बिलासपुर.नगर पालिक निगम के कार्यों की स्थानीय मंत्री द्वारा की गई समीक्षा के बाद कांग्रेस प्रवक्ता ने एक बार फिर मंत्री पर कुप्रबंधन तथा फेल होने के आरोप लगाए। शैलेष पांडे ने कहा कि अमर अग्रवाल के अब तक की विधायक की भूमिका में 90 प्रतिशत हिस्सा मंत्री का है। सिर्फ एक बार जब वे विधायक थे तो सरकार कांग्रेस की थी।
उन्होंने बतौर मंत्री 15 वर्ष इस शहर का विकास किया है और इस पुरे कार्यकाल में उनके कामों में शहर की जनता ने कुप्रबंधन और असफलता देखी है। नगर निगम बिलासपुर के काम कुप्रबंधन का शिकार है तथा आपदा प्रबंधन पूरी तरीके से फेल है। मंत्री जी को प्लान ए, प्लान बी और आपदा प्लान बनाने की आदत हो गई है। सत्ता में आते ही उन्होंने पेयजल व्यवस्था के लिए भूमिगत जल का दोहन अविवेक पूर्ण तरीके से कराया।
प्लान बी उन्होने पीएचई को करोड़ो की लागत की जल आवर्धन योजना सौंपी। इस योजना का लोकार्पण वे पिछले विधानसभा चुनाव वर्ष 2013 में प्रदेश की मुखिया से करा चुके है।आपातकालिन प्लान शहर को पेयजल खुंटाघाट डेम से मिलेगा। जल आवर्धन योजना का लोकार्पण वर्ष 2013 में हो चुका है किंतु आज तक निगम इसे पीएचई से हैंडओवर लेने में डरता है। उसके बाद भी शुक्रवार की समीक्षा बैठक में निगम को मंत्री ने 3.89 करोड़ रुपये इस असफल काम को अपने सिर रखने के लिए दिया। यदि निगम की योजनाएं मंत्री के नेतृत्व सफल है तो कल की समीक्षा बैठक में निगम के अभियंताओ को फटकारने की क्या जरूरत थी।मंत्री जी ने शहर के 75 प्रतिशत कार्यो के पुर्ण होने की घोषण की । शेष के लिए डेड लाइन बता दी। असल में डेड लाइन तो उनके नेतृत्व की आ गई है जो जनता ने तय कर दी है। लालखदान का ओवरब्रिज जो सात साल में नही पुरा हुआ तो अक्टूबर तक कैसे बन जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम बहतराई का भ्रष्टाचार सब जानते है। यदि यह सुविधा पुर्ण है तो 13 करोड़ रुपये की लागत से एक अन्य स्टेडियम की क्या जरूरत है। मंत्री जी को बहतराई के एस्ट्रोटर्फ (हाॅकी) के टेंडर को एक बार देखना चाहिए उसमें इसे प्रैक्टिस के लिए कहीं नही लिखा है और वे कहते है कि यह टर्फ सिर्फ प्रशिक्षण के लिए है। कोनी-रतनपुर फोरलेन दो माह में पुरी हो जाएगी। जनता की परेशानियों से उन्हें को कोई सरोकार नही है।
शैलेष पांडे ने कहा कि मंत्री जी को अपना ही कहा वह वकतव्य याद करना चाहिए जब 2003 में उन्होंने एक पत्रकार वार्ता में कहा था कि (बिलासपुर शहर का आकार एक कटोरे की शक्ल का है और यहां पानी निकासी सहज नही है) जब उन्हें यह पता था तो शहर की पानी निकासी और सीवरेज के लिए उन्होंने शहर को गड्ढे में ढकेलने के पुर्व योजनाओं का उचित मुल्याकंन क्यों नही किया।