बिलासपुर. श्री राम कथा में संत चिन्मयानंद महाराज ने आज शिव चरित्र और शिव विवाह के साथ राम जन्म के कारण का वर्णन कर श्रोताओं को अपने ज्ञान के पिटारे से कई महत्वपूर्ण बातें बताई शिव पार्वती की महिमा और यंग जनरेशन और बुजुर्गों की सोच व समझ का किस्सा सुनाकर इंसान की मानसिकता से अवगत कराया वही रामलला का जन्मउत्सव मनाकर भक्तों को झूमने पर विवश कर दिया।
जगमल चौक के पास आयोजित श्री राम कथा के तीसरे दिन संत चिन्मयानंद महाराज ने यंग जनरेशन और बुजुर्गो की सोच समझ पर प्रकाश डाला उन्होंने एक शादी का किस्सा सुनाकर श्रोताओं को बताया कि बड़ो के पास अनुभव होता हैं।गंगा को राम भक्त बता उन्होंने कहा कि भक्ति एक मर्यादा में हो तबी ठीक है। भक्ति की धारा में अपने कर्तव्यों को नही भूलना चाहिए नही तो परमात्मा आपकी भक्ति को स्वीकार नही करेगा। चिन्मयानंद महाराज ने भक्त और भगवान के बीच कमी का बखान कर कहा कि अच्छा न्यायधीश गुण और अवगुण दोनों को देखता है मगर भगवान अवगुण नही देखते जिससे उनका तातपर्य शिव जी से था क्योंकि वो भोलेनाथ है।
शिव को पाने पार्वती के तप का वर्णन कर उन्होंने बताया कि किस तरह शंकर जी के स्वभाव को लेकर उनकी आलोचना की गई पार्वती को प्रलोभन तक दिया गया वह मगर टस से मस नही हुई और भोलेभंडारी की हो कर रही। लैला-मजनू की कहानी सुना महाराज ने बताया कि किस तरह मजनू के सामने राजा ने खूबसूरत से खूबसूरत सुंदर स्त्रियों को खड़ा किया लेकिन मजनू-लैला पर ही टिका रहा जब उसने लैला के बारे में पूछा तो महाराज ने उसे मूर्ख बोला और कहा कि ऐसा क्या है उसमें तब मजनू ने कहा लैला की सुंदरता देखने के लिए मजनू की आँखे चाहिए। वही इंसान की मानसिकता पर भी संत जी ने पंडित और चोरे की कहानी समझा कर बड़ा प्यारा उदाहरण खुद पर भरोसे और मनोवैज्ञानिक पर दिया।
कथा के अंतिम में भोले तांडव को सुना सब को मंत्र मुग्ध कर दिया शिव ही शंभू गण करही शिंगारा की चौपाई श्रोताओं के कान में जैसे ही सुनाई पड़ी सभी तालियों के साथ झूमने लगे। वही रामलला का जन्मउत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया नृत्य के साथ मईया को दे दो बधाई के भजन ने समा बांध दिया और एक बार फिर भक्तों ने रामलला के जन्म उत्सव पर नाचकर अपनी खुशी जाहिर की वही रामलला की आरती कर कथा का समापन किया गया।