहर के चुनाव में सियासी पारा सातवें आसमान पर है. कोई दारु पैसा बॉटकर अपनी हालत सुधारने में लगा है और कोई अपनी लहर को और तेज करने में सक्रिय हैं. नव धनाड्यों के मैनेजरों से मवेशी पालने वाली गरीब महिला ने अब यह भी पूछना शुरू कर दिया है कि भैया, भैंस का गोबर मैनेज होगा कि नहीं.
5 साल में एक बार चुनाव होता है और वह उत्सव से कम नहीं होता. अब इस रंगारंग कार्यक्रम के सिर्फ 2 दिन बचे हैं. इसे सियासी मायने में कत्ल की रात भी कहा जाता है. इस दौरान जिसको जहां से जो मिला खाया पिया और खिसका.हर बार की तरह इस बार भी आखिरी दो जिन में दारू पैसा सामान बांटकर नई नई गाड़ियों में लोग देर रात तक चुनाव मैनेज करते घूम रहे है. चौथी-पांचवीं बार चुनाव जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया जा रहा है. शहर के लोग समझ रहे हैं कि इस बार नहीं तो फिर कभी नहीं.

सोशल मीडिया की जंग हारने के बाद अब फील्ड में मैदानी कार्यकर्ताओं को झोंका गया है.इनको उम्मीद है कि हर बार की तरह इस बार भी चुनाव मैनजमेंट से पाशा उलट जाएगा और प्रबल भाग्यवादी के पक्ष में चल रही लहर भी मैनेज हो जाएगी. लेकिन सत्ता से जुड़े लोग बोलने लगे हैं भइया बहुत देर हो गई, इस बार का चुनाव कई मायनों में अलग तरह का दिखाई दे रहा है. भागते भूत की लंगोटी ही मिल जाए की तर्ज पर गरीब बस्ती के लोग दारू कपड़ा जो भी मिले सब ग्रहण कर रहे हैं और बदले में गारंटी मांगने पर मुंह फेर रहे हैं. इससे साफ लग रहा है कि माल लेने के बाद भी वोट देंगे या नहीं यह गारंटी नहीं है. कद्दावर नेता और रईस मैनेजमेंट गुरुओं की परेशानी बढ़ गई है.

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